सावन का महीना भगवान शिव को समर्पित है। इस पूरे महीने शिव जी और माता पार्वती की विशेष पूजा-अर्चना की जाती है। खासकर, सावन के हर सोमवार का अपना एक खास महत्व है क्योंकि इस दिन व्रत रखने और पूजा करने से शिव जी भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूरी करते हैं और जीवन में सुख-समृद्धि आती है। सावन में भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए भक्त कई तरह की विशेष पूजा करते हैं या फिर विशेष हवन-अनुष्ठान करवाते हैं। इसके अलावा, शिवलिंग पर कई प्रकार की चीजें भी चढ़ाते हैं।
वहीं, कई बार ऐसा भी होता है कि आपका मन बहुत करता है कि भगवान शिव को प्रसन्न कर्ण के लिए क्या कुछ खास किया जाए लेकिन परिस्थितियों के चलते ऐसा संभव नहीं हो पाता है। ऐसे में ज्योतिषाचार्य राधाकांत वत्स ने हमें बताया कि अगर सावन में आप कोई पूजा-पाठ या हवन-अनुष्ठान या अन्य कुछ भी खास नहीं कर पा रहे हैं तो ऐसे में बस इस एक पाठ का रोजाना जाप करें। इससे न सिर्फ भगवान शिव प्रसन्न हो जाएंगे बल्कि आपको कई लाभ भी प्राप्त होंगे।
सावन में शिव चालीसा का पाठ
सावन में जिस पाठ की बात हम कर रहे हैं वह है शिव चालीसा का पाठ। तो चलिए सबसे पहले शिव चालीसा पढ़ते हैं:
॥दोहा॥
श्री गणेश गिरिजा सुवन , मंगल मूल सुजान।
कहत अयोध्यादास तुम, देहु अभय वरदान॥
॥चौपाई॥
जय गिरिजा पति दीन दयाला। सदा करत संतन प्रतिपाला॥
भाल चंद्रमा सोहत नीके। कानन कुण्डल नागफनी के॥
अंग गौर शिर गंग बहाए। मुण्डमाल तन छार लगाए॥
वस्त्र खाल बाघंबर सोहे। छवि को देख नाग मुनि मोहे॥
मैना मातु की ह्वै दुलारी। बाम अंग सोहत छवि न्यारी॥
कर त्रिशूल सोहत छवि भारी। करत सदा शत्रुन क्षयकारी॥
नन्दि गणेश सोहै तहं कैसे। सागर मध्य कमल हैं जैसे॥
कार्तिक श्याम और गणराऊ। या छवि को कहि जात न काऊ॥
देवन जबहीं जाय पुकारा। तब ही दुख प्रभु आप निवारा॥
किया उपद्रव तारक भारी। देवन सब मिलि तुमहिं जुहारी॥
तुरत षडानन आप पठायउ। लवनिमेष महं मारि गिरायउ॥
आप जलंधर असुर संहारा। सुयश तुम्हार विदित संसारा॥
त्रिपुरासुर सन युद्ध मचाई। सबहिं कृपा कर लीन बचाई॥
किया तपहिं भागीरथ भारी। पुरब प्रतिज्ञा तसु पुरारी॥
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दानिन महं तुम सम कोउ नाहीं। सेवक स्तुति करत सदाहीं॥
वेद नाम महिमा तव गाई। अकथ अनादि भेद नहिं पाई॥
प्रगट उदधि मंथन में ज्वाला। जरे सुरासुर भये विहाला॥
कीन्ह दया तहँ करी सहाई। नीलकण्ठ तब नाम कहाई॥
पूजन रामचंद्र जब कीन्हा। जीत के लंक विभीषण दीन्हा॥
सहस कमल में हो रहे धारी। कीन्ह परीक्षा तबहिं पुरारी॥
एक कमल प्रभु राखेउ जोई। कमल नयन पूजन चहं सोई॥
कठिन भक्ति देखी प्रभु शंकर। भये प्रसन्न दिए इच्छित वर॥
जय जय जय अनंत अविनाशी। करत कृपा सब के घटवासी॥
दुष्ट सकल नित मोहि सतावै । भ्रमत रहे मोहि चैन न आवै॥
त्राहि त्राहि मैं नाथ पुकारो। यहि अवसर मोहि आन उबारो॥
लै त्रिशूल शत्रुन को मारो। संकट से मोहि आन उबारो॥
मातु पिता भ्राता सब कोई। संकट में पूछत नहिं कोई॥
स्वामी एक है आस तुम्हारी। आय हरहु अब संकट भारी॥
धन निर्धन को देत सदाहीं। जो कोई जांचे वो फल पाहीं॥
अस्तुति केहि विधि करौं तुम्हारी। क्षमहु नाथ अब चूक हमारी॥
शंकर हो संकट के नाशन। मंगल कारण विघ्न विनाशन॥
योगी यति मुनि ध्यान लगावैं। नारद शारद शीश नवावैं॥
नमो नमो जय नमो शिवाय। सुर ब्रह्मादिक पार न पाय॥
जो यह पाठ करे मन लाई। ता पार होत है शम्भु सहाई॥
ॠनिया जो कोई हो अधिकारी। पाठ करे सो पावन हारी॥
पुत्र हीन कर इच्छा कोई। निश्चय शिव प्रसाद तेहि होई॥
पण्डित त्रयोदशी को लावे। ध्यान पूर्वक होम करावे ॥
त्रयोदशी ब्रत करे हमेशा। तन नहीं ताके रहे कलेशा॥
धूप दीप नैवेद्य चढ़ावे। शंकर सम्मुख पाठ सुनावे॥
जन्म जन्म के पाप नसावे। अन्तवास शिवपुर में पावे॥
कहे अयोध्या आस तुम्हारी। जानि सकल दुःख हरहु हमारी॥
॥दोहा॥
नित्त नेम कर प्रातः ही, पाठ करौं चालीसा।
तुम मेरी मनोकामना, पूर्ण करो जगदीश॥
मगसर छठि हेमन्त ॠतु, संवत चौसठ जान।
अस्तुति चालीसा शिवहि, पूर्ण कीन कल्याण॥
सावन में शिव चालीसा पाठ के लाभ
शिव चालीसा का पाठ करने से मन को अद्भुत शांति मिलती है। सावन के दौरान वातावरण में एक खास धार्मिक ऊर्जा होती है, और ऐसे समय में शिव चालीसा का पाठ करने से मन शांत होता है, तनाव कम होता है और नकारात्मक विचार दूर होते हैं। यह आपके भीतर सकारात्मक ऊर्जा का संचार करता है, जिससे आप हल्का और प्रसन्न महसूस करते हैं।
माना जाता है कि शिव चालीसा का नियमित पाठ करने से भगवान शिव जल्दी प्रसन्न होते हैं। सावन का महीना शिव जी को समर्पित है, इसलिए इस दौरान किया गया पाठ विशेष फलदायी होता है। शिव चालीसा में भगवान शिव के गुणों, महिमा और शक्ति का वर्णन है, जिसके पाठ से शिव जी की कृपा प्राप्त होती है। भक्तों की सच्ची मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं, चाहे वह धन, स्वास्थ्य, विवाह या संतान से संबंधित हो।
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शिव चालीसा का पाठ भय और आशंकाओं को दूर करने में भी सहायक होता है। अगर आपको किसी चीज़ का डर है या आप किसी बीमारी से जूझ रहे हैं, तो शिव चालीसा का पाठ करने से मानसिक शक्ति मिलती है। यह पाठ आत्मविश्वास बढ़ाता है और रोगों से लड़ने की क्षमता देता है। माना जाता है कि शिव जी काल के भी देवता हैं, इसलिए उनके चालीसा का पाठ अकाल मृत्यु के भय को भी दूर करता है।
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, शिव चालीसा का पाठ कुंडली में मौजूद कई दोषों, खासकर चंद्र और शनि से संबंधित दोषों को शांत करने में मदद करता है। यदि आपकी कुंडली में चंद्रमा कमजोर है या शनि की साढ़ेसाती या ढैया चल रही है, तो सावन में शिव चालीसा का पाठ करने से इन ग्रहों के बुरे प्रभावों को कम किया जा सकता है। यह आध्यात्मिक उन्नति और मोक्ष की ओर भी अग्रसर करता है।
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image credit: herzindagi
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