Karwa Chauth south rituals

करवा चौथ पर चावल के मीठे व्यंजन को धागे में पिरोकर गले में क्यों बांधती हैं महिलाएं? जानें तमिलनाडु की इस अनोखी परंपरा का महत्व

Karwa Chauth 2025: करवा चौथ का पर्व इस साल 10 अक्टूबर को मनाया जा रहा है। इस मौके पर भारत के अलग-अलग क्षेत्रों में विभिन्न प्रकार के रिचुअल निभाए जाते हैं। एक ऐसा ही रस्म तमिलनाडु में निभाया जाता है, जिसमें सुहागिन महिलाएं चावल की मीठा व्यंजन बनाकर पति की लंबी कामना करते हुए धागे में पिरोकर उसे गले में पहनती हैं।
Editorial
Updated:- 2025-10-08, 18:36 IST

South Indian Karwa Chauth Customs: उत्तर भारत में करवा चौथ के पर्व को बड़े धूमधाम से मनाया जाता है। इस मौके पर सुहागिन महिलाएं निर्जला उपवास रखती और चांद निकलने के बाद पति के हाथों से पानी पीकर व्रत खोलती हैं। यह त्योहार उत्तर भारत के अलग-अलग क्षेत्रों में अपने-अपने ढंग से मनाया जाता है, वहां के रिचुअल एक-दूसरे से अलग-अलग होते हैं। जहां उत्तर प्रदेश में मिट्टी के करवे में चूरा और गट्टा भरती हैं। वहीं बिहार और झारखंड में करवा चौथ के दिन लोग दूध और पानी का चांद को अर्घ्य देते हैं। एक ऐसा ही रिचुवल तमिलनाडु में मनाया जाता है, जिसमें सुहागिन महिलाएं चावल से मीठा व्यंजन बनाकर धागे में पिरोकर उसे गले में पहनती हैं। इस लेख में आज हम आपको बताने जा रहे हैं, कि आखिर वहां की महिलाएं ऐसा क्यों करती हैं और इसका महत्व क्या है।

अखंड सौभाग्य और बंधन का प्रतीक

Tamil Nadu Karwa Chauth

यह धागा पति-पत्नी के बीच के अटूट रिश्ते और सौभाग्य के बंधन का प्रतीक है। जिस तरह मंगलसूत्र या तमिल में थिरुमांगल्यम गले में पहना जाता है, उसी तरह इस धागे को वैवाहिक जीवन को मजबूत करने के लिए पहना जाता है। गले में इसे पहनने का अर्थ है कि वह अपने सौभाग्य और पति की लंबी आयु को हर पल अपने साथ रखती है।

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समृद्धि और मिठास का प्रतीक

Tamil Nadu Karwa Chauth ritual

भारतीय संस्कृति में चावल को अन्नपूर्णा और समृद्धि का प्रतीक माना जाता है। तमिलनाडु में यह मुख्य फसल है। पूजा के दौरान या बाद में चावल के मीठे व्यंजन को धारण करने का अर्थ है, घर में धन, धान्य और संपन्नता का हमेशा वास बना रहे। वहीं मीठा व्यंजन वैवाहिक जीवन में प्रेम और मिठास को बनाए रखने की कामना को दर्शाता है। यह मीठी माला इस उम्मीद का प्रतीक है कि पति-पत्नी का रिश्ता हमेशा मिठास से भरा रहे।

परंपरा का सम्मान

Significance of sweet rice garland

करवा चौथ का व्रत उत्तर भारतीय त्योहार है, लेकिन दक्षिण भारत में इसे करक चतुर्थी के रूप में मनाया जाता है। तमिलनाडु में इस रस्म को निभाने का अर्थ है कि वे अपने त्योहार में दक्षिण की स्थानीय सामग्री और पारंपरिक पहनावे को शामिल करके इसे अपनी संस्कृति के अनुरूप ढालते हैं, जिससे यह परंपरा और भी खास बन जाती है।

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Image Credit- Freepik


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