Bihari Wedding Ritual: बिहारी शादी में क्यों की जाती है कोहरत भात की रस्म? जानें विवाह से पहले क्यों एक ही बार भोजन कर सकती है दुल्हन

बिहार में शादी की परंपरा अलग रीति-रीवाज के साथ होती है। वहीं शादियों में कई तरह की रस्में भी विभिन्न तरह से निभाई जाती है। जो पीढ़ी दर पीढ़ी चलती आ रही है। अब ऐसे में सवाल है कि बिहारी शादी में कोहरत भात की रस्म इतना महत्वपूर्ण क्यों मानी जाती है और विवाह से पहले दुल्हन केवल एक बार ही क्यों भोजन खाती है। इसके बारे में इस लेख में विस्तार से जानते हैं। 
significance and tradition of kohrat bhaat ritual performed in bihari wedding relation with maa sita

सभी राज्यों में विवाह से लेकर हर छोटी-छोटी विधियां अलग-अलग तरह से मनाई जाती है। अगर बात करें, बिहार की रीति-रीवाज की तो इस राज्य में कई ऐसे तीज-त्योहार, व्रत और मांगलिक कार्य हैं, जिसे विभिन्न तरह से मनाने की परंपरा है। कई ऐसी मान्यताएं जिसे परिवार के सदस्य अलग-अलग तरह से निभाते हैं। अगर बात करें बिहार में होने वाली शादी की रस्म भी तरह -तरह के होते हैं। इन्हें में से एक बिहार की शादी में कोहरत भात की है। आपको बता दें, यह भात विशेष रूप से एक समय मनाई जाती है। आइए इस लेख में ज्योतिषाचार्य पंडित अरविंद त्रिपाठी से विस्तार से जानते हैं।

कोहरत भात की रस्म क्या और क्यों होती है?

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बिहार की शादी से पहले कोहरत भात की रस्म पूरी विधि-विधान के साथ मनाई जाती है। यह दुल्हन के लिए रस्म बेहद महत्वपूर्ण मानी जाती है। यह रस्म में दुल्हन को भात और दही खिलाई जाती है। इस अवसर पर चावल बनाने के लिए मामा के घर से आता है और इसे आंगन में मिट्टी के चूल्हे पर मिट्टी के बर्तन में बनाई जाती है और जब चावल पक जाते हैं, तब दुल्हन को बैठाया जाता है और उसे केले के पत्ते पर दही और भात परोसा जाता है। बता दें, कोहरत भात की रस्म शादी से पहले होती है और यह खाना खाने के बाद दुल्हन सीधा अब शादी के बाद अपने पति के साथ भोजन करती है।

कोहरत भात की रस्म के बाद दुल्हन क्यों नहीं कर सकती है भोजन

मान्यताओं के अनुसार, कोहरत भात की रस्म से पहले दुल्हन को कुछ समय के लिए उपवास रखना होता है। यह व्रत नए जीवन में प्रवेश करने का प्रतीक माना जाता है। ज्योतिष शास्त्र में दही और भात को शांति का प्रतीक माना जाता है। यह शुक्र ग्रह का कारक माने जाते हैं। शुक्र ग्रह रिश्ते, भौतिक सुख, प्रेम जीवन, नए आगमन का प्रतीक माना जाता है। ऐसी मान्यता है कोहरत भात विवाह से पहले दुल्हन को पहले खिलाया जाता है और उसके बाद वह अपने पति के साथ भोजन करती हैं। यह शुभता, सुखी वैवाहिक जीवन और नए जीवन के आगमन का प्रतीक है।

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रामायण में है कोहरत भात का वर्णन

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धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, कोहरत भात का वर्णन रामायण में किया गया है। ऐसा कहा जाता है कि विवाह से पहले माता सीता ने भी कोहरत भात खाई थी। यह शुद्धता धैर्य और नए जीवन का कारक माना जाता है।

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Image Credit- HerZindagi

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