श्री शिव चालीसा का पाठ | Shiv Chalisa in Hindi

Shiv Chalisa Lyrics in Hindi:  श्री शिव चालीसा में भगवान शिव को समर्पित 40 छंद हैं। ऐसा माना जाता है कि इसका नियमित पाठ करने से मन को शांति मिलती है, संकटों का निवारण होता है और सुख-समृद्धि की प्राप्ति होती है। 
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हिंदू धर्म में चालीसा पाठ का बहुत खास और गहरा महत्व है। इसे किसी भी देवी-देवता को खुश करने का एक आसान और आजमाया हुआ तरीका माना जाता है। इसी तरह, भगवान शिव की चालीसा भी उनके भक्तों के लिए अनंत कृपा के द्वार खोलती है।

यह केवल 40 छंदों का संग्रह नहीं, बल्कि भगवान शिव की असीम महिमा, शक्ति और करुणा का संक्षिप्त और प्रभावशाली वर्णन है। इस चालीसा के माध्यम से भक्त भगवान शिव के विभिन्न रूपों, उनकी लीलाओं और भक्तों के प्रति उनकी दयालुता का स्मरण करते हैं।

ज्योतिषाचार्य राधाकांत वत्स ने हमें बताया कि शिव चालीसा का पाठ यूं तो रोजाना करना चाहिए लेकिन अगर रोजाना कर पाना संभव न हो तो शिव चालीसा का पाठ हर सोमवार को अवश्य करें।

शास्त्रों में उल्लेख मिलता है कि शिव चालीसा का पाठ हर सोमवार को पूर्ण श्रद्धा से किया जाए तो इससे शिव जी का भरपूर आशीर्वाद मिलता है, सोया हुआ भाग्य भी जाग जाता है, व्यक्ति की हर मनोकामना पूरी हो जाती है। साथ ही, शिव के प्रति भक्ति और आध्यात्म में भी बढ़ोतरी होती है।

श्री शिव चालीसा का पाठ(Shiv Chalisa in Hindi)

kya hain shiv chalisa path ke labh

||दोहा||

जय गणेश गिरिजा सुवन, मंगल मूल सुजान।
कहत अयोध्यादास तुम, देहु अभय वरदान ॥

||चौपाई||

जय गिरिजा पति दीन दयाला । सदा करत सन्तन प्रतिपाला ॥
भाल चन्द्रमा सोहत नीके । कानन कुण्डल नागफनी के ॥
अंग गौर शिर गंग बहाये । मुण्डमाल तन क्षार लगाए ॥
वस्त्र खाल बाघम्बर सोहे । छवि को देखि नाग मन मोहे ॥

मैना मातु की हवे दुलारी । बाम अंग सोहत छवि न्यारी ॥
नन्दि गणेश सोहै तहँ कैसे । सागर मध्य कमल हैं जैसे ॥
कार्तिक श्याम और गणराऊ । या छवि को कहि जात न काऊ ॥
देवन जबहीं जाय पुकारा । तब ही दुख प्रभु आप निवारा ॥

किया उपद्रव तारक भारी । देवन सब मिलि तुमहिं जुहारी ॥
तुरत षडानन आप पठायउ । लवनिमेष महँ मारि गिरायउ ॥
आप जलंधर असुर संहारा । सुयश तुम्हार विदित संसारा ॥
त्रिपुरासुर सन युद्ध मचाई । सबहिं कृपा कर लीन बचाई ॥

किया तपहिं भागीरथ भारी । पुरब प्रतिज्ञा तासु पुरारी ॥
दानिन महँ तुम सम कोउ नाहीं । सेवक स्तुति करत सदाहीं ॥
वेद नाम महिमा तव गाई। अकथ अनादि भेद नहिं पाई ॥
प्रकटी उदधि मंथन में ज्वाला । जरत सुरासुर भए विहाला ॥

कीन्ही दया तहं करी सहाई । नीलकण्ठ तब नाम कहाई ॥
पूजन रामचन्द्र जब कीन्हा । जीत के लंक विभीषण दीन्हा ॥
सहस कमल में हो रहे धारी । कीन्ह परीक्षा तबहिं पुरारी ॥
एक कमल प्रभु राखेउ जोई । कमल नयन पूजन चहं सोई ॥

कठिन भक्ति देखी प्रभु शंकर । भए प्रसन्न दिए इच्छित वर ॥
जय जय जय अनन्त अविनाशी । करत कृपा सब के घटवासी ॥
दुष्ट सकल नित मोहि सतावै । भ्रमत रहौं मोहि चैन न आवै ॥
त्राहि त्राहि मैं नाथ पुकारो । येहि अवसर मोहि आन उबारो ॥

लै त्रिशूल शत्रुन को मारो । संकट से मोहि आन उबारो ॥
मात-पिता भ्राता सब होई । संकट में पूछत नहिं कोई ॥
स्वामी एक है आस तुम्हारी । आय हरहु मम संकट भारी ॥
धन निर्धन को देत सदा हीं । जो कोई जांचे सो फल पाहीं ॥

अस्तुति केहि विधि करैं तुम्हारी । क्षमहु नाथ अब चूक हमारी ॥
शंकर हो संकट के नाशन । मंगल कारण विघ्न विनाशन ॥
योगी यति मुनि ध्यान लगावैं । शारद नारद शीश नवावैं ॥
नमो नमो जय नमः शिवाय । सुर ब्रह्मादिक पार न पाय ॥

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जो यह पाठ करे मन लाई । ता पर होत है शम्भु सहाई ॥
ॠनियां जो कोई हो अधिकारी । पाठ करे सो पावन हारी ॥
पुत्र हीन कर इच्छा जोई । निश्चय शिव प्रसाद तेहि होई ॥
पण्डित त्रयोदशी को लावे । ध्यान पूर्वक होम करावे ॥

त्रयोदशी व्रत करै हमेशा ।ताके तन नहीं रहै कलेशा ॥
धूप दीप नैवेद्य चढ़ावे । शंकर सम्मुख पाठ सुनावे ॥
जन्म जन्म के पाप नसावे । अन्त धाम शिवपुर में पावे ॥
कहैं अयोध्यादास आस तुम्हारी । जानि सकल दुःख हरहु हमारी ॥

||दोहा||

नित्त नेम कर प्रातः ही,पाठ करौं चालीसा ।
तुम मेरी मनोकामना,पूर्ण करो जगदीश ॥
मगसर छठि हेमन्त ॠतु,संवत चौसठ जान ।
अस्तुति चालीसा शिवहि,पूर्ण कीन कल्याण ॥

|| श्री शिव चालीसा सम्पूर्ण ||

शिव चालीसा पाठ का महत्व

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शिव चालीसा का पाठ आध्यात्मिक विकास के लिए अत्यंत लाभकारी है। यह मन को शांत करता है, तनाव और नकारात्मक विचारों को दूर करता है और सकारात्मक ऊर्जा का संचार करता है। चालीसा के माध्यम से भक्त भगवान शिव के विभिन्न स्वरूपों, उनकी महिमा और उनके कार्यों का स्मरण करता है जिससे उसकी भक्ति और श्रद्धा में वृद्धि होती है। यह एकाग्रता और मानसिक स्पष्टता को बढ़ाता है, जिससे ध्यान और साधना में गहराई आती है। नियमित पाठ से व्यक्ति को आंतरिक शांति और मोक्ष की प्राप्ति का मार्ग प्रशस्त होता है।

मान्यता है कि शिव चालीसा का पाठ करने से जीवन की सभी बाधाएं और कठिनाइयां दूर होती हैं। यह भय, रोग, और शत्रुओं से मुक्ति दिलाता है। जो भक्त सच्ची श्रद्धा और विश्वास के साथ शिव चालीसा का पाठ करता है उसकी सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं। चाहे वह धन प्राप्ति की इच्छा हो, संतान प्राप्ति की कामना हो या नौकरी और व्यापार में तरक्की की आकांक्षा हो शिव चालीसा का पाठ इन सभी क्षेत्रों में सकारात्मक परिणाम देता है। ग्रहों के बुरे प्रभावों को कम करने और घर में सुख-समृद्धि लाने में भी यह सहायक होता है।

शिव चालीसा का पाठ शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य के लिए भी लाभकारी माना जाता है। यह विभिन्न प्रकार के रोगों से मुक्ति दिलाने और व्यक्ति को सशक्त बनाने में मदद करता है। इसके नियमित पाठ से नकारात्मक शक्तियों, भूत-प्रेत बाधाओं और दुःस्वप्नों से सुरक्षा मिलती है। यह व्यक्ति के मन में साहस और शक्ति का संचार करता है जिससे वह किसी भी चुनौती का सामना करने में सक्षम होता है।

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शिव चालीसा पाठ के नियम

kaise kare shiv chalisa ka path

सबसे पहले और सबसे जरूरी बात है शारीरिक और मानसिक शुद्धता। पाठ करने से पहले आपको स्नान करना चाहिए और साफ कपड़े पहनने चाहिए। यह दिखाता है कि आप भगवान के प्रति सम्मान रखते हैं और पाठ के लिए तैयार हैं। मानसिक रूप से भी आपको शांत और एकाग्र रहने की कोशिश करनी चाहिए। अपने मन से नकारात्मक विचारों को दूर करें और पूरी श्रद्धा से पाठ करने का संकल्प लें।

जब आप पाठ शुरू करें, तो सबसे पहले अपने मन में भगवान शिव का ध्यान करें। आप उनकी छवि या मूर्ति का ध्यान कर सकते हैं। इसके बाद, चालीसा के सभी 40 छंदों का स्पष्ट और सही उच्चारण करें। यह महत्वपूर्ण है कि आप शब्दों को सही तरीके से बोलें ताकि उनका पूरा अर्थ और प्रभाव मिल सके। आप चाहें तो एक बार में एक से अधिक बार भी चालीसा का पाठ कर सकते हैं, जैसे 3, 5, 7, 11 या 108 बार।

पाठ करते समय मन को एकाग्र रखना बहुत जरूरी है। आपका ध्यान शब्दों पर और उनके अर्थ पर होना चाहिए। बीच-बीच में मन को भटकने न दें। अगर मन भटकता है तो उसे धीरे से वापस पाठ पर ले आएं। सच्ची श्रद्धा और विश्वास के साथ किया गया पाठ ही सबसे अधिक फलदायी होता है। आप पाठ के बाद भगवान शिव को प्रणाम करें और अपनी मनोकामनाएं कहें।

शिव चालीसा का पाठ करने के लिए सही स्थान का चुनाव भी महत्वपूर्ण है। आपको एक शांत और स्वच्छ जगह पर बैठकर पाठ करना चाहिए, जहां आपको कोई परेशान न करे। यह घर का पूजा घर हो सकता है या कोई भी ऐसा कोना जहां आप शांति महसूस करते हों। बैठते समय आपका मुख पूर्व दिशा की ओर होना शुभ माना जाता है।

समय की बात करें तो ब्रह्म मुहूर्तया प्रदोष कालशिव चालीसा के पाठ के लिए सबसे उत्तम माने जाते हैं। इन समयों में वातावरण शांत होता है और आध्यात्मिक ऊर्जा अधिक प्रभावी मानी जाती है। हालांकि, अगर आप इन समयों पर पाठ नहीं कर सकते, तो दिन के किसी भी शांत समय में आप इसका पाठ कर सकते हैं।

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image credit: herzindagi

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FAQ

  • कितनी बार शिव चालीसा का पाठ करना चाहिए?

    शिव चालीसा का पाठ 3, 5, 11 या 40 बार कर सकते हैं।
  • शिव चालीस का पाठ करने के क्या होते हैं लाभ?

    शिव चालिसा का पाठ करने से आपके जीवन से आर्थिक संकट की समस्या कम हो जाती है। साथ ही, विवाह में आने वाली रुकावटे भी कम हो जाती है।
  • शिव चालीसा का पाठ कब करना चाहिए?

    शिव चालीसा का पाठ सुबह स्नान करने के बाद और शाम या रात्रि के समय करना सबसे अच्छा माना जाता है।