इन खास योगों में पड़ रही है जून की संकष्टी चतुर्थी... जानें तिथि, शुभ मुहूर्त और महत्व

जून 2025 में संकष्टी चतुर्थी आषाढ़ माह में पड़ रही है और इसे कृष्णपिङ्गल संकष्टी चतुर्थी के नाम से जाना जाता है। आइये जानते हैं जून संकष्टी चतुर्थी की तिथि, शुभ मुहूर्त, शुभ योग और महत्व के बारे में।   
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जून में आने वाली संकष्टी चतुर्थी का विशेष महत्व है क्योंकि इस दिन भगवान गणेश की पूजा की जाती है, जिन्हें विघ्नहर्ता यानी सभी बाधाओं को दूर करने वाला माना जाता है। यह व्रत हर महीने के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को रखा जाता है और इस दिन भक्त सच्चे मन से गणपति बप्पा की आराधना करके अपने जीवन की सारी परेशानियां दूर करने की प्रार्थना करते हैं। जून 2025 में यह संकष्टी चतुर्थी आषाढ़ माह में पड़ रही है और इसे कृष्णपिङ्गल संकष्टी चतुर्थी के नाम से जाना जाता है। ऐसे में आइये जानते हैं ज्योतिषाचार्य राधाकांत वत्स से कि इस साल जून में कब पड़ रही है संकष्टी चतुर्थी, क्या है इस दिन पूजा का शुभ मुहूर्त, कौन-कौन से योग बन रहे हैं इस दिन और क्या है इसका महत्व।

जून संकष्टी चतुर्थी 2025 कब है?

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आषाढ़ माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि का आरंभ 14 जून, शनिवार के दिन दोपहर 03 बजकर 46 मिनट पर होगा। वहीं, इसका समापन 15 जून, रविवार के दिन दोपहर 03 बजकर 51 मिनट पर होगा। यूं तो उदया तिथि के अनुसार संकष्टी चतुर्थी 15 जून को मनानी चाहिए लेकिन चंद्रमा की पूजा तिथि के आधार पर संकष्टी चतुर्थी का व्रत 14 जून को रखा जाएगा।

जून संकष्टी चतुर्थी 2025 शुभ मुहूर्त

कृष्णपिङ्गल संकष्टी चतुर्थी यानी कि 14 जून के दिन ब्रह्म मुहूर्त सुबह 04 बजकर 02 मिनट से सुबह 04 बजकर 43 मिनट तक रहेगा। इस मुहूर्त में पवित्र नदी में स्नान, दान और पूजा का संकल्प लेना शुभ सिद्ध होगा। इसके अलावा, इस दिन पूजा के लिए अभिजित मुहूर्त सुबह 11 बजकर 54 मिनट से दोपहर 12 बजकर 49 मिनट तक रहेगा। यह समय पूजा के लिए श्रेष्ठ है।

वहीं, कृष्णपिङ्गल संकष्टी चतुर्थी के दिन विजय मुहूर्त दोपहर 02 बजकर 41 मिनट से दोपहर 03 बजकर 37 मिनट तक रहेगा। इस मुहूर्त में गणेश जी को 11 दूर्वा की गांठें अर्पित करने से हर कार्य में सफलता मिलेगी। संकष्टी चतुर्थी का व्रत चंद्रमा के दर्शन और अर्घ्य देने के बाद ही पूरा होता है। ऐसे में चंद्रमा के निकलने का समय रात 10 बजकर 07 मिनट है।

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जून संकष्टी चतुर्थी 2025 शुभ योग

जून की कृष्णपिङ्गल संकष्टी चतुर्थी के दिन कई शुभ योगों का निर्माण भी हो रहा है। इस दिन ब्रह्म योग, इंद्र योग, सर्वार्थ सिद्धि योग और शिववास योग एक साथ निर्मित होने जा रहे हैं। जहां एक ओर ब्रह्म योग प्रातःकाल से लेकर दोपहर 01 बजकर 13 मिनट तक रहेगा, तो वहीं इंद्र योग दोपहर 01 बजकर 13 मिनट से रात तक रहेगा। ये दोनों योग शुभ कार्य हेतु उत्तम माने जाते हैं।

जून की कृष्णपिङ्गल संकष्टी चतुर्थी के दिन सर्वार्थ सिद्धि योग का निर्माण देर रात 12 बजकर 22 मिनट से 15 जून को सुबह 05 बजकर 23 मिनट तक रहेगा। इसके अलावा, शिववास योग दोपहर 03 बजकर 46 मिनट से तिथि समापन तक रहेगा। इन दोनों योगों में किसी मनोकामना की पूर्ति हेतु संकल्प लेकर पूजा की जाए तो वह अवश्य पूरी होती है और गणेश जी की कृपा मिलती है।

यह भी पढ़ें:गणेश जी की पूजा कैसे करें? जानें संपूर्ण विधि और सामग्री

जून संकष्टी चतुर्थी 2025 महत्व

जून में पड़ने वाली कृष्णपिङ्गल संकष्टी चतुर्थी का व्रत रख भगवान श्री गणेश की पूजा करने से व्यक्ति के सभी रुके हुए काम पूरे होते हैं, घर में सुख-शांति आती है और आर्थिक परेशानियां दूर होती हैं। मान्यता है कि इस दिन व्रत करने से संतान से संबंधित सभी कष्ट भी दूर हो जाते हैं और उन्हें लंबी उम्र मिलती है। साथ ही, श्री गणेश का आशीर्वाद हमेशा व्यक्ति और उसके परिवार पर बना रहता है।

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image credit: herzindagi

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FAQ

  • संकष्टी चतुर्थी के दिन गणेश जी को क्या भोग लगायें?

    संकष्टी चतुर्थी के दिन गणेश जी को मोदक, हलवे और खीर का भोग लगा सकत हैं।