हरियाली अमावस्या, जिसे श्रावणी अमावस्या भी कहते हैं, हिंदू धर्म में एक विशेष महत्व रखती है। यह सावन मास की अमावस्या तिथि को पड़ती है और इस दिन प्रकृति की हरियाली का उत्सव मनाया जाता है। यह दिन न केवल पितरों की शांति के लिए अत्यंत शुभ माना जाता है बल्कि ज्योतिषीय दृष्टिकोण से भी इसका विशेष महत्व है। इस साल हरियाली अमावस्या 24 जुलाई को पड़ रही है। इस दिन कुछ विशेष उपाय करने से राहु के अशुभ प्रभाव और पितृ दोष जैसी समस्याओं से मुक्ति पाई जा सकती है। अगर आप राहु के कोप या पितरों के क्रोध से परेशान हैं तो ज्योतिषाचार्य राधाकांत वत्स द्वारा बताये गए हरियाली अमावस्या के ये 5 उपाय आपके लिए बहुत फायदेमंद साबित हो सकते हैं।
हरियाली अमावस्या के 5 उपाय
हरियाली अमावस्या का दिन पितरों को समर्पित होता है। इस दिन पितरों का तर्पण और श्राद्ध करना अत्यंत पुण्यकारी माना जाता है। किसी पवित्र नदी में स्नान के बाद तर्पण करें या घर पर ही दक्षिण दिशा की ओर मुख करके जल, तिल और कुश से तर्पण करें। पितरों के नाम से ब्राह्मणों को भोजन कराना, वस्त्र दान करना या गरीबों को अनाज दान करना भी बहुत शुभ होता है। ऐसा करने से पितृ दोष से मुक्ति मिलती है और पितरों का आशीर्वाद प्राप्त होता है जिससे घर में सुख-शांति और समृद्धि आती है।
पीपल के पेड़ को त्रिदेवों का वास माना जाता है और यह पितरों का भी प्रतिनिधित्व करता है। हरियाली अमावस्या के दिन पीपल के पेड़ की पूजा करना और उसकी 108 बार परिक्रमा करना बहुत फलदायी होता है। परिक्रमा करते समय 'ॐ नमो भगवते वासुदेवाय' मंत्र का जाप करें। पीपल को जल चढ़ाएं और शाम को सरसों के तेल का दीपक जलाएं। ऐसा करने से पितृ दोष शांत होता है और राहु-केतु के अशुभ प्रभाव भी कम होते हैं, क्योंकि पीपल को राहु के प्रभावों को शांत करने वाला भी माना जाता है।
जैसा कि नाम से ही स्पष्ट है, हरियाली अमावस्या का संबंध हरियाली से है। इस दिन पौधे लगाना अत्यंत शुभ माना जाता है। तुलसी, नीम, पीपल, बरगद, आंवला जैसे पेड़ लगाना या कोई भी फलदार वृक्ष लगाना बहुत लाभकारी होता है। माना जाता है कि ऐसा करने से कुंडली के नवग्रह दोष शांत होते हैं, विशेषकर राहु और केतु के बुरे प्रभाव कम होते हैं। यह पर्यावरण के लिए भी अच्छा है और इसके पुण्य फल कई पीढ़ियों तक मिलते हैं।
अगर आप राहु के कोप से परेशान हैं या भय और अनिश्चितता महसूस करते हैं, तो हरियाली अमावस्या पर हनुमान जी की पूजा करना बहुत प्रभावी होता है। हनुमान मंदिर में जाकर सिंदूर का चोला चढ़ाएं और हनुमान चालीसा या सुंदरकांड का पाठ करें। हनुमान जी की पूजा से राहु के नकारात्मक प्रभाव कम होते हैं और व्यक्ति को साहस, शक्ति और आत्मविश्वास प्राप्त होता है। यह उपाय उन लोगों के लिए विशेष रूप से लाभकारी है जिनकी कुंडली में राहु अशुभ स्थिति में है।
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अमावस्या तिथि पर गरीबों और जरूरतमंदों को दान करना हमेशा ही पुण्यकारी होता है, लेकिन हरियाली अमावस्या पर इसका विशेष महत्व है। इस दिन काले वस्त्र, तिल, उड़द की दाल, तेल आदि का दान करने से शनि और राहु के दुष्प्रभाव कम होते हैं। भोजन दान करने से पितर प्रसन्न होते हैं। दान करने से न केवल आपके कर्म सुधरते हैं, बल्कि ग्रह भी शांत होते हैं और आपकी परेशानियों का अंत होता है।
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image credit: herzindagi
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