हिंदू पंचांग में भाद्रपद मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को जन्माष्टमी मनाई जाती है। इस दिन भगवान श्रीकृष्ण का जन्म हुआ था। इस दिन लोग पूरे दिन व्रत रखते हैं और रात 12 बजे भगवान कृष्ण के जन्म का जश्न मनाते हैं। अब ऐसे में जन्माष्टमी कब है, किस दिन व्रत रखा जाएगा और शुभ पूजा मुहूर्त क्या है। इसके बारे में ज्योतिषाचार्य पंडित अरविंद त्रिपाठी विस्तार से बताएंगे।
इस साल जन्माष्टमी की दो तिथियां पड़ रही है। हिंदू पंचांग में कृष्ण पक्ष की जन्माष्टमी दिनांक 06 सितंबर दिन बुधवार (बुधवार उपाय)के दिन शुरु होगी, जो अगले दिन दिनांक 07 सितंबर दिन गुरुवार तक चलेगी, लेकिन दो तारीख होने के कारण जन्माष्टमी का व्रत कब रखा जाएगा। ये अभी संशय में है।
कृष्ण जन्माष्टमी तिथि की शुरुआत दिनांक 06 सितंबर दिन बुधवार को दोपहर 03 बजकर 37 मिनट से लेकर अगले दिन दिनांक 07 सितंबर दिन गुरुवार को शाम 04 बजकर 14 मिनट पर होगा। वहीं जन्माष्टमी पर मध्यरात्रि पूजा का समय रात 12 बजकर 02 मिनट से लेकर 12 बजकर 48 मिनट तक रहेगा। कृष्ण जन्माष्टमी के दिन भगवान कृष्ण की पूजा-अर्चना करने से व्यक्ति की सभी मनोकामना पूरी हो जाती है और घर में सुख-समृद्धि का वास होता है।
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श्रीकृष्ण जन्माष्टमी के दिन मंदिरों में बहुत रौनक होती है। इस दिन मंदिर सजाएं जाते हैं। भगवान कृष्ण की झाकियां निकाली जाती है। कई जगहों पर दही हांडी का भी आयोजन किया जाता है।
इस दिन व्रत रखें और भगवान कृष्ण को पंचामृत (पंचामृत) से स्नान कराएं और स्नान कराने के बाद उन्हें पसंदीदा पोशाक पहनाएं। साथ ही कीर्तन करें और लड्डू, माखन, मेवा मिलाकर 56 भोग लगाएं। इससे भगवान कृष्ण बेहद प्रसन्न होते हैं और व्यक्ति की सभी इच्छा पूरी कर देते हैं।
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ऐसी मान्यता है कि कृष्ण जन्माष्टमी पर भगवान कृष्ण की पूजा-अर्चना करने से व्यक्ति की सभी मनोकामना पूरी हो जाती है और उनके आशीर्वाद की भी प्राप्ति होती है। इसके साथ व्यक्ति की आर्थिक स्थिति में भी पहले से सुधार हो सकता है। इस दिन जो लोग व्रत रखते हैं। वह मध्यरात्रि में पूरे विधि-विधान के साथ व्रत रखें और अपनी श्रद्धानुसार भगवान कृष्ण को भोग लगाएं और उसे प्रसाद के रूप में सभी को बांटें।
जन्माष्टमी के दिन इस मंत्र का 108 बार जाप करें।
"ऊं श्रीं नमः श्रीकृष्णाय परिपूर्णतमाय स्वाहा"
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