
हिंदू धर्म में पौष पुत्रदा एकादशी का विशेष महत्व है जो हर साल पौष मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को मनाई जाती है। यह एकादशी विशेष रूप से उन दंपत्तियों के लिए वरदान मानी जाती है जो संतान प्राप्ति की कामना रखते हैं या अपनी संतान के उज्ज्वल भविष्य और सौभाग्य की इच्छा रखते हैं। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, इस दिन भगवान विष्णु की विधि-विधान से पूजा और व्रत करने से वाजपेय यज्ञ के समान पुण्य फल प्राप्त होता है। ज्योतिष शास्त्र में भी इस दिन को ग्रहों की शांति और सकारात्मक ऊर्जा के संचार के लिए अत्यंत शुभ माना गया है। अगर इस दिन शुद्ध मन से विशेष मंत्रों का जाप किया जाए तो भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की कृपा से संतान के जीवन की सभी बाधाएं दूर होती हैं और उनके जीवन में सुख, समृद्धि और उन्नति का मार्ग प्रशस्त होता है। ऐसे में वृंदावन के ज्योतिषाचार्य राधाकांत वत्स से आइये जानते हैं पौष पुत्रदा एकादशी के दिन किन मंत्रों का जाप करें और क्या हैं उससे मिलने वाले लाभ?
पौष पुत्रदा एकादशी के दिन मंत्रों का जाप करने से न केवल मानसिक शांति मिलती है बल्कि यह घर के वातावरण को भी दिव्य बनाता है। अगर आप अपनी संतान की उन्नति चाहते हैं तो इन मंत्रों का जाप अवश्य करें।

अगर कोई दंपति संतान की कामना कर रहा है तो उन्हें 'ॐ क्लीं कृष्णाय नमः' या 'ॐ देवकीसुत गोविंद वासुदेव जगत्पते, देहि मे तनयं कृष्ण त्वामहं शरणं गतः' मंत्र का जाप करना चाहिए। यह मंत्र भगवान कृष्ण के बाल स्वरूप को समर्पित है और अत्यंत प्रभावशाली माना जाता है।
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संतान के जीवन में आने वाली बाधाओं को दूर करने के लिए 'ॐ नमो भगवते वासुदेवाय' मंत्र का जाप सबसे सरल और उत्तम है। इस महामंत्र के जाप से भगवान विष्णु का संरक्षण प्राप्त होता है और बच्चे के करियर व स्वास्थ्य में सुधार आता है।

मंत्रों का पूर्ण फल प्राप्त करने के लिए उन्हें सही विधि से जपना आवश्यक है। एकादशी के दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान करें और पीले वस्त्र धारण करें। इसके बाद भगवान विष्णु की प्रतिमा के सामने घी का दीपक जलाएं और तुलसी की माला से कम से कम 108 बार संबंधित मंत्र का जाप करें।
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जाप के दौरान अपना मुख पूर्व या उत्तर दिशा की ओर रखें। ध्यान रहे कि एकादशी के दिन सात्विक व्यवहार बनाए रखें और किसी के प्रति मन में द्वेष न लाएं। एकादशी के दिन मंत्र जाप के साथ-साथ पीले फूलों और फलों का भोग लगाना और श्री विष्णु सहस्रनाम का पाठ करना भी संतान के लिए सौभाग्य के द्वार खोलता है।
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