
पौष पुत्रदा एकादशी का व्रत सनातन धर्म में अत्यंत महत्वपूर्ण माना जाता है। यह एकादशी वर्ष में दो बार आती है जिसमें से पौष मास के शुक्ल पक्ष में पड़ने वाली एकादशी को संतान प्राप्ति और उनकी उन्नति के लिए विशेष फलदायी माना गया है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, जो दंपति संतान सुख से वंचित हैं या जिनकी संतान के जीवन में बाधाएं आ रही हैं उनके लिए यह व्रत किसी वरदान से कम नहीं है। वर्ष 2025 की अंतिम एकादशी होने के कारण इसका महत्व और भी बढ़ गया है। वृंदावन के ज्योतिषाचार्य राधाकांत वत्स ने हमें बताया कि पौष पुत्रदा एकादशी का व्रत जितना महत्वपूर्ण है उतना ही महत्वपूर्ण है एकादशी का पारण। ऐसे में आइये जानते हैं कि पौष पुत्रदा एकादशी के व्रत का पारण कब होगा?
एकादशी तिथि का व्रत पान हमेशा द्वादशी तिथि के दिन किया जाता है। पंचांग के अनुसार, पौष पुत्रदा एकादशी तिथि का समापन 31 दिसंबर, बुधवार के दिन सुबह 5 बजे हो रहा है। इसके बाद द्वादशी तिथि आरंभ हो जाएगी। ऐसे में 31 दिसंबर को व्रत का पारण दोपहर 01 बजकर 29 मिनट से लेकर दोपहर 03 बजकर 33 मिनट के बीच होगा।

इस बार पौष पुत्रदा एकादशी पर कई मंगलकारी योग बन रहे हैं जो इस दिन की शक्ति को कई गुना बढ़ा देते हैं। पौष पुत्रदा एकादशी के व्रत पारण वाले दिन यानी कि 31 दिसंबर को सर्वार्थ सिद्धि योग का निर्माण सुबह 7 बजकर 14 मिनट से हो रहा है और यह योग अगले दिन यानी कि 1 जनवरी 2026 को सुबह 7 बजकर 14 मिनट तक रहेगा।
इसके अलावा, पौष पुत्रदा एकादशी के वर्त पारण वाले दिन रवि योग का निर्माण भी हो रहा है। रवि योग को ज्योतिष में बहुत प्रभावशाली माना जाता है क्योंकि इसमें सूर्य की ऊर्जा का विशेष प्रभाव होता है जो अशुभ दोषों और बाधाओं को नष्ट करने की शक्ति रखता है। इस योग में एकादशी का व्रत पारण करने से पूजा में उत्पन्न हुए छोटे-मोटे दोष दूर हो जाएंगे।
पौष पुत्रदा एकादशी के व्रत का पारा करने के बाद जो दान किया जाता है वह हमेशा संध्याकाल के समय करना चाहिए क्योंकि द्वादशी तिथि पर संध्याकाल में किया गया दान घर में लक्ष्मी वास स्थापित करता है। ऐसे में द्वादशी तिथि यानी कि 31 दिसंबर को व्रत पारण के बाद का दान शाम 4 बजकर 12 मिनट से शाम 6 बजकर 31 मिनट के बीच का है।

व्रत के दौरान और पारण से पूर्व 'ॐ श्रीं ह्रीं क्लीं ग्लौं देवकीसुत गोविन्द वासुदेव जगत्पते देहि मे तनयं कृष्ण त्वामहं शरणं गतः' मंत्र का जाप करें। पारण के समय तुलसी पत्र और जल ग्रहण कर व्रत खोलना शुभ होता है। एकादशी का व्रत पारण करते समय भगवान विष्णु को दक्षिणावर्ती शंख से जल अर्पित करें और उन्हें मखाने की खीर या पीले फलों का भोग लगाएं।
अगर आपको यह स्टोरी अच्छी लगी है, तो इसे शेयर जरूर करें। ऐसी ही अन्य स्टोरी पढ़ने के लिए जुड़ी रहें हरजिंदगी से।
image credit: herzindagi
यह विडियो भी देखें
Herzindagi video
हमारा उद्देश्य अपने आर्टिकल्स और सोशल मीडिया हैंडल्स के माध्यम से सही, सुरक्षित और विशेषज्ञ द्वारा वेरिफाइड जानकारी प्रदान करना है। यहां बताए गए उपाय, सलाह और बातें केवल सामान्य जानकारी के लिए हैं। किसी भी तरह के हेल्थ, ब्यूटी, लाइफ हैक्स या ज्योतिष से जुड़े सुझावों को आजमाने से पहले कृपया अपने विशेषज्ञ से परामर्श लें। किसी प्रतिक्रिया या शिकायत के लिए, compliant_gro@jagrannewmedia.com पर हमसे संपर्क करें।