हमेशा से महिलाओं को कहा जाता रहा है कि उनके लिए अकेले घर से बाहर निकलना या यात्रा करना सेफ नहीं। यह दुनिया उनके लिए अकेले घूमने के लिए सही जगह नहीं है, खतरनाक है, अनजान लोग हैं, रास्ते मुश्किल हैं। लेकिन अब ऐसा लग रहा है कि यह पुरानी सोच धीरे-धीरे बदल रही है। आजकल हर जगह महिलाएं अपने बैग पैक करके अकेले सफर पर निकल रही हैं, नए-नए शहरों और देशों को एक्सप्लोर कर रही हैं और सबसे वह खुद की अलग पहचान बना रही हैं।
पहले सोलो ट्रैवल को बहुत बड़ा रिस्क समझा जाता था, लेकिन अब ये महिलाओं के लिए एक ताकत बन गया है। इससे वो साबित कर रही हैं कि वह सिर्फ इमोशनली वीक या दूसरों पर डिपेंड रहने वाली नहीं हैं। एक महिला अकेले ट्रैवल करती है, तो वो अपनी जिम्मेदारी खुद उठाती है। चाहे कोई नई भाषा हो, नया शहर हो या कोई रास्ते में प्रॉब्लम हो, इसमें वह घबराती नहीं, बल्कि उसे डील करना सीखती है। यही छोटी-छोटी चीजें ही उसे अंदर से मजबूत बनाती हैं। आइए एस्पेक्ट ग्लोबल वेंचर्स के एक्जीक्यूटिव चेयरपर्सन अक्ष काम्बोज से जानते हैं, कैसे सोलो ट्रैवल महिलाओं के लिए फायदेमंद है।
अकेले ट्रैवल करने फायदा यह है कि इससे महिलाएं अपने-आप के साथ वक्त बिता पाती हैं। ऑफिस का प्रेशर, घर की जिम्मेदारियां और बाकी लोगों की उम्मीदें, इन सबके बीच अक्सर उन्हें खुद को सुनने का वक्त नहीं मिलता, उनके लिए कभी खुद के लिए वक्त नहीं होता। लेकिन जब वो किसी बीच पर सूरज निकलते हुए देखती हैं, या किसी पहाड़ के गांव में बैठकर कॉफी पीते हुए डायरी लिखती हैं या ट्रेन में किसी अनजान से बातें करती हैं, तो उन्हें लगता है कि जिंदगी में खुद के लिए भी थोड़ी जगह बनानी जरूरी है।
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अक्सर महिलाएं अकेले रहने से डरती हैं, सोचती हैं कि अकेले खाना कैसे खाएंगी, क्या करेंगी, बातें किससे करेंगी। क्या वह अकेले सफर कर पाएंगी। लेकिन जब वो अकेले सफर करती हैं, तो धीरे-धीरे ये डर भी खत्म हो जाता है। उन्हें एहसास होता है कि फैसले खुद लेने का कितना अलग मजा है, अपनी मर्जी से घूमने का कितना सुकून है और सबसे बढ़कर, खुद के साथ खुश रहना कितना जरूरी है। ये कॉन्फिडेंस उनकी ट्रिप के बाद भी उनके लाइफस्टाइल में नजर आता है।
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अकेले घूमने से सिर्फ दुनिया पर नहीं, बल्कि खुद पर भी भरोसा बढ़ता है। जब कोई औरत नई-नई गलियों में रास्ता खोज लेती है या अचानक आई किसी प्रॉब्लम को बिना घबराए सॉल्व कर लेती है, तो उसे अंदर से बहुत स्ट्रॉन्ग फील होता है। ये स्ट्रेंथ उसके बोलने के तरीके, रिश्तों और फैसलों में दिखने लगता है। ये कोई पत्थरदिल बनने की बात नहीं है, बल्कि इमोशनली स्ट्रॉन्ग और खुद पर भरोसा रखने की बात है।
अब तो कई औरतों के ट्रेकिंग, अकेले यूरोप घूमने या इंडिया के गांवों में एक्सप्लोर करने की कहानियां सबको इंस्पायर कर रही हैं। इससे पता चलता है कि इमोशनल वेल-बीइंग तब आती है जब आप चुनौतियों से भागते नहीं, बल्कि उन्हें फेस करते हैं। अकेले ट्रिप प्लान करने के लिए टिप्स आपको फॉलो करने चाहिए।
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