बजट का नाम सुनते ही यूनियन बजट, फाइनेंस मिनिस्टर और उनके ब्लैक ब्रीफ केस की तस्वीरें जेहन में आने लगती हैं, लेकिन हम बजट को महिलाओं से शायद ही जोड़कर देखते हैं। लेकिन सवाल ये उठता है कि आखिर क्यों नहीं? जब घर के बजट की बात आती है, तो महिलाएं हमेशा पुरुषों से आगे ही रहती हैं। महिलाओं की वित्तीय समझ के आगे फाइनेंशियल एक्सपर्ट और मिंट, हॉपर, एमट्रैकर जैसे बजट ऐप्स भी फीके पड़ते नजर देते हैं। फिर ऐसा क्यों होता है कि भारत जैसे बड़े देश का बजट बनाए जाने के दौरान महिलाओं की राय नहीं ली जाती या फिर उसमें उनकी भूमिका बहुत छोटी होती है, जो आसानी से नजरअंदाज हो जाती है।
फरवरी के आते ही बजट के बारे में चर्चा शुरू हो जाती है। वार्षिक बजट का हर किसी को इंतजार रहता है, आखिर हर कोई जानना चाहता है कि मूवी टिकट अब कितने में मिलेगा। हो सकता है कि यह आपको छोटी बात लगे, लेकिन यहां हम बताने जा रहे हैं कि महिलाएं इस बार के बजट से क्या उम्मीद कर रही हैं। चाहें सेनिटरी नैपकिन की बात हो या फिर गर्ल चाइल्ड एजुकेशन की, एजुकेशन के लिए सुरक्षित माहौल की बात हो या फिर सेफ वर्क एन्वायरमेंट की, ये सभी मुद्दे महिलाओं को प्रभावित करते हैं।
साल 2018 के यूनियन बजट में रूरल डेवलपमेंट और जेंडर बजट पर प्राइमरी फोकस था। जेंडर बजट रिपोर्ट में यह बात कही गई कि महिलाएं एजुकेशन, हेल्थ और इकनॉमिक ऑपरच्युनिटीज के मामले में पुरुषों से पिछड़ रही हैं, जो असमानता की तरफ संकेत करता है और इससे महिलाओं की आर्थिक तरक्की भी प्रभावित होती है। सरकार 2019-20 का अंतरिम बजट पेश कर रही है, इस मौके पर हमने महिला एंट्रेप्रिन्योर्स और लीडर्स से पूछा कि इस साल वे बजट में सरकार से क्या उम्मीद रखते हैं।
सरकार से नई पहल की उम्मीद
Upasana Taku, जो मोबीक्विक की को-फाउंडर और डायरेक्टर हैं, ने हमें बताया, 'साल 2018 में फाइनेंशियल इन्क्लूशन के लिए कई घोषणाएं हुईं। वित्त मंत्री ने डिजिटल इंडिया के लिए एलोकेशन दोगुना करते हुए इस वित्त वर्ष के लिए बढ़ाकर 3,073 करोड़ कर दिया था। नए वित्त वर्ष में हम उम्मीद करते हैं कि 'मेक इन इंडिया' और 'डिजिटल इंडिया' के तहत और इनिशिएटिव्स की घोषणा की जाए। हम उम्मीद कर रहे हैं कि इस बजट में कार्ड और मोबाइल वॉलेट्स के जरिए ट्रांसेक्शन्स को बढ़ावा दिया जाए। सरकार ने हाल ही में 'कमेटी फॉर डिजिटल पेमेंट्स' बनाने की घोषणा की है और हमें उम्मीद है कि यह फाइनेंशियल सिस्टम्स के डिजिटलाइजेशन की प्रक्रिया को और तेज करेगा। इससे ज्यादा उपभोक्ताओं को डिजिटल ट्रांसेक्शन करने में सहूलियत मिलेगी। यूपीआई, इंडिया स्टैक आदि के साथ उम्मीदें और भी ज्यादा बढ़ गई हैं। मुझे इस बात की भी उम्मीद है कि दूर-दराज के इलाकों और गांवों को ऑप्टिक फाइबर नेटवर्क्स से कनेक्ट करने के लिए और टियर 2 शहरों में वाई-फाई स्पॉट बनाने के लिए स्पेसिफिक प्लान और बजट का आवंटन किया जाएगा। मुझे उम्मीद है कि सरकार स्टार्टअप पर फोकस बनाए रखेगी और ऐसे लोगों को बढ़ावा देगी, जो रोजगार सृजन के कामों में लगे हैं।'
लैंगिग समानता के लिए मिले समान वेतन
CashKaro.com की को-फाउंडर स्वाति भार्गव ईक्वल पे-पॉलिसी बनाए जाने की पक्षधर है, ताकि लैंगिग असमानता को मिटाया जा सके। स्वाति का कहना है, 'बीजेपी के नेतृत्व वाली एनडीए की सरकार अपना छठवां और आखिरी बजट पेश करने जा रही है, मैं चाहूंगी कि बजट 2019 में एमएसएमई सेक्टर के तहत महिला केंद्रित बजट एलोकेट किया जाए ताकि महिलाओं के लिए रोजगार बढ़े और महिलाओं की भर्ती की प्रक्रिया में होने वाले भेदभाव को मिटाया जा सके। ईक्वल पे-पॉलिसी और महिलाओं के लिए स्किल डेवलपमेंट प्रोग्राम्स के जरिए एक बड़ा बदलाव लाया जा सकता है। बजट में बेहतर इन्फ्रास्ट्रक्चर और महिलाओं के लिए पब्लिक सेफ्टी पर भी ध्यान दिए जाने की जरूरत है। कामकाज के लिए सुरक्षित माहौल बनाने के लिए अनिवार्य एंटी हैरसमेंट ट्रेनिंग भी दी जानी चाहिए।'
प्रेशस मेटल पर घटाई जाए इंपोर्ट ड्यूटी
Ornatejewels.com की फाउंडर शैली लूथरा को भी इस बार के अंतरिम बजट से काफी उम्मीदें हैं। उन्होंने कहा, 'हर बजट से काफी उम्मीदें होती हैं। इस साल हमें उम्मीद है कि हमें टैक्स में छूट के जरिए ज्यादा सपोर्ट मिलेगा। हमें उम्मीद है कि प्रेशस मेटल पर इंपोर्ट ड्यूटी घटाई जाए। आयातित चीजों पर इंपोर्ट ड्यूटी बढ़ाई गई थी। बेहतर होगा कि इसे सितंबर 2018 से पहले वाली स्टेज पर ले आया जाए, क्योंकि अभी बिजनेस को नुकसान पहुंच रहा है। महिलाए एंट्रेप्रिन्योर्स के लिए कम ब्याज पर फंड्स मुहैया कराए जाने चाहिए, टैक्स भी घटाए जाने चाहिए। इससे जॉब्स क्रिएट करने में सहूलियत होगी। इस समय में यह और भी ज्यादा जरूरी हो गया है कि महिला एंट्रेप्रिन्योर्स लाइमलाइट में आएं, क्योंकि यह समय सकारात्मक दिशा की तरफ ले जा रहा है। इस समय में महिलाओं के लिए बड़े पदों पर स्वीकार्यता बढ़ी है। बिजनेस वर्ल्ड में उन्हें लीडर के तौर पर स्वीकार किया जा रहा है। महिलाओं के लिए योजनाएं बनाने, उन्हें अच्छे मौके देने से अर्थव्यवस्था को आगे बढ़ाने में मदद मिलेगी।'
महिलाओं के लिए टैक्स ब्रेक दिए जाएं
फाइनेंशियल इंडिपेंडेंस महिला सशक्तीकरण की दिशा में एक सकारात्मक कदम है ताकि वे अपनी शर्तों पर जिंदगी जी सकें। इस बारे में Girlsgottaknow.in की डायरेक्टर और लॉयर तालिश रॉय ने अपनी प्रतिक्रिया जाहिर की। तालिश ने बताया, 'काम की तरफ वापस लौटने वाली महिलाओं के लिए टैक्स ब्रेक से बड़ी मदद मिलेगी। कई वजहों से महिलाएं काम छोड़ने के लिए मजबूर होती हैं। अगर उन्हें टैक्स ब्रेक देकर वापस लौटने के लिए प्रोत्साहित किया जाए तो इससे अर्थव्यवस्था पर दूरगामी असर नजर आएगा।' तालिश ने ये भी कहा, 'बजट में एलोकेशन से वुमन सेंट्रिक स्कीम्स के लिए अवेयरनेस बढ़ेगी क्योंकि महिलाओं के लिए बेहतर स्थितियां बनाने वाली सरकार की कई स्कीमें हैं, लेकिन इनके बारे में जानकारी बहुत ज्यादा नहीं है। यही नहीं, ऐसी कंपनियों के लिए टैक्स ब्रेक देने से, जो महिलाओं को विशेष रूप से बढ़ावा देने का काम कर रही हैं, से काफी मदद मिलेगी।
फिटनेस पर इन्वेस्टमेंट के लिए मिले प्रोत्साहन
FITPASS के को-फाउंडर अक्षय वर्मा का कहना है कि देश में फिटनेस की समस्या है। हर 3 में से 1 भारतीय अनफिट है और इसे हमें जल्द ही दुरुस्त करने की जरुरत है। मिनिस्ट्री ऑफ फाइनेंस से हम ये कहना चाहेंगे कि उन्हें लोगों को खुद की फिटनेस पर इन्वेस्ट करने के लिए प्रोत्साहित करना चाहिए। जिस तरह से मेडिकल खर्चों में टेक्स बेनेफिट्स मिलते हैं, उसी तरह से फिटनेस के लिए जो सर्विसिस हैं या फिर मेम्बरशिप है, उसमें भी सेक्शन 80D के अंदर टेक्स में छूट मिलनी चाहिए। देश के विकास के लिए ये बेहतर होगा कि बीमारी के समय जो टेक्स में छूट दी जाती है, उसके साथ फिटनेस के खर्चों में मदद करके भी सरकार इस बजट में लोगों को मदद करे।
दैनिक जागरण की महिलाओं ने जाहिर किए ये विचार
हमने women entrepreneurs के विचार लेने के साथ ही हमारी संस्था में काम करने वाली कुछ महिलाओं से भी इस बार के बजट के बारे में बात की और जाना कि वो इस बार बजट से क्या उम्मीद रखती हैं।
प्राची जो जागरण में ही काम करती हैं उन्होंने कहा हमारे देश में ज्यादातर महिलाएं फिक्स डिपॉज़िट और सोने में इन्वेस्ट करती हैं तो सरकार को FD पर इंटरस्ट रेट बढ़ाना चाहिए और महिलाओं के लिए गहनों के दाम में छूट देनी चाहिए।
पिछली बार के बजट में जिस तरह से मेटरनिटी बेनेफिट प्रोग्राम थे, जिससे प्रेग्नेंट वुमेन को मदद मिली थी। इसके अलावा निर्भया फंड बनाया गया, जिससे महिलाओं की डिग्निटी को सुरक्षा देने के बारे में सोचा गया, उज्जवला स्कीम, जिसमें गरीब महिलाओं को LPG के कनेक्शन दिए गए, 'बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ' स्किम में गर्ल चाइल्ड की सेकेंडरी एज्युकेशन में मदद मिली इसी तरह से इस बार भी सरकार को कुछ सोचना चाहिए।
अब हमें इंतज़ार है इस बार के अंतरिम बजट का और हमारी नज़र इस बात को जानने पर टिकी है कि सरकार इस बार महिलाओं के फायदों के बारे में कितना सोचती है और उनके लिए किस तरह से मदद करती है।
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