दूसरी बार बेटी होने पर ससुराल वालों के तानों से परेशान होकर महिला ने उठा लिया ऐसा कदम कि...

महाराष्ट्र के अमरावती में एक महिला स्वास्थ्य अधिकारी ने दूसरी बार बेटी होने पर ससुराल वालों के तानों से परेशान होकर जान दे दी। यह मामला झकझोर देना है और ऐसी घटनाएं बताती हैं कि हमें खुद को पढ़े-लिखे समाज का नागरिक कहना बंद कर देना चाहिए।
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जरा सोचिए...एक औरत जो अपने अंदर 9 महीने तक एक नन्ही सी जान को संभालती है और फिर बेहिसाब दर्द सहकर उसे इस दुनिया में लाती है...उसके बाद उसे अगर बेटी पैदा करने के लिए ताने सुनने पड़ें, तो उसके दिल पर क्या बीतेगी? महाराष्ट्र के अमरावती में कुछ ऐसा ही हुआ। यहां एक महिला स्वास्थ्य अधिकारी ने जब दूसरी बेटी को जन्म दिया, तो ससुराल वालों ने इस कदर ताने सुनाए कि उसने अपनी जान दी दे दी। यह मामला झकझोर देना है और ऐसी घटनाएं बताती हैं कि हमें खुद को पढ़े-लिखे समाज का नागरिक कहना बंद कर देना चाहिए। चलिए, आपको बताते हैं क्या है पूरी खबर।

बेटी पैदा होने पर ससुराल वालों के तानों से परेशान होकर महिला ने दी जान

Amravati suicide second daughter case
यह मामला महाराष्ट्र के अमरावती से सामने आया है। मृतका का नाम 32 साल की शुभांगी निलेश तायवडे बताया गया है। महिला कम्यूनिटी हेल्थ ऑफिसर के पद पर कार्यरत थी। 13 महीने पहले शुभांगी ने दूसरी बेटी को जन्म दिया था, जिसके बाद से ससुराल वाले लगातार उसे परेशान कर रहे थे और आखिरकार तानों से तंग आकर उसने अपनी जान दी दे दी। घटना की जानकारी मिलते ही शुभांगी के पिता ने उसके पति, सास, ननद, पति के भाई और दोस्त के खिलाफ शिकायत दर्ज करवाई है। उसके परिजनों का कहना है कि 24 मई को उनकी बेटी ने ससुरालवालों के बुरे व्यवहार को बेटे पैदा होने के बाद ताने कसने के बारे में जानकारी दी और अगली सुबह उन्हें पता चला कि उसने फांसी लगा ली है। फिलहाल मामले की जांच जारी है।

क्या वाकई हम पढ़े-लिखे समाज में रहते हैं?

बेटी और बेटे में कोई फर्क नहीं है..यह समझना न जाने क्यों हमारे समाज के लिए इतना मुश्किल है। आखिर क्यों आज भी कई जगह बेटी पैदा होने पर घर में खुशी की लहर नहीं आती..बल्कि मातम पसर जाता है...क्यों बिटिया की मां को ऐसे सांत्वना दी जाती है कि भगवान आगे बेटा भी देगा...क्यों बेटी का जन्म पर घर में लक्ष्मी का आगमन मानने की जगह बोझ के तौर पर देखा जाता है। उफ्फ...आखिर हम कब बदलेंगे...कब सुधरेंगे? क्या कसूर है उस 13 महीने की नन्ही सी जान का..जो ये भी नहीं समझ पाएगी कि उसने अपनी मां को खो दिया है और उसकी वजह भी इतनी शर्मनाक है।

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Image Credit: Shutterstock

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