रेलवे ट्रैक पर क्यों होते हैं पत्थर,जानिए इसके पीछे का लॉजिक

क्या आपको मालूम है की रेलवे ट्रैक पर नुकीले पत्थर क्यों बिछे होते हैं? जानिए इसके पीछे का साइंस

  • Aiman Khan
  • Editorial
  • Updated - 2024-04-04, 17:11 IST
Why is stone used in railway track

भारत में ज्यादातर लोग ट्रेन से ट्रेवल करते हैं, क्योंकि यह किफायती के साथ ही आरामदयक होता है। परिवार और दोस्तों के साथ ट्रेन से लंबा सफर तय करने में काफी मजा भी आता है। वहीं, यात्रा के दौरान हमें एक से बढ़कर एक चीजें देखने को मिलती हैं । इनमें से एक है रेलवे ट्रैक पर लगे नुकीले पत्थर...कभी आपने गौर किया है कि रेलवे ट्रैक पर इन पत्थरों का क्या काम होता है? कभी कभार रेलवे लाइन क्रॉस करते वक्त इन पत्थरों से आप चोटिल भी हो सकते हैं, फिर भी रेलवे ट्रैक पर इसका क्या काम हो सकता है। अगर आपके मन में ऐसा कोई सवाल है तो हम आपको इसके कारण बता रहे हैं।

रेलवे ट्रैक पर क्यों होते हैं पत्थर

  • रेलवे ट्रैक पर नुकीले पत्थर को बैलेस्ट कहा जाता है। इसे लगाने के दो कारण होते हैं। पहला यह कि ये पटरियों को फैलने नहीं देते हैं। बता दें कि पहले ट्रैक के नीचे की पट्टी यानी कि स्लीपर्स लकड़ी की होती थीं, बारिश के कारण ये गल जाती थीं और इससे हादसा होने का खतरा बना रहता था। ऐसे में ट्रैक पर बिछे पत्थर स्लीपर्स को जकड़ कर रखते हैं।
  • वहीं, अब कंक्रीट स्लीपर्स बनाए गए हैं , लेकिन ट्रेन का वजन काफी ज्यादा होता है, ऊपर से इसमें यात्रियों का वजन भी जुड़ता है, ऐसे में जब रेल ट्रैक पर दौड़ती है, तो पटरियों में वाइब्रेशन होता है। इससे भी स्लीपर्स फैल सकती हैं। ऐसे में ये नुकीले पत्थर स्लीपर्स को मजबूत और लंबे वक्त तक टिकने में मदद करते हैं। इससे ट्रेन का बैलेंस बना रहता है।
  • जब ट्रेन गुजरती है, तो स्लीपर और बैलेस्ट ही उसका भार सहते हैं और किसी दुर्घटना की आशंका को कम करते हैं। वहीं, जब ट्रेन रेलवे ट्रैक से गुजरती है, तो काफी शोर भी होता है । ऐसे में ये पत्थक इस शोर को कम करते हैं। ये पत्थर रेलवे ट्रैक पर पेड़-पौधे को उगने से रोकने में भी मदद करता है।

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क्या होता है स्लीपर्स

railway tracks

रेल ट्रैक पर छोटे-छोटे पत्थरों के अलावा कंक्रीट से बनी लंबी प्लेट्स लगाई जाती हैं।, इनके ऊपर पटरियां बिछी होती हैं। इन्हें स्लीपर के नाम से जाना जाता है।

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image credit-Freepik

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