Ramayan Katha: हनुमान जी ने वानर रूप में ही क्यों लिया जन्म?

हनुमान जी को भगवान शिव का रूप माना जाता है। राम भक्त हनुमान से जुड़ी ऐसी कई बातें हैं जो बेहद रहस्यमयी और रोचक हैं। उन्हीं में से एक है हनुमान जी के जन्म से संबंधित रहस्य।  

hanuman birth secrets

Hanuman Ji Vanar Ke Roop Mein Kyu Janme: रामायण के अनुसार, भगवान शिव ने ही हनुमान जी के रूप में राम सेवा के लिए अवतार लिया था।

इसी कारण से हनुमान जी को रुद्रावतार माना जाता है। हालांकि यह आज भी एक रहस्य है कि आखिर वानर रूप में ही हनुमान जी का जन्म क्यों हुआ।

ऐसे में ज्योतिष एक्सपर्ट डॉ. राधाकांत वत्स से आइये जानते हैं कि आखिर क्यों हनुमान जी वानर रूप में ही क्यों जन्में और क्या है इसके पीछे का कारण।

पुनर्जन्म में मिला था श्राप

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  • पौराणिक कथा के अनुसार, हनुमान जी (हनुमान जी की पत्नी और ससुर) की मां अंजना पूर्व जन्म में इंद्रराज के महल की अप्सरा थीं और उनका नाम पुंजिकस्थला था।
  • अप्सरा होने के कारण वो न सिर्फ आकर्षक बल्कि स्वभाव से बहुत चंचल भी थीं जिसका दुष्परिणाम उन्हीं एक श्राप के रूप में मिला।
  • चंचलता के कारण एक ऋषि का उपहास करने की वजह से पुंजिकस्थला को अगले जन्म में वाने रूप में जन्म लेने का श्राप भुगतना पड़ा।
  • ऋषि के श्राप से भयभीत होकर जब पुंजिकस्थला को अपने अपराध का बोध हुआ तो उन्होंने क्षमा मांगते हुए श्राप से मुक्ति की प्रार्थना की।
  • तब ऋषि ने उन्हें बताया कि वानरी रूप होने के बाद भी वह परम तेजस्विनी होंगी और उन्हें एक दिव्य एवं यशस्वी पुत्र की प्राप्ति होगी।

तापस्य से मिला वरदान

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  • श्राप के बाद पुंजिकस्थला ने तपस्या का मार्ग चुना और घोर तपस्या करने के लिए वन में चली गईं जहां उन्होंने भगवान शिव की तापस्य की।
  • भगवान शिव ने प्रसन्न होकर उन्हें दर्शन दिए। पुंजिकस्थला ने वरदान के रूप में भगवान शिवब (भगवान शिव के मंत्र) से श्राप का प्रभाव खत्म करने का आग्रह किया।
  • भगवान शिव ने तब पुंजिकस्थला को इस श्राप का महत्व समझाया कि राम युग में जन्म लेने के लिए वह खुद अप्सरा के गर्भ से जन्म लेंगे।
  • यह बात सुन पुंजिकस्थला खुश हुईं और उन्होंने आगे भी अपनी तपस्या जारी रखी। अगले जन्म में उनका विवाह वानरराज केसरी से हुआ।
  • विवाह के बाद भगवान शिव का कथन सत्य हुआ और स्वयं शिव शंभू हनुमान जी के रूप में अंजनी माता और केसरी जी के यहां जन्में।
  • चूंकि पुत्र को जन्म देते समय अंजनी माता वानरी रूप में थीं इसलिए हनुमान जी ने भी वानर रूप में ही जन्म लिया और राम भक्त बने।

इस कारण से हनुमान जी ने लिया था वानर रूप में जन्म। अगर हमारी स्टोरीज से जुड़े आपके कुछ सवाल हैं, तो वो आप हमें आर्टिकल के नीचे दिए कमेंट बॉक्स में बताएं। हम आप तक सही जानकारी पहुंचाने का प्रयास करते रहेंगे। अगर आपको ये स्टोरी अच्छी लगी है, तो इसे शेयर जरूर करें। ऐसी ही अन्य स्टोरी पढ़ने के लिए जुड़ी रहें हरजिंदगी से।

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