जो भी गार्डनर बीजों से पौधों को बढ़ते हुए देखना चाहते हैं, वे अक्सर सीड्स को सीड ट्रे में बोना पसंद करते हैं। इससे वे एक साथ कई बीज बो पाते हैं। साथ ही साथ, सीड ट्रे के कारण नमी और तापमान को नियंत्रित करना अधिक आसान हो जाता है। जिससे बीज जल्दी अंकुरित हो पाते हैं।
लेकिन एक बार जब बीज अंकुरित हो जाते हैं, तो फिर उन्हें बढ़ने के लिए अधिक स्पेस की जरूरत होती है। ऐसे में अगर उसे सीड ट्रे में ही छोड़ दिया जाए तो इससे उनकी ग्रोथ पर विपरीत असर पड़ता है और उन्हें पर्याप्त पोषक तत्व नहीं मिल पाते हैं। हालांकि, अधिकतर लोगों को इस बात का पता ही नहीं होता है कि सीड ट्रे से सीडलिंग को कब ट्रांसप्लांट करना चाहिए। अगर आपको भी इसकी सही तरह से जानकारी नहीं है तो चलिए आज इस लेख में हम आपको इस बारे में बता रहे हैं-
डेवलपमेंट पर दें ध्यान
अगर आप सीडलिंग को सीड ट्रे से ट्रांसप्लांट करने का मन बना रहे हैं तो ऐसे में पहले आपको उसकी डेवलपमेंट पर ध्यान देना चाहिए। सीडलिंग का साइज और उसकी ग्रोथ से आपको यह पता चल जाएगा कि ट्रांसप्लांट करना सही है या नहीं। आपको सीडलिंग को तब तक ट्रांसप्लांट नहीं करना चाहिए, जब तक कि उस पर पत्तियां ना आ जाएं। आपको यह समझना चाहिए कि सीडलिंग पर नजर आने वाली पहली पत्तियां वास्तव में सीड लीव्स होती हैं। उसके बाद ही वास्तविक पत्तियां आती हैं। आपको इसके बाद ही ट्रांसप्लांट करना चाहिए। इससे यह सुनिश्चित हो जाता है कि सीडलिंग ट्रांसप्लांटेशन स्ट्रेस को आसानी से हैंडल कर सकती हैं।
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साइज पर दें ध्यान
सीडलिंग की ग्रोथ के साथ-साथ उनके साइज पर भी ध्यान दिया जाना उतना ही महत्वपूर्ण है। हमेशा ध्यान रखें कि आप सीडलिंग को तभी ट्रांसप्लांट करें, जब आपके छोटे पौधों की लंबाई लगभग 4 से 8 इंच के बीच हो जाए। इस दौरान उन्हें ट्रांसप्लांट करने से वे ट्रांसप्लांटिंग शॉक को हैंडल कर पाते हैं।
रूट सिस्टम पर दें ध्यान
कभी भी सीडलिंग को ट्रांसप्लांट करने से पहले रूट सिस्टम पर खासतौर पर ध्यान देना चाहिए। आप पहले सीडलिंग के रूट्स को चेक करें। अगर रूट्स सीड्स ट्रे में गुच्छे में नजर आ रहे हैं तो इसका मतलब यह है कि रूट सिस्टम अच्छी तरह डेवलप हो गया है। इस दौरान सीडलिंग को बिना किसी परेशानी के ट्रांसप्लांट किया जा सकता है।
मौसम पर दें ध्यान
सीडलिंग को सीड्स ट्रे से ट्रांसप्लांट करते समय मौसम पर विशेष ध्यान दिया जाना बेहद महत्वपूर्ण है। हमेशा आप पौधे की मौसम संबंधी जरूरतों को समझें और फिर मौसम का मिजाज देंखें। अगर मौसम अनुकूल होता है तो इससे सीडलिंग पर ट्रांसप्लांट के दौरान अधिक स्ट्रेस नहीं आता है। कोशिश करें कि आप अत्यधिक गर्मी या तेज़ हवाओं के दौरान ट्रांसप्लांटिंग ना करें।
प्लेस पर दें ध्यान
ट्रांसप्लांटिंग से पहले आपको यह भी समझना चाहिए कि आपका प्लांट बाहरी मौसम की मार को झेलने के लिए तैयार है या नहीं। मसलन, अगर आपने इनडोर सीडलिंग शुरू की है तो आपको उन्हें ट्रांसप्लांट से पहले धीरे-धीरे उन्हें बाहरी मौसम के अनुकूल बनाएं। इस प्रोसेस को हार्डनिंग ऑफ के रूप में जाना जाता है, जिसकी मदद से सीडलिंग को तापमान, प्रकाश और हवा में होने वाले बदलाव के साथ खुद को एडजस्ट करने में मदद मिलती है।
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