भारतीय सेना में महिलाएं कब शामिल हुईं थी? यह सवाल जितना सीधा लगता है, इसका जवाब उतना ही कठिन है और कई पड़ावों वाला है। भारतीय सेना में महिलाओं की भूमिका धीरे-धीरे विकसित हुई है और आज वे विभिन्न क्षमताओं में देश की सेवा कर रही हैं। शुरुआत में, महिलाओं को मुख्य रूप से मेडिकल और नर्सिंग कोर में शामिल किया गया था। लेकिन, औपचारिक तौर पर महिलाओं की भर्ती काफी समय के बाद शुरू हुई थी। हालांकि, उन्हें अधिकारी के रूप में सेना में शामिल होने का अवसर बहुत बाद में मिला।
भारतीय सेना में महिलाओं की भूमिका का सफर लंबा और प्रेरक रहा है। शुरुआत में, उन्हें कुछ सीमित क्षेत्रों में ही अनुमति दी गई थी, लेकिन समय के साथ, उनके लिए अवसर बढ़ते गए और आज वे देश की रक्षा में पुरुषों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर खड़ी हैं। यह सिर्फ लैंगिक समानता की बात नहीं है, बल्कि सैन्य शक्ति और विविधता के मामले में भी भारतीय सेना के विकास को दर्शाता है।
चिकित्सा और नर्सिंग कोर
भारतीय सेना में महिलाओं की औपचारिक भर्ती 1952 में शुरू हुई थी, लेकिन इस दौरान उन्हें मुख्य रूप से चिकित्सा और नर्सिंग सेवाओं तक ही सीमित रखा गया था। नवंबर 1958 को, आर्मी मेडिकल कोर महिलाओं को नियमित कमीशन देने वाली भारतीय सेना की पहली इकाई बनी। इस समय तक, उन्हें युद्धक भूमिकाओं या अन्य मुख्य सैन्य शाखाओं में शामिल नहीं किया जाता था।
शॉर्ट सर्विस कमीशन
भारतीय सेना में महिलाओं के लिए एक बड़ा बदलाव वर्ष 1992 में आया। इस साल, भारतीय सेना, नौसेना और वायुसेना ने पहली बार महिलाओं को शॉर्ट सर्विस कमीशन अधिकारियों के रूप में शामिल करने का ऐतिहासिक निर्णय लिया। यह एक गेम-चेंजर था क्योंकि इसने महिलाओं को मेडिकल और नर्सिंग के अलावा अन्य शाखाओं में भी प्रवेश का अवसर दिया। शुरुआत में यह कमीशन 5 साल के लिए था, जिसे बाद में बढ़ाकर 10 और फिर 14 साल कर दिया गया।
इसे भी पढ़ें-क्या आप जानती हैं सैनिकों और उनकी पत्नियों को कैसे मिलता है होम लोन? पढ़िए आवेदन से लेकर अप्रूवल तक सबकुछ
2008 और उसके बाद स्थायी कमीशन की राह
महिलाओं को स्थायी कमीशन देने की दिशा में पहला कदम 2008 में उठाया गया। इस वर्ष, सेना की शिक्षा कोर और सैन्य की कानूनी शाखा में महिलाओं को स्थायी कमीशन अधिकारी के रूप में शामिल करने की शुरुआत हुई। इसका मतलब था कि वे अब सेना में लंबी सेवा कर सकती थीं और पुरुष अधिकारियों के समान पदोन्नति और सेवानिवृत्ति लाभों की हकदार थीं।इसके बाद, 2015 में, भारतीय वायुसेना ने एक और ऐतिहासिक फैसला लेते हुए महिलाओं को फाइटर जेट पायलट के रूप में शामिल करने की अनुमति दी। यह एक ऐसा क्षेत्र था जिसे परंपरागत रूप से केवल पुरुषों के लिए आरक्षित माना जाता था।
इसे भी पढ़ें-सैनिक स्कूल में कौन कर सकता है पढ़ाई? जानें यहां कैसे मिलता एडमिशन
सुप्रीम कोर्ट का ऐतिहासिक फैसला और व्यापक विस्तार
भारतीय सेना में महिला सशक्तिकरण की दिशा में सबसे महत्वपूर्ण मोड़ फरवरी 2020 में आया, जब सुप्रीम कोर्ट ने एक ऐतिहासिक फैसला सुनाते हुए महिलाओं को शॉर्ट सर्विस कमीशन अधिकारी के रूप में स्थायी सेवा का अधिकार दिया। इस फैसले ने यह सुनिश्चित किया कि महिलाएं पुरुष समकक्षों के समान कमांडिंग रोल और अन्य जिम्मेदारियों को संभाल सकें, जिससे उनकी पदोन्नति और पेंशन लाभों का मार्ग प्रशस्त हुआ। इस फैसले के बाद, 8 और कोर में महिलाओं को स्थायी कमीशन अधिकारी के रूप में शामिल किया गया।
इसके अलावा, अगस्त 2021 में सुप्रीम कोर्ट ने एक और क्रांतिकारी निर्णय लेते हुए नेशनल डिफेंस एकेडमी के द्वार महिलाओं के लिए खोल दिए। यह एक ऐसा प्रतिष्ठित संस्थान है जो तीनों सेनाओं के लिए अधिकारी तैयार करता है। जुलाई 2022 में, एनडीए में महिला कैडेट्स के पहले बैच ने अपनी ट्रेनिंग शुरू की, और मई 2025 में, इस बैच की 17 महिला कैडेट्स पासिंग आउट परेड में शामिल हुईं, जो एनडीए के इतिहास में एक नया अध्याय था।
इसे भी पढ़ें-सैनिक स्कूल में पढ़ने के होते हैं ये अनगिनत फायदे, एडमिशन के लिए भी देनी पड़ती है कठिन परीक्षा
इस आर्टिकल के बारे में अपनी राय भी आप हमें कमेंट बॉक्स में जरूर बताएं। साथ ही, अगर आपको यह लेख अच्छा लगा हो तो इसे शेयर जरूर करें। इसी तरह के अन्य लेख पढ़ने के लिए जुड़ी रहें आपकी अपनी वेबसाइट हर जिन्दगी के साथ।
Image credit- Freepik
HerZindagi ऐप के साथ पाएं हेल्थ, फिटनेस और ब्यूटी से जुड़ी हर जानकारी, सीधे आपके फोन पर! आज ही डाउनलोड करें और बनाएं अपनी जिंदगी को और बेहतर!
कमेंट्स
सभी कमेंट्स (0)
बातचीत में शामिल हों