BRA के बारे में बात करने से लोग कतराते हैं। कम से कम हमारे भारतीय समाज में तो इसका नाम ही दबी-छुपी जुबान में लिया जाता है। शायद यही कारण है कि महिलाओं को ये नहीं पता होता कि ब्रा की भी एक्सपायरी डेट होती है। सालों-साल इसे नहीं पहनना चाहिए क्यों ब्रेस्ट में आने वाले पसीने के कारण इसके कपड़े में परमानेंट जर्म्स हो सकते हैं और इसका शेप भी बार-बार धुलने के कारण खराब हो जाता है। इससे आपको ब्रेस्ट सपोर्ट कम मिलता है। यही कारण है कि महिलाओं को कुछ महीनों में ही ब्रा को बदल लेने की सलाह दी जाती है।
अगर आप ब्रा की बनावट को देखें, तो ये बहुत समय से बदली है। जब बात शुरू ही कर दी है तो क्यों ना इसके बारे में कुछ खास डिटेल्स आपको बताई जाएं। ऐसी डिटेल्स जो शायद लोगों को पता नहीं होती हैं।
ब्रा का फुल फॉर्म क्या है?
आप सभी ने इस शब्द को सुना होगा, लेकिन शायद इसके बारे में जानकारी नहीं होगी। इस शब्द के बारे में जानकारी कई लोगों को नहीं होती। ऐसा इसलिए क्योंकि इसका कॉन्सेप्ट ही फ्रेंच है। भारत तक तो ब्रा को आते-आते लगभग 50 साल लग गए थे। Bra शब्द ही brassiere शब्द से आया है जो असल में फ्रेंच शब्द है। इसके एब्रिवेशन में BRA यानी ब्रेस्ट रेस्टिंग एरिया (Breast Resting Area) को मॉर्डनाइज किया गया है। ब्रेस्ट रेस्टिंग एरिया एक इंटरनेट स्लैंग माना जाता है जबकि ब्रेजियर ही ब्रा का पैतृक शब्द है। इसे ही सबसे पहले पब्लिश भी किया गया था।
ब्रेजियर शब्द को ट्रांसलेट करें तो ये फ्रेंच में अंडरशर्ट या बच्चे की अंडरशर्ट माना जा सकता है।
Brassiere (brassière) शब्द भले ही फ्रेंच हो, लेकिन इसे चर्चित करने का सारा श्रेय अमेरिका को जाता है। न्यूयॉर्क के ईवनिंग हेराल्ड न्यूजपेपर में ये शब्द पहली बार 1893 में देखा गया था। हालांकि, उसके बाद भी ये चर्चित नहीं हुआ। 1904 में सदी बदलने के बाद एक स्थानीय कंपनी DeBevoise ने इसे इस्तेमाल किया। उनके कई विज्ञापन आए और चर्चित होने लगे, इसके ब्रेजियर शब्द का पहला विज्ञापन जिसने क्रांति ला दी थी वो छपा था 1907 में वोग मैग्जीन में। इसके बाद 1911 में ये शब्द आधिकारिक तौर पर ऑक्सफोर्ड इंग्लिश डिक्शनरी ने एड कर लिया।
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क्यों ब्रा के सेंटर में बनी होती है स्टिच लाइनिंग?
ब्रा का काम ब्रेस्ट को सपोर्ट करने का है और ऐसे में ये जरूरी है कि हम ऐसी ब्रा खरीदें जिसमें सपोर्ट ज्यादा हो। दरअसल, आपने देखा होगा कि कई तरह की ब्रा के सेंटर में स्टिच लाइन बनी होती है। ये स्टिच लाइन सिर्फ दिखावे के लिए नहीं होती, ये कंफर्ट और ब्रेस्ट शेप को सही बनाए रखने के लिए होती है।
ये स्टिच लाइन एक्स्ट्रा कपड़ा लगाए जाने के कारण आती है। इससे ब्रेस्ट के सेंटर में एक्स्ट्रा सपोर्ट मिलता है और अगर लाइट पैडेड या कॉटन ब्रा है, तो कप्स ट्रांसपेरेंट नहीं दिखते हैं। टी-शर्ट ब्रा, लाइट पैडेड ब्रा, कॉटन ब्रा अधिकतर ऐसी लाइनिंग के साथ आती है। बड़े कप साइज में ये लाइनिंग ज्यादा दिखती है। अगर कोई ब्रा अनलाइन्ड है, तो वो नेचुरल शेप देने में मदद करेगी और लाइटवेट होगी।
क्यों ब्रा में होते हैं तीन हुक और ऐसा क्यों है इनका शेप?
कभी आपने सोचा है कि तीन हुक्स का लॉजिक क्या है? अधिकतर ब्रा में तीन हुक लाइन्स होती हैं। पहली जो सबसे ढीली सेटिंग होती है जिससे आरामदायक फिट आती है, दूसरी मिड फिट और तीसरी सेटिंग में ब्रा की सबसे टाइट फिटिंग मिलती है। इसका एकलौता कारण ये है कि हर बॉडी अलग होती है।
ब्रा के बैंड और कप साइज कॉमन होते हैं, लेकिन बॉडी शेप एक ही बैंड साइज और कप साइज के बाद भी अलग हो सकता है। ये तीन सेटिंग्स मदद करती हैं जिससे हर बॉडी शेप को सपोर्ट मिल सके।
ब्रा में क्यों लगा होता है बो?
ये ब्रेस्ट कैंसर से जुड़ा हुआ है। ये सिर्फ सजावट नहीं है बल्कि इसका इतिहास पुराने कॉर्सेट से भी जुड़ा है। पहले के जमाने में महिलाओं के कॉर्सेट में बस्क (हड्डी जैसा आकार) होता था जिसमें धागा बांधा जाता था और यही बो का शेप ले लेता था।
समय के साथ-साथ ब्रेस्ट कैंसर अवेयरनेस का सिम्बल भी बो शेप का रिबन बना दिया गया। इसके बाद से ब्रेस्ट कैंसर अवेयरनेस बढ़ाने के लिए इसे इस्तेमाल किया जाने लगा।
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अंडरवायर ब्रा क्यों करती है परेशान?
ब्रेस्ट के नीचे लिंफेटिक नोड्स होते हैं जो एक्स्ट्रा फ्लूएड ड्रेन करने का काम करते हैं। लगातार अंडरवायर ब्रा पहनने से उनपर असर होता है। इतना ही नहीं, अगर अंडरवायर ब्रा का साइज और शेप सही नहीं है, तो ये स्किन में डिस्कंफर्ट भी पैदा कर सकती है। ब्रा बहुत टाइट या गलत साइज की हुई तो स्किन में निशान भी पड़ सकते हैं।
मॉर्डन ब्रा के इतिहास के बारे में ये बातें भी जान लीजिए...
ब्रा के आगमन से पहले महिलाएं अलग-अलग तरीके से अपने ब्रेस्ट को कवर करने के लिए इस्तेमाल करती थीं। आप कई पुरानी मूर्तियों में देख सकती हैं कि किस तरह से ग्रीक, रोमन या भारतीय सभ्यता में ब्रेस्ट को कवर किया जाता था। जब कपड़ा इस्तेमाल करना बंद किया गया, तब कॉर्सेट ने इसकी जगह ले ली। मॉर्डन ब्रा के आने से पहले कॉर्सेट को सबसे ज्यादा महत्वपूर्ण माना जाता था और इसे वेस्टर्न वर्ल्ड में अमीर महिलाएं पहना करती थीं। कॉर्सेट 16वीं सदी से लेकर 19वीं सदी तक काफी बदल गया और 19वीं सदी आते-आते इसका शेप मॉर्डन ब्रा के काफी नजदीक आ गया जिसमें ब्रेस्ट के लिए अलग से सपोर्ट होता था। उसी समय स्प्लिट कॉर्सेट आया जिसमें ब्रा वाला पार्ट अलग हो गया और पेट को ढकने वाला पार्ट अलग कर दिया गया।
16वीं सदी में जो एप्पल ब्रेस्ट शेप कॉर्सेट था वो विक्टोरियन एरा (क्वीन विक्टोरिया का राजकाल) आते-आते बदल गया। उसी वक्त दो अमेरिकी महिलाओं अमिलिया ब्लूमर और मैरी एडवर्ड्स वॉकर ने इस क्षेत्र में काम किया और मॉर्डन ब्रा का मूवमेंट शुरू हो गया। उस वक्त लोग जानने लगे थे कि कॉर्सेट का असर कितना गलत होता है। इसके बाद ही ब्रेस्ट को सिमेट्रिकल राउंड दिखाने के लिए ब्रा जैसा ही एक डिवाइस 1859 में हेनरी एस लाशन ने न्यूयॉर्क में पेटेंट करवाया। इसके बाद ही एक के बाद एक ब्रा के पेटेंट आए और मॉर्डन ब्रा का आविष्कार हुआ।
तो आज आपने ब्रा से जुड़ी बहुत सारी जानकारी ले ली है। अगर आपको लगता है कि कोई और फैक्ट हमें अपनी स्टोरी में एड करना चाहिए है, तो उसके बारे में हमें कमेंट बॉक्स में जरूर बताएं। अगर आपको ये स्टोरी अच्छी लगी है, तो इसे शेयर जरूर करें। ऐसी ही अन्य स्टोरी पढ़ने के लिए जुड़ी रहें हरजिंदगी से।
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