Difference Between Guru Acharya and Shikshak:जीवन के पहले गुरु हमारे माता-पिता इसके बाद हमारे आचार्य हमारे मार्गदर्शक का काम करते हैं। स्कूल से लेकर कॉलेज तक हमारे टीचर हमें अच्छे और बुरे में फर्क करना बताते हैं। गुरुओं के किए गए अतुलनीय कार्य के सम्मान में प्रत्येक वर्ष शिक्षक दिवस का आयोजन किया जाता है। इस दिन सभी शिक्षण संस्थानों में बच्चे अलग-अलग प्रकार के कार्यक्रम का आयोजन करते हैं। साथ ही बच्चे अध्यापकों के लिए भाषण और कविता समर्पित करते हैं।
हम सभी के जीवन में शिक्षकों का बहुत बड़ा योगदान है, जिसे हम शायद ही कभी उतार सकते हैं। शिक्षकों को हम बोलचाल में गुरु, अध्यापक, आचार्य जैसे अन्य पर्यायवाची शब्दों का इस्तेमाल करते हैं। अब ऐसे में ज्यादातर लोग ये मान लेते हैं कि जो पढ़ाता है वही शिक्षक, गुरु या आचार्य कहलाता है, लेकिन ऐसा बिल्कुल भी नहीं है। इस पर बहुत कम लोग ही गौर करते हैं, पर आपको बता दें कि यह अंतर सिर्फ परिभाषा का नहीं बल्कि ज्ञान देने की पद्धति, शिष्य के साथ रिश्ते का भी है।
अगर आप भी इन शब्दों को लेकर उलझन में हैं, तो यह लेख आपके लिए है। यहां हम आपको आचार्य, गुरु और शिक्षक के बीच के अंतर के बारे में बताने जा रहे हैं।
शिक्षक का अर्थ
आचार्य, शिक्षक और गुरू इन तीनों के बीच के अंतर को समझने के क्रम में सबसे पहले जानें शिक्षक का क्या होता है मतलब-
शिक्षक वह होता है जो किसी विषय विशेष का ज्ञान देता है। उनका काम करने का क्षेत्र सीमित होता है। साथ ही वे एक तय पाठ्यक्रम के अनुसार पढ़ाते हैं। वे स्कूल, कॉलेज या किसी कोचिंग संस्थान में गणित, विज्ञान, इतिहास जैसे विषयों को पढ़ाते हैं। उनका मुख्य उद्देश्य जानकारी देना और परीक्षा में सफलता दिलाना होता है। शिक्षक का संबंध विद्यार्थी के साथ औपचारिक होता है और यह कक्षा तक ही सीमित रहता है। वे हमें यह बताते हैं कि क्या पढ़ना है।
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गुरु का अर्थ
दूसरे क्रम में समझते हैं कि गुरु का अर्थ क्या होता है? बता दें कि अंधकार से प्रकाश की ओर ले जाने वाला, गुरु न केवल किताबी ज्ञान देते हैं बल्कि जीवन का सही मार्ग भी दिखाते हैं। उनका संबंध शिष्य के साथ गहरा और व्यक्तिगत होता है। वे शिष्य के चरित्र निर्माण, नैतिक मूल्यों और आध्यात्मिक विकास पर ध्यान केंद्रित करते हैं। गुरु के पास किसी विषय की विशेषज्ञता हो सकती है, लेकिन उनका असली काम जीवन की चुनौतियों का सामना करना सिखाना और सही-गलत के बीच अतंर बताना है।
आचार्य का अर्थ
तीसरे क्रम में बताने जा रहे हैं कि आचार्य का अर्थ क्या होता है। आचार्य वह होता है जो अपने आचरण से सिखाता है। वे सिर्फ ज्ञान नहीं देते, बल्कि अपने जीवन और व्यवहार से उदाहरण प्रस्तुत करते हैं। उनके पास गहन शोध और अध्ययन का अनुभव होता है। आचार्य किसी विशेष परंपरा या दर्शन के विशेषज्ञ होते हैं और उस ज्ञान को आगे बढ़ाते हैं। वे न केवल पढ़ाने का कार्य करते हैं बल्कि अपनी जीवनशैली और नैतिक आदर्शों के माध्यम से शिष्यों को प्रभावित करते हैं। वे हमें यह बताते हैं कि सीखना क्यों है।
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