'कुछ तो लोग कहेंगे... लोगों का काम है कहना, छोड़ो, बेकार की बातों में कहीं बीत ना जाए रैना!'.... ये गाना नहीं, हममें से अधिकांश लोगों के दबे हुए वो इमोशन्स हैं, जो कभी न कभी खीझकर निकल ही पड़ते हैं। आप कुछ नया करने जाएं, तो पहले दिमाग में ख्याल आ जाता है कि 4 लोग क्या कहेंगे!
भारतीय अंकल और आंटियों का जज करने का यह एक ऐसा टैलेंट है जिसे आप नजरअंदाज नहीं कर सकते हैं। यह चंद शब्द ऐसा डर मन में बैठा चुके हैं, जो हमें अक्सर चिंता में डाल देते हैं। लोग एक-दूसरे को किसी भी बात पर जज कर लेते हैं और ये वर्जनाएं उनके अपने पाखंड और दोहरे मानदंडों को छिपाने के बहाने से ज्यादा कुछ नहीं होती हैं।
मैं तो जानना चाहती हूं कि आखिर यह 4 लोग हैं कौन? कौन हैं ये लोग जिनकी न रीढ़ है और जो सामने भी नहीं आते, लेकिन अपनी बातों और तीखे जजमेंट्स से लोगों का माथा ठनका देते हैं। इन्हें दूसरों की भावनाओं की चिंता बिल्कुल नहीं और अपनी बातें थोपने का बड़ा शौक होता है।
अरे, हमारे यहां तो किसी का सम्मान भी इसी पर टिका है। लोग क्या कहेंगे! इसके चलते न जाने कितने लोग अपनी इच्छाओं को मार देते हैं। मगर एक बात बताइए कि लोग क्या कहेंगे और सोचेंगे इसकी चिंता हम क्यों करें? इस आर्टिकल के जरिए हम आपको बताने वाले हैं कि ऐसे जजमेंटल लोगों को और उन 4 लोगों को, जो दिखते नहीं हैं बस बातें करते हैं, से निपटा कैसे जाए।
सुनें सबकी, लेकिन करें अपने मन की
इससे बड़ा सुख आपको प्राप्त नहीं हो सकता है। अगर आपके मन में कहीं यह डर है भी कि लोग क्या कहेंगे, तो 2-4 लोगों से सलाह ले लीजिए। अब सुनिए सभी की, मगर करें वही जो आपका मन कहे। व्यक्ति को हमेशा अपनी इंट्यूशन पर भरोसा करना चाहिए। आपके ख्यालों, सपनों और काम के बारे में आपकी इंट्यूशन जो कह रही है, वो दूसरा नहीं बता सकता है। इस दुनिया में दूसरों को ज्ञान बांटने वाले लोगों की कोई कमी नहीं है, लेकिन यह आप पर निर्भर करता है कि आप किसा ज्ञान लेना चाहते हैं और किसका नहीं। मान लीजिए प्रभु, असली खुशी अपने मन की करने में ही मिलती है।
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खुद से प्यार करना न छोड़ें
जब आपको खुद पर विश्वास होता है और आप खुद से प्यार करते हैं, तो आपको लोग क्या कहेंगे कि चिंता नहीं खाती। आपके निर्णय किसी और को पसंद आएं या न आएं, वो आपको पसंद आने चाहिए। आप जितना अधिक आत्म-प्रेम और आत्म-स्वीकृति महसूस करते हैं, उतना आत्मनिर्भर बनते हैं। दूसरों से ही नहीं, अपने आप के ऊपर भी थोड़ा दयालुता दिखाएं और खुद के साथ समझदारी से पेश आएं। अपनी खामियों को स्वीकार करें और पहचानें कि गलतियां करना ठीक है। आप क्या चाहते हैं और आप किन बातों में खुश हैं, यह समझना आपके लिए जरूरी है, दूसरों के लिए नहीं।
4 लोग क्या कहेंगे, आपके हाथ में नहीं
आप 10 काम अच्छे करेंगे, लेकिन एक काम भी अगर गलत हुआ तो लोग आपकी खामी को ही याद रखेंगे। इसलिए आपको यह समझना जरूरी है कि दूसरे आपके बारे में क्या कहते और सोचते हैं, वो आपके कंट्रोल में कतई नहीं है। अगर आपको लगता है कि आप अपने बारे में राय बना सकते हैं, तो आप गलतफहमी में हैं हुजूर! आप जो भी कर रहे हैं, उससे किसी कोई मतलब नहीं होना चाहिए मगर अफसोस लोगों की नजरें हमेशा आप पर होती हैं, इसलिए इस बात को दिमाग से निकाल दीजिए कि आप किसी की राय को बदल सकते हैं। वो जो सोच रहे हैं, उन्हें सोचने दीजिए और आप अपना काम करते रहिए।
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4 लोगों की सुने बिना अपनी जिंदगी जीना शुरू करें
आपको सबसे पहले अपनी और फिर अपने परिवार की चिंता करनी चाहिए। एक इंसान के लिए उसके अपने परिवार की राय मायने रखती है। आपको दूसरों की बातों से बिल्कुल भी फर्क नहीं पड़ना चाहिए। अगर आप कुछ पहनने से पहले, चलने से पहले, कहीं जाने से पहले या फिर आगे बढ़ने से पहले यह सोचेंगे कि लोग क्या कहेंगे, तो कभी जीवन नहीं जी पाएंगे। आपको हमेशा दूसरे क्या सोचते हैं, इसकी चिंता लगी रहेगी।
अरे भाई, जब जीवन आपका है, फैसले आपके हैं, तो परवाह अपनी कीजिए। अपनी जिंदगी को बिंदास तरीके से जिएं और लोगों की चिंता करना बंद करें।
इन सब बातों का सार एक ही है कि उन चार लोगों के बारे में सोचकर अपना हाजमा खराब न कीजिए। हंसी-खुशी से अपना जीवन व्यतीत करें। अपने सपनों को पूरा करें और उन चार लोगों को भूलकर आगे बढ़ें, क्योंकि आनंद बख्शी साहब ने तो कहा ही है, 'सीता भी यहां बदनाम हुई, फिर क्यों संसार की बातों से भीग गए तेरे नैना!'
Image Credit: Freepik, youtube@superhitgaane
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