दो जून की रोटी कमाने में तुम्हारी पूरी जिंदगी निकल जाएगी, दो जून की रोटी मिल रही है तो ऊपर वाले का शुक्र मनाओ...इस तरह के डायलॉग तो हम अपनी रोजमर्रा की जिंदगी में सुनते ही रहते हैं। लेकिन, क्या आप सोचा है कि आखिर इस कहावत में ऐसा क्या है कि 2 जून आते ही इसका इस्तेमाल बढ़ जाता है। तो बता दें, दो जून की रोटी कहावत का कैलेंडर में आने वाली 2 जून से कोई लेना-देना नहीं है।
आंखों का तारा, भैंस के आगे बीन बजाना, जिसकी लाठी उसकी भैंस, बंदर क्या जाने अदरक का स्वाद, खरबूजे को देखकर खरबूजा रंग बदलता है...न जाने इस तरह की हिंदी में कितनी कहावते हैं। लेकिन, आज हम दो जून की रोटी किस्मत वालों को मिलती है इस कहावत की बात करने जा रहे हैं। यह कहावत सिर्फ कहावत नहीं है, बल्कि असल जिंदगी में खास मतलब रखती है।
क्या है 'दो जून की रोटी' कहावत का मतलब?
दो जून की रोटी का मतलब है दो वक्त यानी दो समय की रोटी कमाना। यह कहावत अवधी भाषा से ली गई है। अवधी भाषा में 'जून' का मतलब समय यानी टाइम होता है। वहीं रोटी का मतलब दो समय के खाने से है। यानी सुबह और शाम का भोजन।
भारत में आज भी बड़ी आबादी गरीबी रेखा के नीचे अपना जीवन बिता रही है। ऐसे में यह कहावत एक मजाक से हटकर जीवन की सच्चाई को दिखाती है। आज भी लाखों-करोड़ों लोगों के लिए रोज का खाना कमाना एक बड़ी जंग से कम नहीं है। जी हां, हैरान होने की जरूरत नहीं है, राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण (NFHS) के मुताबिक, देश में करीब 19 से 20 करोड़ लोगों के लिए दो वक्त की रोटी कमाना भी मुश्किल है।
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दो वक्त की रोटी के लिए करोड़ों लोग हर दिन जद्दोजहद करते हैं। खेतों में काम करते हैं, कंस्ट्रक्शन साइट पर पसीना बहाते हैं और फुटपाथ पर छोटी-मोटी चीजें बेचकर अपना और परिवार का पेट भरते हैं।
खूब होता है दो जून की रोटी कहावत का इस्तेमाल
अवधी भाषा से आई इस कहावत का इस्तेमाल हिंदी के दिग्गज साहित्यकारों ने अपनी रचनाओं में भी खूब किया है। मुंशी प्रेमचंद्र और जयशंकर प्रसाद जैसे साहित्यकारों ने अपनी रचनाओं में दो जून की रोटी का जिक्र कई बार किया है। अगर आप किताबों की शौकीन हैं, तो प्रेमचंद्र की नमक का दरोगा में दो जून की रोटी के बारे में आपको जरूर पढ़ने को मिल जाएगा।
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सोशल मीडिया पर छाया रहता है दो जून मुहावरा
आजकल सोशल मीडिया का जमाना है। ऐसे में जैसे ही जून का महीना चढ़ता है, तो यह कहावत सोशल मीडिया पर ट्रेंड करने लगती है। हर साल 2 जून तारीख पर दो जून की रोटी को लेकर अलग-अलग मीम्स और चुटकुले बनते हैं और जमकर वायरल भी होते हैं। जैसे- अगर सैलरी 2 जून को आएगी, तो उसपर एक मीम वायरल होता है कि कॉरपरेट मजदूरों को 2 जून की रोटी मिलेगी।
देश में चल रही हैं कई योजनाएं
हालांकि, सरकार की तरफ से गरीबों के लिए कई योजनाएं चलाई जा रही हैं। जिनमें अंत्योदय अन्न योजना, गरीब कल्याण अन्न योजना, पीएम स्वनिधि योजना, पीएम उज्जवला योजना और मनरेगा शामिल हैं।
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Image Credit: Freepik and Jagran
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