Lok Sabha Elections 2024: आखिर क्या है स्ट्रॉन्ग रूम? वोटिंग के बाद कहां और कैसे रखी जाती है ईवीएम मशीन

इसमें स्ट्रांग रूम में ईवीएम मशीनों को सील बंद करना और उन्हें सुरक्षित तौर पर रखना शामिल है। यह तय करता है कि ईवीएम मशीनों में कोई विरोधी कार्रवाई नहीं हो सकती है।

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Lok Sabha Elections 2024: लोकसभा चुनाव के तीन चरणों में बहुमत के लिए वोटिंग की प्रक्रिया ईवीएम या इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीनों के जरिए से हो चुकी है। लोकसभा चुनाव में 543 सीटों में 283 से सीटों का भाग्य ईवीएम मशीन तय करेगा। इसकी सुरक्षा पर अक्सर सवाल भी खड़े किए जाते हैं। पर क्या कभी आपने ये सोचा है कि जिन ईवीएम मशीन में वोट देते हैं, वो वोटिंग खत्म हो जाने के बाद कहां और कैसे रखी जाती हैं। इनकी सुरक्षा की बंदोबस्त में क्या किया जाता है।

ईवीएम मशीनों की सुरक्षा और भरोसेमंदी को तय करने के लिए क्या सुरक्षा उपाय अपनाए जाते हैं। आइए जानते हैं कि कौन से उपाय सुरक्षित तौर पर वोटिंग प्रक्रिया को बनाए रखने में मदद करते हैं। इसमें स्ट्रांग रूम में ईवीएम मशीनों को सील बंद करना और उन्हें सुरक्षित तौर पर रखना शामिल है। यह तय करता है कि ईवीएम मशीनों में कोई विरोधी कार्रवाई नहीं हो सकती है।

इसके अलावा, सुरक्षा के लिए मौजूद तकनीकी उपाय, जैसे कि वीडियो कैमरे भी लगाए जाते हैं ताकि किसी भी एप्लिकेशन को नकारा जा सके। वोटिंग प्रक्रिया के दौरान और बाद में ईवीएम मशीनों को सुरक्षित रखने के लिए खास जगह पर सेट अप किया जाता है, जिसमें वे किसी भी पहुंच से बचे रहते हैं। इससे ईवीएम मशीनों के साथ कोई दुरुपयोग नहीं किया जा सकता है।

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वोटिंग पूरी होने के बाद क्या होता है?

वोटिंग खत्म होने पर, प्रीसाइडिंग ऑफिसर (पीओ) ईवीएम में डाले गए वोटों की रिकॉर्डिंग का वेरिफिकेशन करता है। सभी पोलिंग एजेंटों को रिकॉर्डिंग की एक वेरिफिकेशन की कॉपी दी जाती है। ईवीएम को फिर सील किया जाता है, अक्सर उम्मीदवारों या उनके एजेंटों द्वारा लगाए गए अलग से सील के साथ।

वोटिंग खत्म होने के बाद स्ट्रांग रूम तक ईवीएम कैसे पहुंचाते हैं

सबसे पहले सीलबंद ईवीएम को एक सुरक्षित कंटेनर में रखा जाता है। इस कंटेनर को आमतौर पर अर्धसैनिक बलों या पुलिस द्वारा पहरा दिया जाता है। परिवहन के दौरान जीपीएस ट्रैकिंग का उपयोग ईवीएम की गतिविधियों की निगरानी के लिए किया जाता है। CCTV कैमरे भी संवेदनशील स्थानों पर लगाए जाते हैं। ईवीएम को छेड़छाड़ से बचाने के लिए कई तकनीकी सुरक्षा विशेषताएं हैं। इनमें डेटा एन्क्रिप्शन, रीयल-टाइम मॉनिटरिंग और स्व-सीलिंग मैकेनिज्म शामिल हैं।

स्ट्रांग रूम: ईवीएम मशीनों का सुरक्षित गढ़

स्ट्रांग रूम एक विशेष रूप से सुरक्षित कमरा होता है, जहां मतदान के बाद इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन (EVM) और वोटर वेरिफाइड पेपर ऑडिट ट्रेल (VVPAT) को चुनाव परिणाम घोषित होने तक सुरक्षित रखा जाता है। स्ट्रांग रूम का मकसद ईवीएम और वीवीपैट को किसी भी प्रकार की छेड़छाड़ या क्षति से बचाना और चुनाव प्रक्रिया की निष्पक्षता और पारदर्शिता सुनिश्चित करना होता है।

स्ट्रांग रूम की सुरक्षा कई स्तर पर होती है, जैसे कमरे की मोटी दीवारें, मजबूत दरवाजे और चाक-चौबंद लॉकिंग सिस्टम। साथ ही सीसीटीवी कैमरे, सर्विलांस सिस्टम और इलेक्ट्रॉनिक घुसपैठ रोधी गैजेट लगाए गए होते हैं। केंद्रीय अर्धसैनिक बलों और राज्य पुलिस द्वारा 24/7 निगरानी करती है। केवल चुनाव अधिकारियों और सुरक्षा कर्मियों को ही स्ट्रांग रूम में प्रवेश दिया जाता है। सख्त प्रोटोकॉल और मंजूरी प्रक्रियाओं का पालन किया जाता है।

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स्ट्रांग रूम चुनाव प्रक्रिया की अखंडता और विश्वसनीयता के लिए अहम भूमिका निभाते हैं। वे यह तय करते हैं कि ईवीएम और वीवीपैट सुरक्षित रहें और चुनाव परिणामों में हेरफेर न हो सके। भारत में, चुनाव आयोग स्ट्रांग रूम की सुरक्षा के लिए कड़े दिशा निर्देश निर्धारित करता है। सभी राज्य में, चुनाव अधिकारी यह सुनिश्चित करने के लिए जिम्मेदार होते हैं कि इन दिशानिर्देशों का पालन किया जाए। स्ट्रांग रूम लोकतंत्र की रक्षा में अहम भूमिका निभाते हैं। वे निष्पक्ष और पारदर्शी चुनाव तय करने में मदद करते हैं, जिससे लोगों का विश्वास मजबूत होता है।

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