herzindagi
types of lord shiva idols

Maha Shivaratri 2025 Lord Shiva Idols: कितने प्रकार की होती हैं शिव प्रतिमाएं? जानें हर एक का महत्व

महाशिवरात्रि के पावन अवसर पर आज हम आपको भगवान शिव की अष्ट प्रतिमाओं के बारे में बताने जा रहे हैं। तो चलिए जानते हैं इस बारे में विस्तार से।
Editorial
Updated:- 2025-02-14, 14:58 IST

महाशिवरात्रि का पर्व आने को ही है। इस दिन भगवान शिव की पूजा भव्य रूप से की जाती है और साथ ही, शिवलिंग जलाभिषेक का भी विशेष महत्व है। महाशिवरात्रि के पावन अवसर पर आज हम आपको भगवान शिव की अष्ट प्रतिमाओं के बारे में बताने जा रहे हैं। तो चलिए जानते हैं ज्योतिषाचार्य राधाकांत वत्स से इस बारे में विस्तार से।

भगवान शिव की 8 मूर्तियों का रहस्य

यह संपूर्ण ब्रह्मांड भगवान शिव की आठ मूर्तियों का स्वरूप माना जाता है। जैसे सूत्र में मणियां पिरोई जाती हैं, वैसे ही भगवान शिव की मूर्तियां इस सृष्टि में व्याप्त होकर इसे स्थिर करती हैं। भगवान शिव की आठ मूर्तियों के नाम शिव पुराण के शतरुद्र संहिता के अध्याय 2 में बताए गए हैं। ये आठ मूर्तियां हैं: शर्व, भव, रुद्र, उग्र, भीम, पशुपति, ईशान, और महादेव।

bhagwan shiv ki kaun si pratima kya sanket deti hai

इन आठ मूर्तियों का संबंध विभिन्न प्राकृतिक तत्वों से है: भूमि, जल, अग्नि, पवन, आकाश, क्षेत्रज्ञ, सूर्य और चन्द्रमा। इन प्रतिमाओं के माध्यम से इन तत्वों के गहरे रहस्यों से जुड़ी महत्वपूर्ण सिद्धांतों का उद्घाटन होता है। जगत के अंदर और बाहर फैली हुई सारी ऊर्जा और गतिविधियों में स्थित अग्निमूर्ति को बहुत ही शक्तिशाली और ओजस्वी माना जाता है, और इसका स्वामी रुद्र हैं।

यह भी पढ़ें: महाशिवरात्रि और शिव नवरात्रि में क्या अंतर है?

उग्र रूप शिव का वह रूप है, जो प्राणियों के भीतर और बाहर गतिशील रहते हुए इस संसार का पालन-पोषण करता है और खुद भी लगातार स्पंदित होता रहता है। सज्जन लोग इसे परमात्मा शिव का उग्र रूप मानते हैं। भीम रूप शिव का वह रूप है, जो सभी को शांति और अवकाश देनेवाला, सर्वव्यापक और आकाश में फैला हुआ है। यह रूप महाभूतों को भेदनेवाला है।

bhagwan shiv ki kis pratima ka kya arth hai

पशुपति रूप वह रूप है, जो सभी आत्माओं का अधिष्ठान और समस्त क्षेत्रों का निवास स्थान है। यह रूप पशुपाश को काटने वाला है, यानी यह सभी बंधनों को तोड़नेवाला है। ईशान रूप शिव का सूर्य रूप है, जो सम्पूर्ण जगत को प्रकाशित करता है और आकाश में भ्रमण करता है। महादेव रूप वह है, जिसमें अमृत के समान किरणों से शिवजी संसार को शुद्ध और आनंदित करते हैं। यह रूप महादेव के नाम से प्रसिद्ध है।

यह भी पढ़ें: Maha Shivratri 2025: महादेव की पूजा में शामिल होने के बाद कितनी बार लें आरती

आत्मा रूप शिव का आठवां रूप है, जो अन्य सभी मूर्तियों से कहीं ज्यादा व्यापक है। यह समस्त चराचर जगत का ही स्वरूप है, यानी यह सबकुछ में व्याप्त है। जैसे एक वृक्ष की जड़ (मूल) को सींचने से उसकी शाखाएं मजबूत होती हैं, वैसे ही शिव का शरीरभूत संसार शिवार्चन से पुष्ट होता है। जैसे इस लोक में पिता अपने पुत्र या पौत्र के प्रसन्न होने पर खुश होता है, वैसे ही शिवजी संसार के खुश होने पर प्रसन्न रहते हैं।

bhagwan shiv ki kis pratima ka kya matlab hai

अगर कोई किसी भी शरीरधारी को कष्ट देता है, तो यह मानो उसने शिव की अष्टमूर्ति को ही आहत किया है।

अगर हमारी स्टोरीज से जुड़े आपके कुछ सवाल हैं, तो वो आप हमें कमेंट बॉक्स में बता सकते हैं और अपना फीडबैक भी शेयर कर सकते हैं। हम आप तक सही जानकारी पहुंचाने का प्रयास करते रहेंगे। अगर आपको ये स्टोरी अच्छी लगी है, तो इसे शेयर जरूर करें। ऐसी ही अन्य स्टोरी पढ़ने के लिए जुड़ी रहें हरजिंदगी से।

image credit: herzindagi 

यह विडियो भी देखें

Herzindagi video

Disclaimer

हमारा उद्देश्य अपने आर्टिकल्स और सोशल मीडिया हैंडल्स के माध्यम से सही, सुरक्षित और विशेषज्ञ द्वारा वेरिफाइड जानकारी प्रदान करना है। यहां बताए गए उपाय, सलाह और बातें केवल सामान्य जानकारी के लिए हैं। किसी भी तरह के हेल्थ, ब्यूटी, लाइफ हैक्स या ज्योतिष से जुड़े सुझावों को आजमाने से पहले कृपया अपने विशेषज्ञ से परामर्श लें। किसी प्रतिक्रिया या शिकायत के लिए, compliant_gro@jagrannewmedia.com पर हमसे संपर्क करें।