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थाईलैंड और कंबोडिया के बीच इस मंदिर के लेकर हो रहा है विवाद, 525 मीटर ऊंची पहाड़ी पर स्थित भगवान के इस शिव मंदिर की 5 खासियत पढ़ें यहां

प्रीह विहियर शिव मंदिर को लेकर थाईलैंड और कंबोडिया के बीच कानूनी लड़ाई लंबे समय से चल रही थी। अदालत के फैसले में यह मंदिर कंबोडिया के हिस्से में गया, लेकिन अब एक बार फिर युद्ध के चलते यह राष्ट्रवाद का बड़ा मुद्दा बन गया है।
Editorial
Updated:- 2025-07-25, 13:19 IST

थाईलैंड और कंबोडिया में इस समय चल रहे युद्ध में मंदिर का विवाद गहराता जा रहा है। एक मंदिर के लिए दोनों देश एक दूसरे से लड़ रहे हैं। आखिर यह मंदिर किस देश के हिस्से में आएगा, अभी कुछ नहीं कहा जा सकता। लेकिन मंदिर को लेकर हो रहे विवाद के चलते लोग इसके बारे में ज्यादा से ज्यादा जानना चाह रहे हैं। इस मंदिर को लेकर विवाद का सबसे बड़ा कारण यह है कि यह शिव मंदिर थाईलैंड और कंबोडिया की सीमा पर मौजूद है। इसका इतिहास हजारों साल पूराना है और स्थानीय लोगों का इसके प्रति गहरा रिश्ता है। आखिर इस मंदिर की क्या खासियत है और क्यों इसे दोनों देश अपने हिस्से में रखने के लिए लड़ रहे हैं, इसके बारे में हम आपको इस आर्टिकल में विस्तार से जानकारी देंगे।

प्रीह विहियर शिव मंदिर के 5 बड़े फैक्टस

  • 2 देशों के बीच चल रहे विवाद के बीच लोग यह जानना चाह रहे हैं कि आखिर यह मंदिर इस समय किस देश के हिस्से में हैं, तो बता दें कि यह अभी कंबोडिया के हिस्से में आता है।
  • दोनों ही देशों में ऐसा कोई फेमस शिव मंदिर नहीं है, जो 525 मीटर ऊंचाई पर स्थित है। भोलेनाथ के इस मंदिर से आस-पास का सुंदर नजारा देखने को मिलता है। यह मंदिर जंगलों और मैदानों के बीच स्थित होने की वजह ये पर्यटकों को आकर्षित करता है। इस मंदिर तक पहुंचने के लिए आपको कई स्तरों की सीढ़ियों और रास्तों से होकर गुजरना होता है।
  • इस प्रीह विहियर शिव मंदिर को साल 2008 में यूनेस्को द्वारा विश्व धरोहर स्थल घोषित किया गया था। प्रीह विहार शिव मंदिर में 5 मुख्य प्रवेश द्वार बनाए गए हैं। यह डोंगरेक पहाड़ियों की चोटी पर स्थित है।

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  • दोनों ही देश में भोलेनाथ का ऐसा कोई भी ऐतिहासिक शिव मंदिर नहीं है, जो 9वीं से 12वीं शताब्दी के बीच बनाया गया हो। माना जाता है कि इस मंदिर को 9वीं से 12वीं शताब्दी तैयार किया गया था। इसका इतिहास खमेर साम्राज्य का बताया जाता है।
  • दिखने में यह मंदिर आपको खंडहर की तरह लगेगा, क्योंकि दीवारें पूरानी और ऐतिहासिक है। लेकिन फिर भी लोग इसे देखने के लिए दूर-दूर से आते हैं। इस मंदिर में आपको अलग-अलग तरह की ऐतिहासिक दीवारें और संरचनाएं देखने को मिलेंगी। यहां नंदी, शिव की मूर्तियां और दीवरों पर अलग-अलग चिन्ह भी देखने को मिलेंगे, जो भोलेनाथ को समर्पित सबसे खास मंदिर हैं।

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