Surya Pongal 2024: कब मनाया जाएगा सूर्य पोंगल, जानें तिथि और पर्व का महत्व

उत्तर भारत में जिस प्रकार लोहड़ी और मकर संक्रांति के त्यौहार का महत्व है, उसी प्रकार दक्षिण भारत में पोंगल का महत्व है। यह पर्व भगवान सूर्य को समर्पित है।

 

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हिंदू धर्म में सभी व्रत-त्यौहार का विशेष महत्व है। यहां होली-दिवाली के अलावा मकर संक्रांति और पोंगल जैसे त्यौहार को बहुत धूमधाम से मनाया जाता है। हिंदू धर्म में जब सूर्य देव धनु राशि से निकलकर मकर राशि में प्रवेश करते हैं, तब उस दिन को देश भर में मकर संक्रांति के रूप में मनाया जाता है। उत्तर भारत में इस दिन को मकर संक्रांति, खिचड़ी और लोहड़ी के नाम से मनाया जाता है। वहीं दक्षिण भारत में इसे पोंगल के नाम से मनाया जाता है। दक्षिण भारत में मनाए जाने वाला यह पर्व साल के बड़े पर्व मे से एक है, जो कुल चार दिनों तक चलता है। चलिए बिना देर किए जान लेते हैं पोंगल के बारे में विस्तार से...

कब मनाया जाएगा पोंगल

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दक्षिण भारत में पोंगल का यह पर्व 15 जनवरी को मनाया जाएगा। पोंगल का त्यौहार भगवान सूर्य और काटे हुए नए फसल को समर्पित है। लोग रबी फसल की कटाई के बाद पोंगल के इस त्यौहार को बहुत धूमधाम से अपने परिवार के साथ मनाते हैं। दक्षिण भारत में लोग सूर्य देव की उपासना करते हुए अच्छी फसल की कामना करते हैं।

पोंगल पर्व का क्या है महत्व?

पोंगल के दिन से तमिल नववर्ष की शुरुआत होती है। इस दिन लोग नए साल की बधाई देकर जश्न मनाते हैं। नव वर्ष के अलावा इस दिन लोग भगवान सूर्य, गाय, इंद्र देव और कृषि यंत्रों की पूजा करते हैं और अच्छी फसल के लिए ईश्वर से प्रार्थना करते हैं। दक्षिण भारत में केरल, कर्नाटक, आंध्र प्रदेश, तमिलनाडु, तेलंगाना में पोंगल को बहुत धूमधाम से मनाने की परंपरा है।

कब मनाया जाएगा सूर्य पोंगल और क्या है महत्व?

Surya Pongal

सूर्य पोंगल 16 जनवरी 2024 को मनाया जाएगा। सूर्य पोंगल को थाई पोंगल भी कहा जाता है। इस दिन भगवान सूर्य के उत्तरायण होने पर सूर्य देव को आभार प्रकट किया जाता है और उनकी पूजा एवं उपासना की जाती है। इस दिन आंगन में नए चूल्हे में आग जलाकर साफ बर्तन में सूर्य देव को भोग लगाने के लिए नए चावल की खीर बनाई जाती है। भगवान सूर्य और इंद्र देव की पूजा करने के बाद उन्हें आंगन में बने खीर का भोग लगाते हैं और सभी को प्रसाद बांटते हैं। नए चावल की खीर को मिट्टी के बर्तन में पकाया जाता है, साथ ही प्रसाद बनाते वक्त सभी लोक गीत गाती हैं। सूर्य देव को भोग लगाने के लिए खेत से गन्ना, केला और नारियल भी चढ़ाया जाता है।

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Image Credit: Freepik

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