शारदीय नवरात्रि में हर दिन अलग तरह से पूजन का विधान है। नवरात्रि का नौवां दिन नवरात्रि पूजा का अंतिम दिन होता है और यह दिन मां सिद्धिदात्री को समर्पित होता है। उन्हें माता दुर्गा के नौवें अवतार के रूप में पूजा जाता है और उनकी पूजा पूरे विधि विधान के साथ की जाती है।
नवरात्रि का प्रत्येक दिन भक्तों के लिए महत्वपूर्ण होता है, लेकिन नौवें दिन का विशेष महत्व है क्योंकि इस दिन से नवरात्रि पूजन का समापन होता है। इस दिन को महा नवमी भी कहा जाता है और इसी दिन कन्या पूजन और हवं भी किया जाता है।
आइए ज्योतिषाचार्य एवं वास्तु विशेषज्ञ डॉ आरती दहिया से जानें मां सिद्धिदात्री की पूजा विधि, मंत्रों और उन्हें लगने वाले भोग के बारे में।
मां सिद्धिदात्री का स्वरुप
सिद्धिदात्री मां कमल के फूल पर विराजमान हैं जबकि उनकी सवारी सिंह है। वह लाल कपड़े पहने हुई हैं और उसके चार हाथ हैं। उनके निचले बाएं हाथ में कमल का फूल है जबकि ऊपरी बाएं हाथ में एक शंख विराजमान है।
उनके ऊपरी दाहिने हाथ में चक्र है जबकि निचले दाहिने हाथ में एक गदा है। सिद्धिदात्री का अर्थ है- सिद्धि का अर्थ पूर्णता है जबकि दात्री का अर्थ है देने वाला। ऐसा माना जाता है कि माता अपने भक्तों की मनोकामनाएं पूर्ण करती हैं, इसलिए उन्हें माता सिद्धिदात्री के रूप में पूजा जाता है।
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मां सिद्धिदात्री पूजा मुहूर्त
- नवरात्रि 9 वें दिन पूजा तिथि: 4 अक्टूबर, मंगलवार
- नवमी तिथि आरंभ - 3 अक्टूबर 2022 को प्रातः 06:58 बजे
- नवमी तिथि समापन- 4 अक्टूबर 2022 को प्रातः 07:41 बजे
मां सिद्धिदात्री पूजा विधि
महानवमी के दिन मां सिद्धिदात्री की पूजा का विधान है और इसी दिन कन्या पूजन भी किया जाता है। नवरात्रि का समापन भी इसी दिन से हो जाता है। इस साल शारदीय नवरात्रि की नवमी तिथि 4 अक्टूबर, मंगलवार के दिन है।
नवरात्रि के नवम दिन मां दुर्गा के स्वरूप मां सिद्धिदात्री की पूजा विधि के साथ की जाती है। मान्यता है कि मां सिद्धिदात्री अपने भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूरी करती हैं और उन्हें यश, बल और धन प्रदान करती हैं। मां सिद्धिदात्री को सिद्धि और मोक्ष की देवी माना जाता है। उनकी पूजा आप यहां बताए विधान से कर सकती हैं।
- सुबह जल्दी उठकर स्नान आदि से निवृत्त होने के बाद साफ- स्वच्छ वस्त्र धारण करें।
- स्नान कराने के बाद माता को पुष्प अर्पित करें।
- मां को रोली या कुमकुम का तिलक (हल्दी का तिलक लगाने के फायदे) लगाएं।
- मां को मिष्ठान और फलों का भोग लगाएं। पीले फलों का भोग माता के लिए शुभ माना जाता है।
- मां सिद्धिदात्री का अधिक से अधिक ध्यान करें।
- इस दिन मां की आरती अवश्य करें।
मां सिद्धिदात्री को लगाएं इन चीजों का भोग
यदि आप माता के इस स्वरुप को भोग में हलवा पूड़ी का भोग लगाएंगे तो सुख शांति बनी रहती है। इस दिन माता को काले चने का भोग भी लगाना चाहिए और इसी का भोग कन्याओं को भी खिलाना शुभ माना जाता है।
मां सिद्धिदात्री के मंत्र
सिद्धगन्धर्वयक्षाद्यैरसुरैरमरैरपि,
सेव्यमाना सदा भूयात सिद्धिदा सिद्धिदायिनी।
या देवी सर्वभूतेषु माँ सिद्धिदात्री रूपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:।
इस दिन कन्या पूजन भी किया जाता है
- नवरात्रि के नौवें दिन विधि विधान के साथ कन्या पूजन भी किया जाता है। आमतौर पर दस वर्ष से कम उम्र की इस दिन पूजा होती है।
- कन्याओं को घर में आमंत्रित किया जाता हाउ और उन्हें भोजन आदि कराया जाता है। इसके साथ उन्हें उपहार भी दिया जाता है।
- कन्या रूप में देवी जी के नौवें रूप की पूजा का प्रतीक माना जाता है।
- पूजन के बाद मां सिद्धिदात्री की आरती की जाती है और पूजन के साथ ही नवरात्रि का समापन हो जाता है।
- नवरात्रि के नौवें दिन के बाद दशहरा मनाया जाता है।
इस प्रकार यदि आप पूरी श्रद्धा भाव से माता के नौवें स्वरुप की पूजा करती हैं, तो ये आपकी सभी मनोकामनाओं की पूर्ति हो सकती है। अगर आपको यह स्टोरी अच्छी लगी हो तो इसे फेसबुक पर जरूर शेयर करें और इसी तरह के अन्य लेख पढ़ने के लिए जुड़ी रहें आपकी अपनी वेबसाइट हरजिंदगी के साथ।
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