एरोप्‍लेन में यात्रियों को पैराशूट क्‍यों नहीं दिए जाते?

हवाई यात्रा में यात्रियों को पैराशूट क्यों नहीं दिए जाते? जानें इसके पीछे के वैज्ञानिक और सुरक्षा से जुड़े ठोस कारण, जो आपकी शंका दूर करेंगे।
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अहमदाबाद एयर इंडिया प्‍लेन क्रैश के बाद से बहुत से लोगों के मन में यह सवाल उठ रहा है कि आखिर प्‍लेन में यात्रियों को किसी इमेरजेंसी के वक्‍त प्‍लेन से कूदने के लिए पैराशूट क्‍यों नहीं दिया जाता है। जाहिर है, इस प्‍लेन दुर्घटना के बाद से जिन लोगों को बहुत ही जल्‍दी-जल्‍दी प्‍लेन से सफर करना होता है, उन्‍हें यात्रा से पूर्व बेचैनी सी हो रही होगी। मन में यह सवाल बार-बार आ रहा होगा कि अगर यात्रियों के पास पैराशूट होता तो शायद वो प्‍लेन से कूद जाते और बच जाते। मगर प्‍लेन में यात्रियों को पैराशूट न दिए जाने के पीछे एक वैज्ञानिक कारण है। आज हम इस पर विस्‍तार से चर्चा करेंगे और आपको बताएंगे कि आखिर क्‍यों किसी प्‍लेन दुर्घटना के वक्‍त यात्री पैराशूट का इस्‍तेमाल नहीं कर सकते हैं।

प्‍लेन के यात्रियों को इन 5 कारणों से नहीं दिया जाता है पैराशूट

प्‍लेन से सफर करने दौरान फ्लाइट का टेक ऑफ और लैंडिंग दोनों ही बहुत महत्‍वपूर्ण होती हैं। अगर यह ठीक से हो जाए, तो सभी यात्रि सुरक्षित रहते हैं। मगर सवाल यह उठता है कि पैसेंजर्स को जब इमेरजेंसी गेट को खोलने की ट्रेनिंग दी जाती है, तो साथ में पैराशूट क्‍यों नहीं दिया जाता है। अगर प्‍लेन में बैठे सभी यात्रियों को पैराशूट दे दिया जाए तो प्‍लेन के क्रैश होने जैसी स्थिति में पायलेट के संकेत देते ही सभी यात्री पैराशूट की मदद से नीचे कूद सकते हैं। मगर ऐसा नहीं हो सकता है। इसके पीछे 5 बड़े कारण जो हैं, चलिए वो हम आपको बताते हैं।

Parachute

प्‍लने से पैराशूट से कूदने की ट्रेनिंग की समस्‍या

एक प्‍लेन में कम से कम ट्रैवल करने वालों की संख्‍या 300 के करीब हो सकती है। साथ में 10 से 12 क्रीयू मेंबर भी प्‍लेन में होते हैं। ऐसे में सभी को प्‍लेन क्रैश होने की स्थिति से पहले पैराशूट से कैसे कूदा जा सकता है, उसकी ट्रेनिंग देना किसी भी क्रियू मैंबर के लिए बहुत ज्‍यादा मुश्किल है। वहीं प्‍लेन में कोई भी आपातकालीन स्थिति में 300 लोगों को बारी-बारी से एग्जिट गेट से कूदना भी आसान नहीं है। आपको बता दें कि हवा में उड़ते हुए प्‍लेन का एयर प्रेशर बाहर के एयर प्रेशर से कहीं ज्‍यादा अधिक होता है। अगर ऐसे में इमेरजेंसी गेट खोल दिया जाए तो तेजी से हवा अंदर की ओर घुसती है और यात्रियों का अपनी जगह से हिलना तक मुश्किल हो जाता है। इस तेज हवा के कारण प्‍लेन भी डगमगाने लगता है और पायलेट के लिए प्‍लेन को बैलेंस करना मुश्किल हो जाता है।

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प्‍लेन की हाइट की वजह से भी पैराशूट से कूदना हो सकता है कठिन

पैसेंजर प्‍लेंस लगभग 30000 फिट से भी ज्‍यादा की ऊंचाई पर उड़ते हैं। इतनी ऊपर से अगर कोई व्‍यक्ति पैराशूट की मदद से नीचे कूदेगा तो ऑक्‍सीजन की कमी के कारण बेहोश हो जाएगा। अब आप सोच रही होंगी की स्‍काईडाइविंग में भी तो लोग काफी ऊपर से कूदते हैं। तो आपको बता दें कि स्‍काई डाइविंग में 10 या 15 हजार फीट से कूदा जाता है। ऐसे में जो भी स्‍काई डाइविंग करता है उसे आपने साथ सप्लिमेंट ऑक्‍सीजन रखना होता है। इतना हीं नहीं, पैराशूट से नीचे कूदने की हिम्‍मत भी हर कोई नहीं रख सकता है। हालहि में, जब अहमदाबाद में प्‍लेन क्रैश हुआ तब प्‍लेन की हाइट कुछ 600 फीट तक ही बताई गई थी। इतनी हाइट से प्‍लेन से पैराशूट की मदद से कूदा जा सकता है, मगर प्‍लेन इतनी हाइट पर है, तो मतलब यह है कि कुछ सेकेंड्स में ही वो क्रैश हो सकता है। ऐसे में सभी यात्री पैराशूट की मदद से नीचे नहीं कूद सकते हैं।

airline passengers

पैराशूट फैसिलिटी से महंगी हो सकती हैं फ्लाइट बुकिंग

फ्लाइट की टिकेट्स सभी लोग अफॉर्ड नहीं कर पाते हैं, ऐसे में पैराशूट फैसिलिटी की वजह से यह टिकेट्स और भी ज्‍यादा महंगी हो सकती हैं। ऐसे में प्‍लेन से सफर करने से पहले लोगों को कई बार सोचना पड़ेगा। इसलिए भी प्‍लेन में बैठे यात्रियों को पैराशूट नहीं दिए जाते हैं। साथ ही इनका वजन भी बहुत ज्‍यादा होता है। इसलिए प्‍लेन में इतने सारे पैराशूट्स को कैरी करना भी बहुत मुश्किल होता है।

क्‍यों होते हैं प्‍लेन में इमेरजेंसी गेट?

जब प्‍लेन से बिना पैराशूअ के गूदा नहीं जा सकता है और पैराशूट प्‍लेन में होते नहीं हैं, तो आखिर इमेरजेंसी गेट क्‍यों होता है? इतना कुछ जानने के बाद आपके मन में यह सवाल भी उठ ही रहा होगा। तो आपको बता दें कि प्‍लेने में सभी यात्रियों को लाइफ जैकेट दी जाती है। दरअसल, इमेरजेंसी के वक्‍त पायलेट की कोशिश होती है कि प्‍लेन की समुद्र और नदी में क्रैश लैंडिंग कराए, ताकि इमरजेंसी विंडो खोलकर यात्री लाइफ जैकेट पहन कर प्‍लेन से कूद सकें और अपनी जान बचा सकें। इसलिए प्‍लेन में इमेरजेंसी विंडो होती है।

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प्‍लेन क्रैश जैसे हादसे न हों, ऐसी हम कामना करते हैं मगर बहुत जरूरी है यात्रियों के लिए यह जानना कि ऐसी अपातकालीन परिस्थितियों में कैसे खुद को बचाया जा सकता है।

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