Pitru Paksha 2022 : आखिर गया में ही क्यों किया जाता है श्राद्ध, जानें हिंदू धर्म के अनुसार इसका महत्व

 इस लेख में हम आपको बताएंगे कि गया में ही क्यों श्राद्ध किया जाता है और इसका हिंदू धर्म के अनुसार क्या महत्व है। 

Why people do pind daan in gaya

भाद्रपद महीने के कृष्ण पक्ष के पंद्रह दिनों को ही पितृपक्ष कहा जाता है। आपको बता दें कि इस बार हिंदू पंचांग के अनुसार 10 सितंबर से श्राद्ध पक्ष शुरू होगा और 25 सितंबर को खत्म होगा।

ऐसा माना जाता है कि इस समय में हमारे पूर्वज धरती पर एक शक्ति के रूप में धरती पर आगमन करते हैं। पितृपक्ष के दिनों में लोग अपने पूर्वजों को याद करके उनके नाम पर श्राद्ध को विधि पूर्वक संपन्न करते हैं।

ऐसा माना जाता है कि पितृपक्ष पर श्राद्ध को विधि पूर्वक संपन्न करने से पितरों की आत्मा को शांति मिलती है और पिंडदान भी पितरों तक पहुंचता है। पितृपक्ष पर लोग बिहार के गया तीर्थ में जाकर श्राद्ध का काम विधि- विधान के साथ करते हैं। इस कार्य को बिहार के गया में करने का हिंदू धर्म में विशेष महत्व बताया गया है। इस लेख में हम आपको इसके महत्व के बारे में बताएंगे।

1) गया में पूर्वजों को मिलता है मोक्ष

pitru paksh

आपको बता दें कि बिहार के गया को मोक्ष की भूमि यानी मोक्ष स्थली भी कहा जाता है। हिंदू धर्म के अनुसार गया में पिंडदान व श्राद्ध का कार्य करने से पूर्वजों को मोक्ष की प्राप्ति हो जाती है।

यहां पर पिंडदान करने से कई कुलों और पीढ़ियों का उद्धार भी होता है। इस जगह पर पितृपक्ष मेला भी लगता है जिसमें कई लोग शामिल होते हैं। हर साल पितृपक्ष मेला में लाखों लोग श्राद्ध का कार्य करने आते हैं। ऐसा भी माना जाता है कि गया में श्राद्ध को विधि पूर्वक करने से व्यक्ति पितृ के कर्ज से मुक्त हो जाता है।

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2)बौद्ध धर्म के लिए भी पवित्र स्थल है

यह स्थान हिंदुओं के लिए पवित्र स्थल तो है ही साथ में बौद्ध धर्म के लोगों का भी पवित्र स्थल है। आपको बता दें कि बौद्ध धर्म के लोगों ने यहां पर कई मंदिरों का निर्माण करवाया है। बोधगया को भगवान बुद्ध की भूमि भी कहा जाता है।

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3) कई पौराणिक कथाओं में है इस जगह का वर्णन

आपको बता दें कि महाभारत के समय कौरवों ने भी इसी स्थान पर श्राद्ध कर्म किया था। यही नहीं भगवान विष्णु भी खुद पितृदेव के रूप में इस पवित्र स्थल पर निवास करते हैं।

अगर बात करें रामायण की तो गया में फल्गु नदी के तट पर भगवान राम और सीता माता ने भी राजा दशरथ की आत्मा की शांति के लिए भी यहां पर श्राद्ध का कार्य विधि पूर्वक किया था। इसके बारे में वायु पुराण में भी बताया गया है। इस वजह से फल्गु नदी को भी एक महत्वपूर्ण और धार्मिक नदी माना जाता है।

इन सभी कारणों की वजह से गया में श्राद्ध किया जाता है।

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Image credit- freepik/pixabay

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