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पत्नी की सहमति के बिना 'अप्राकृतिक यौन संबंध' दंडनीय अपराध, लेकिन रेप नहीं...इलाहाबाद हाईकोर्ट ने की टिप्पणी

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने एक याचिका पर सुनवाई करते हुए अहम टिप्पणी की है। अपने फैसले में Allahabad High Court ने कहा है कि पत्नी की सहमति के बिना 'अप्राकृतिक यौन संबंध' दंडनीय अपराध है। हालांकि, इसे रेप नहीं माना गया है।
Editorial
Updated:- 2025-05-08, 18:15 IST

हमारे देश में मैरिटल रेप, दहेज उत्पीड़न और घरेलू हिंसा जैसे मामले सामने आते रहते हैं। ऐसे में एक मामले की सुनवाई के दौरान, इलाहाबाद हाईकोर्ट ने हाल ही में एक अहम फैसला सुनाया है। इस टिप्पणी में कोर्ट ने कहा है कि पत्नी की मर्जी के बिना पति का उसके साथ अप्राकृतिक यौन संबंध बनाना अपराध माना जाएगा। कोर्ट ने इसे दंडनीय अपराध माना है। हालांकि, इसे रेप नहीं माना जाएगा। कोर्ट ने क्या कुछ कहा है और किस मामले में यह टिप्पणी की गई है, चलिए आपको बताते हैं।

पत्नी संग जबरन अननेचुरल सेक्शुअल रिलेशन को कोर्ट ने माना अपराध

unnatural Sexual relation with wife
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने एक फैसला सुनाते हुए कहा है कि पत्नी संग उसकी बिना मर्जी के अननेचुरल सेक्शुअल रिलेशन को धारा 377 के तहत दंडनीय अपराध माना जाएगा। अगर महिला की उम्र 18 साल से अधिक हो, तो भी इसे अपराध की श्रेणी में रखा जाएगा। हालांकि, धारा 375 के अनुसार इसे रेप नहीं माना जा सकता है। बता दें कि इलाहाबाद हाईकोर्ट ने इमरान खान उर्फ अशोक रत्न की याचिका पर फैसला सुनाते हुए यह कहा। कोर्ट ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले सहित अन्य तमाम फैसलों पर विचार करते हुए यह टिप्पणी की और कहा कि अगर पत्नी बालिग है और उसकी सहमति से दोनों अननेचुरल सेक्शुअल रिलेशन बनाते हैं, तो यह अपराध नहीं है। लेकिन, पत्नी की सहमति के बिना जबरदस्ती अप्राकृतिक सेक्शुअल रिलेशन बनाना धारा 377 के तहत अपराध होगा।

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इलाहाबाद हाईकोर्ट ने अपने फैसले में कहीं ये बातें

non consensual unnatural sexual relation with wife is punishable but not considered as rape
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने सीधे तौर पर पत्नी की बिना मर्जी के बनाए गए सेक्शुअल रिलेशन को अपराध की श्रेणी में रखा है। इसके अलावा अगर पति, पत्नी की इच्छा के विपरीत दहेज की मांग में परेशान करता है और इसमें उसके साथ अप्राकृतिक सेक्शुअल रिलेशन बनाता है तो यह दहेज उत्पीड़न का अपराध है। मेडिकल जांच के लिए तैयार न होना भी कार्यवाही को रद्द करने के लिए काफी नहीं है। दरअसल, इस मामले में दायर याचिका में कहा गया था कि क्योंकि शिकायकर्ता और याची पति-पत्नी है और ऐसे में अननेचुरल सेक्शुअल रिलेशन का मामला बनता ही नहीं है। हालांकि, कोर्ट ने इस मामले में पूरी तौर पर साफ किया और कड़े शब्दों में इसे अपराध बताया।

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Image credit: Freepik

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