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history of Kumari tradition Nepal

ना मंदिर-ना मूर्ति? नेपाल में आज भी होती है एक जीवित देवी की पूजा, जानिए कौन है काठमांडू की 'कुमारी', जिनके सामने राजा भी झुकाते थे सिर

भगवान को लेकर देश-दुनिया में अलग-अलग प्रथाएं और मान्यताएं हैं। कुछ देश में ऐसी प्रथाएं हैं कि सुनकर हैरानी होती है। इस लेख में आज हम आपको एक ऐसे देश के बारे में बताने जा रहे हैं, जहां पर जीवित कन्या की पूजा की जाती है। नीचे जानें कौन सा है वह देश-
Editorial
Updated:- 2025-09-11, 17:09 IST

देश-दुनिया में भगवान की पूजा-अर्चना को लेकर तमाम तरह की प्रथाएं और परम्पराएं शामिल है। कुछ लोग मूर्ति रुप में कुछ लोग तस्वीर रुप में पूजते हैं। दुनिया के हर कोने से अलग-अलग परंपरा देखने को मिलती है, जिसे जानकर कई बार हैरानी या ताजुब होता है कि अच्छा ऐसा भी होता है। भारत के पड़ोसी देश नेपाल में एक ऐसी परंपरा है, जिसे जानने के बाद यकीनन आप सोच में पड़ सकते हैं, लेकिन आपको बता दें कि बहुत प्रसिद्ध है। दरअसल, नेपाल के काठमांडू में जीवित देवी की पूजा कजाती है, जिसे कुमारी के नाम से पुकारा जाता है। यह सुनने में आपको थोड़ा अजीब लग सकता है, लेकिन यह सच है। अगर आपको इस प्रथा के बारे में नहीं पता है, तो इस लेख में हम आपको बताने जा रहे हैं कि आखिर कौन है ये जीवित कन्या, जिसकी पूजा की जाती है। इतना ही नहीं बल्कि इस कन्या के सामने राजा भी सिर झुकाते थे।

कौन है जीवित देवी कुमारी?

Kumari goddess Nepal

नेपाल के काठमांडू में जिस देवी की पूजा की जाती है, वह कोई मूर्ति या तस्वीर नहीं बल्कि एक जीवित युवा कुंवारी कन्या होती है। नेपाल में रहने वाले लोगों का मानना है कि कुमारी देवीस देवी दुर्गा या तलेजु भवानी का जीवित अवतार हैं। यह परंपरा नेवारी समुदाय की एक पुरानी और अनोखी धार्मिक परंपरा है, जो नेपाल के हिंदू और बौद्ध धर्म के संगम को को बताती है। इस कन्या का चुनाव शारीरिक और ज्योतिषीय मनदं के आधार पर एक प्रतियोगिता में होता है। अगर पूजा के लिए चुनी गई कन्या को मासिक धर्म या किसी प्रकार की बीमारी होती है, तो फिर उसकी पूजा नहीं की जाती है।

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कब होती है जीवित देवी कुमारी की पूजा?

साल के 12 महीने इस कन्या की पूजा-अर्चना नहीं की जाती है। बता दें कि प्रत्येक वर्ष इंद्र जात्रा उत्सव धूमधाम में मनाया जाता है। कुल 8 दिनों तक लड़की के सामने भगवान विष्णु के दस अवतारों का प्रदर्शन किया जाता है। जब कोई पूजा नहीं होती है, तो लोग सामान्य तरीके से देवी की पूजा-अर्चना होती है। यह प्रथा मल्ल वंश के समय शुरू हुई थी और आज भी नेपाल के कई शहरों में निभाई जाती है।

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कन्या को जमीन पर पैर रखने की होती है मनाही

Jatra festival Kumari worship

जिस कन्या को इस पूजा के चुना जाता है, उसे जमीन पर पैर रखने की मनाही होती है। वह कन्या हमेशा अपने सिंहासन में रहती है। ऐसा इसलए क्योंकि लोग उस कन्या को देवी और जमीन को देवता मानते हैं। ऐसे में कुमारी को किसी और देवता को छूने की अनुमति नहीं होती है। पूजा के लिए चुनी कन्या की अपने घर से एक साल में केवल 13 बार ही बाहर आती है।

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