Maharashtra School Girls Made To Strip For Menstruation Check: महाराष्ट्र में स्कूली छात्रों के साथ शर्मनाक घटनाएं बढ़ती ही जा रही हैं। हाल ही में एक टीचर ने अपने ही छात्रों के साथ यौन उत्पीड़न करके शिक्षकों के नाम पर धब्बा लगाया था। ये मामला अभी ठंडा भी नहीं हुआ था कि महाराष्ट्र के ठाणे जिले के शाहपुर इलाके के आर.एस. दमानी स्कूल में कुछ ऐसा हुआ है, जो स्कूलों में चल रही व्यवस्था पर सवाल खड़े कर रहा है। द हिंदू की एक रिपोर्ट के मुताबिक, छात्राओं के मासिक धर्म की जांच करने के लिए उनके कपड़े उतरवाए गए। यहां तक की उनके गुप्तांगों की जांच भी की गई। इस घटना के बारे में सोचकर भी शर्म आती है। आखिर कैसे स्कूल प्रशासन छात्राओं की प्राइवेसी के साथ खिलवाड़ कर सकता है। किसने स्कूल प्रशासन को बच्चियों के कपड़े उतरवाने और उनके प्राइवेट पार्ट्स को देखकर उनके पीरियड्स की जांच करने का हक दिया? क्या इस घटना के बाद माता-पिता अपनी बच्चियों को स्कूल भेज पाएंगे? इस घटना ने माता-पिता के मन में एक बार फिर डर पैदा किया है।
महाराष्ट्र के स्कूल का पूरा मामला क्या है?
एनडीटीवी की एक खबर के मुताबिक, महाराष्ट्र के शाहपुर स्थित एक निजी स्कूल में गर्ल्स वॉशरूम में खून के धब्बे मिलने पर बवाल हो गया। इसके बाद, स्कूल की प्रिंसिपल और एक महिला अटेंडेंट ने सभी लड़कियों के पीरियड्स की जांच करने के लिए 5वीं से 10 क्लास तक की छात्राओं से उनके कपड़े उतरवाए और उनके गुप्तांगों की जांच की। मामला पुलिस में पहुंचा। छात्राओं के अभिभावक स्कूल परिसर में विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं।
किसने दिया छात्राओं के कपड़े उतरवाने का हक?
स्कूल को अब तक बच्चों के लिए सबसे सेफ जगह माना जाता था। हालांकि, धीरे-धीरे लोगों की ये धारणा भी बदल रही है। स्कूल भी अब सेफ नहीं हैं। पिछले कुछ वक्त में जैसी घटनाएं सामने आई हैं, उसके बाद से ही स्कूल में बच्चों की सेफ्टी को लेकर कई सवाल खड़े हुए हैं। अगर वॉशरूम में खून के धब्बे मिले, तो क्या उसके लिए इतना बड़ा बवाल सही था? आखिर कैसे कोई टीचर या प्रिंसिपल छात्राओं को कपड़े उतारने का आदेश दे सकती है? आखिर किसने स्कूल अथॉरिटी को बच्चों के कपड़े खुलवाने और उनके प्राइवेट पार्ट्स चेक करने का हक दिया?
वॉशरूम की वीडियो बनाई और प्रोजेक्टर पर चलाई
स्कूल अथॉरिटी की बेशर्मी की हदें हर तरह से पार हो गईं। अथॉरिटी के लोगों ने गर्ल्स वॉशरूम का वीडियो बनाया और उसे प्रोजेक्टर पर चलाकर सभी लड़कियों से पूछा कि आखिर पीरियड्स किसे हो रहे हैं? इसके बाद, उन्हें दो ग्रुप्स में बांटा गया। जिन्हें पीरियड्स हो रहे थे, उनसे टीचर्स ने उनके अंगूठे के निशान देने कहा और जिन्हें नहीं हो रहे थे, उनके कपड़े उतरवा कर ये पुष्टी की गई कि कहीं वो झूठ तो नहीं बोल रही हैं। क्या ये स्कूल है? स्कूल में ऐसी शर्मनाक हरकतें शोभा देती हैं? क्या किसी एक टीचर की भी आंखों में शर्म नहीं जागी कि आखिर वो क्या कर रहे हैं? आपकी इस पर क्या राय है? आप इस शर्मनाक घटना को किस तरह से देखते हैं, हमें कमेंट में बताएं।
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Image Credit: freepik
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