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Lohri Kab Hai 2025

Lohri 2025: कब है लोहड़ी का त्योहार, जानें इसकी तिथि, इतिहास और दुल्ला भट्टी की कहानी

हमारे देश में किसी भी अन्य त्योहारों की ही तरह लोहड़ी का पर्व भी बड़े ही धूम-धाम से मनाया जाता है। इस पर्व को लेकर सभी के मन में कई सवाल आते हैं जैसे ये पर्व क्यों मनाया जाता है? लोहड़ी का महत्व क्या है? इस दिन अग्नि क्यों जलाई जाती है? आइए इन सवालों के जवाब यहां जानें।
Editorial
Updated:- 2025-01-13, 08:29 IST

लोहड़ी का पर्व उत्तर भारत, विशेष रूप से पंजाब और हरियाणा में बड़े ही उत्साह और धूमधाम के साथ मनाया जाता है। यह पर्व मकर संक्रांति से एक दिन पहले होता है और मुख्य रूप से फसल की कटाई के आगमन का संकेत देता है। इस पर्व का मुख्य आकर्षण अलाव जलाकर उसके आस-पास नाच-गाना करना और इसमें मूंगफली व पॉप कॉर्न भूनना होता है। इस दिन को खास बनाने के लिए मुख्य रूप से पंजाबी लोग पारंपरिक गीत गाते हैं और गिद्धा तथा भांगड़ा जैसे नृत्य करते हैं। हर साल की ही तरह इस बार भी लोगों के मन में इस पर्व को लेकर सवाल हैं। वास्तव में यह चंद्रमा और सूर्य की स्थिति पर भी निर्भर करती है। यह पर्व न केवल कृषि से जुड़े लोगों के लिए बल्कि अन्य समुदायों के लिए भी खास महत्व रखता है। इसे सूर्य देवता के साथ अग्नि देवता को धन्यवाद देने के लिए मनाया जाता है। लोहड़ी के पर्व को लेकर गूगल ट्रेंड में भी कई सवाल पूछे जा रहे हैं। इस पर्व की सही तिथि, इसके इतिहास से जुड़े रहस्य, इस त्योहार में अग्नि का महत्व जैसे कई सवाल जिनके जवाब जानने के लिए हमने ज्योतर्विद पंडित रमेश भोजराज द्विवेदी से बात की, आइए आपको बताते हैं गूगल ट्रेंड में पूछे गए ऐसे कई सवालों के सही जवाब के बारे में। जिससे आप सही तिथि में इस पर्व का आनंद उठा सकें।

लोहड़ी कब है 2025? (Lohri Kab Hai 2025?)

when is lohri 2025

लोहड़ी का पर्व आमतौर पर मकर संक्रांति के एक दिन पहले यानी कि 13 जनवरी को ही मनाया जाता है और इस साल भी यह पर्व इसी तिथि को मनाया जाएगा। लोहड़ी का पर्व फसलों की कटाई और नई फसल के स्वागत का प्रतीक माना जाता है। लोहड़ी की शाम को लोग लकड़ियों से आग जलाते हैं और उसके चारों ओर तिल, गुड़, रेवड़ी, और गजक अर्पित करते हैं। यह सामग्री अग्नि देवता को अर्पित की जाती है और उनसे घर की समृद्धि की प्रार्थना की जाती है।

इस दिन पवित्र अग्नि में काले तिल अर्पित करने का विशेष महत्व होता है और तिल को घर की समृद्धि का प्रतीक माना जाता है। लोग इसके चारों तरफ सात बार परिक्रमा करते हैं और खुशी दिखाने के लिए पारंपरिक गीत गाते हैं। यह त्योहार सर्दियों के अंत और गर्मी के आगमन का भी प्रतीक माना जाता है। लोहड़ी के इस खास मौके पर अपने परिवार और प्रियजनों के साथ त्योहार की खुशियां मनाते हैं।

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क्यों मनाते हैं लोहड़ी का त्योहार और क्या है दुल्ला भट्टी की कहानी?

लोहड़ी के त्योहार के साथ दुल्ला भट्टी की कहानी जुड़ी है, जिसने गरीब लड़कियों की शादी कराई और उनकी रक्षा की थी। यही नहीं इसका इतिहास भगवान कृष्ण से भी जुड़ा हुआ है। लोहड़ी का इतिहास और इसके साथ जुड़ी परंपराएं न केवल भारतीय कृषि संस्कृति से संबंधित हैं बल्कि यह एक ऐतिहासिक और पौराणिक महत्व भी रखती हैं। लोहड़ी का एक प्रमुख ऐतिहासिक पक्ष दुल्ला भट्टी से जुड़ा है। दुल्ला भट्टी मुग़ल शासनकाल में अकबर के राज्य में पंजाब में रहता था। वह दूसरों की मदद करता था इसी वजह से उसे पंजाब का नायक भी कहा जाता था।

उसने कई बार गरीबों की मदद की और नायक की उपाधि ली। यही नहीं उस समय लड़कियों को बेचने का व्यापार भी होता था और वो अमीरों के घरों में काम करती थीं। उस समय दुल्ला भट्टी ने सारी लड़कियों को मुक्त कराया। यही नहीं उस समय एक गांव में सुंदरदास नाम का किसान रहा करता था जिसकी दो बेटियां सुंदरी और मुंदरी थीं। इन दोनों लड़कियों की जबरदस्ती शादी करवाई जा रही थी। दुल्ला भट्टी ने मौके पर पहुंचकर इस शादी को रोका। इसके बाद दोनों लड़कियों की शादी उनके योग्य वर से हुई तभी से दुल्ला भट्टी को याद करते हुए लोहड़ी का पर्व पूरे देश में विधि-विधान से मनाया जाता है।

लोहड़ी से जुड़ी पौराणिक कथा क्या है?

lohri katha kya hai

लोहड़ी से जुड़ी एक और पौराणिक कथा के अनुसार, लोहड़ी के दिन ही कंस ने श्री कृष्ण को मारने के लिए एक राक्षसी का भेजा था जिसका नाम लोहिता था। कंस लोहिता को गोकुल भेजकर श्री कृष्ण को मारना चाहता था, लेकिन कृष्ण जी ने लोहिता का ही वध कर दिया। कृष्ण जी की इस विजय के कारण भगवान की महिमा और कंस के अत्याचार के खिलाफ उनके संघर्ष की कहानी प्रसिद्ध हुई। लोहिता राक्षसी के मारे जाने के उपलक्ष्य में ही उसी समय से लोहड़ी का पर्व मनाया जाता है। इस दिन लोग आग जलाकर और उसी अग्नि की परिक्रमा करके खुशी और समृद्धि की कामना करते हैं और यह पर्व विशेष रूप से पंजाब और आसपास के क्षेत्रों में बड़े धूमधाम से मनाया जाता है।

लोहड़ी में क्यों जलाई जाती है आग?

लोहड़ी के पर्व का मुख्य आकर्षण अग्नि होता है। जिसमें सभी लोग एक साथ इकठ्ठा होते हैं और बोनफायर का मजा उठाते हैं। परिवार के सभी लोग एक साथ मिलकर उसी आग की परिक्रमा करते हैं और घर की सुख-समृद्धि व सौभाग्य की कामना करते हैं। बोनफायर की इस अग्नि में नई फसलों को अर्पित किया जाता है और ईश्वर से खुशहाली की कामना की जाती है। लोहड़ी पर आग जलाने की परंपरा मुख्य रूप से माता सती से जुड़ी हुई है।

इसकी कथा के अनुसार एक बार जब राजा दक्ष ने महायज्ञ का अनुष्ठान किया था, तब उन्होंने सभी देवताओं को आमंत्रित किया, लेकिन शिवजी और सती को आमंत्रित नहीं किया। उसके बाद भी सती महायज्ञ में पहुंच गईं, लेकिन उनके पिता दक्ष ने भगवान शिव की बहुत अवहेलना की और उनका अपमान भी किया। इस बात से दुखी होकर सती अग्नि कुंड में कूद गईं और अपनी देह त्याग कर दी। ऐसा कहा जाता है कि यह अग्नि माता सती के त्याग को समर्पित थी, इसी वजह से लोहड़ी के दिन परिवार के सभी लोग अग्नि की पूजा करके एक साथ परिक्रमा करते हैं और आभार के रूप में अग्नि में तिल, गुड़, मूंगफली आदि अर्पित करते हैं।

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लोहड़ी का महत्व क्या है?

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लोहड़ी मुख्य रूप से कृषि से जुड़ा हुआ पर्व है। यह मुख्य रूप से फसल की कटाई के समय मनाया जाता है। इस दौरान तिल और मूंगफली जैसी फसलों की कटाई होती है और इसी वजह से अग्नि को ये चीजें समर्पित करके खुशहाली की कामना की जाती है। लोहड़ी का पर्व उन लोगों के लिए सबसे ख़ास होता है जिनकी नई शादी हुई होती है या फिर जिनके घर में बच्चे का जन्म हुआ होता है। ऐसे में यह पर्व और ज्यादा धूम-धाम से मनाया जाता है और इसमें सभी रिश्तेदार शामिल होते हैं। इस तरह यह पर्व समाज में मेलजोल और एकता को बढ़ाता है। इस पर्व में लोग एक साथ अलाव के पास इकट्ठा होते हैं, गीत गाते हैं और नृत्य करते हैं। यह एक सामूहिक उत्सव होता है जिसमें सभी समुदायों को एक साथ लाने की शक्ति होती है। यह पर्व कृषि और प्रकृति की महत्ता का भी प्रतीक है।

गूगल ट्रेंड पर लोहड़ी के बारे में क्या सर्च कर रहे हैं लोग?

गूगल ट्रेंड्स के अनुसार, लोहड़ी पर्व के बारे में सबसे अधिक सर्च पंजाब राज्य में हो रही है। यह पर्व मुख्य रूप से पंजाब, हरियाणा और उत्तर भारत के अन्य हिस्सों में धूमधाम से मनाया जाता है, इसलिए इस क्षेत्र के लोग लोहड़ी से संबंधित जानकारी प्राप्त करने के लिए गूगल पर ज्यादा चीजें खोज रहे हैं।

वहीं जब बात की जाए लोहड़ी से जुड़े प्रश्नों की, तो लोग इसकी तिथि और महत्व के बारे में जानने के लिए तो गूगल की सहायता ले ही रहे हैं और साथ ही, अन्य पर्वों से जुड़ी जानकारी भी तलाश रहे हैं जैसे कि बीहू, पोंगल और मकर संक्रांति। यही नहीं गूगल पर लोहड़ी विशेज और मैसेज के बारे में भी खोजा जा रहा है। 

अगर आप भी लोहड़ी के पर्व की विस्तृत जानकारी खोज रहे हैं तो हमें उम्मीद है कि आपको अपने कई सवालों का जवाब इस आर्टिकल के माध्यम से मिल गया होगा। अगर आपके इससे जुड़े अन्य कोई भी सवाल हैं तो हमें कमेंट बॉक्स में भेजें। आपको यह स्टोरी अच्छी लगी हो तो इसे फेसबुक पर शेयर और लाइक जरूर करें। इसी तरह और भी आर्टिकल पढ़ने के लिए जुड़े रहें हरजिंदगी से।

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