Chhath Puja Vrat Niyam 2024: क्या पुरुष भी रख सकते हैं छठ पूजा का व्रत? जानें क्या है नियम

Chhath Puja Vrat Niyam: छठ पूजा का व्रत महिलाओं द्वारा अपनी संतान के उज्जवल भविष्य, उसकी सुख-समृद्धि एवं उन्नति के लिए रखा जाता है लेकिन पुरुष भी छठ पूजा के व्रत का पालन कर सकते हैं। आइये जानते हैं।  
Chhath Puja 2024

Chhath Puja Vrat Niyamछठ पूजा को लोक मान्यता का सबसे बड़ा पर्व माना जाता है। छठ पूजा व्रत सबसे कठिन भी है क्योंकि इस व्रत में महिलाएं 36 घंटों तक बिना खाए-पिए उपवास का पालन करती हैं। छठ पूजा का व्रत महिलाओं द्वारा संतान की खुशहाली के लिए रखा जाता है। वहीं, पुरुष भी छठ पूजा में भाग लेते हैं लेकिन क्या पुरुषों को छठ पूजा का व्रत रखना चाहिए या फिर यूं कहें कि क्या पुरुष भी रख सकते हैं छठ पूजा का व्रत।आइये जानते हैं इस बारे में ज्योतिषाचार्य राधाकांत वत्स से विस्तार में।

क्या पुरुष कर सकते हैं छठ का व्रत?

kya purush bhi rakh sakte hai chhath vrat

छठ पूजा का व्रत पुरुष कर सकते हैं या नहीं, इसका उत्तर एक पौधानिक कथा से मिलता है। महाभारत में वर्णित है कि कर्ण सूर्य पुत्र थे और रोजाना सूर्य की उपासना किया करते थे, लेकिन कर्ण को यह बात पता नहीं थी कि वह सूर्य देव के आशीर्वाद से जन्में हैं।

जब इस बात का पता कर्ण को लगा तो उसने सूर्य नारायण की रोजाना उपासना का कठोर निर्णय लिया। रोजाना सूर्य को अर्घ्य देने और सूर्य नारायण की पूजा का पालन करने में बहुत अंतर होता है जिसका भान कर्ण को था। इसलिए उन्होंने सूर्य नारायण पूजा का संकल्प लिया।

कर्ण रोजाना कमर तक पानी में खड़े होकर सूर्य भगवान की पूजा करते थे और सूर्य अर्घ्य के बाद दान विधि पूर्ण करने के पश्चात ही भोजन किया करते थे। इस नियम से सूर्य देव बहुत प्रसन्न हुए और कर्ण को सुख-समृद्धि, धन-वैभव, ऐश्वर्य आदि प्रदान किया। कर्ण को सौभग्य प्राप्त हुआ।

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भले ही कर्ण को जीवन में कभी भी परिवार का सुख न मिला हो लेकिन सूर्य उपासना के कारण ही आखिर में उनका अंतिम संस्कार और पिंडदान उनके ही भाइयों यानी कि पांडवों के हाथों हुआ। कर्ण को परिवार का सुख न था लेकिन संपदा और दिव्य शक्तियों का सुख मिला।

kya purusho ko rakhna chahiye chhath puja ka vrat

यह कथा जानने के बाद आपको यह स्पष्ट हो गया होगा कि पुरुषों के लिए सूर्य उपासना करना कितना लाभकारी है। अगर आप रोजाना सूर्य उपासना नहीं कर सकतेहैं तो छठ का व्रत रखते हुए सूर्य को साध्य और ऊषा अर्घ्य अवश्य दें और छठी मैया की भी पूजा विधिवत करें।

आप भी इस लेख में दी गई जानकारी के माध्यम से यह जान सकते हैं कि छठ पूजा का व्रत क्या पुरुष भी रख सकते हैं या सिर्फ महिलाएं ही इस व्रत का पालन करती हैं।

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image credit: herzindagi

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FAQ

  • चैती छठ और कार्तिक छठ में क्या है अंतर?

    कार्तिक माह की छठ पूजा में भगवान सूर्य के साथ उषा देवी की विधि-विधान से पूजा की जाती है। चैत्र माह में पड़ने वाली छठ पूजा के दौरान भगवान सूर्य के साथ छठी मैया की आराधना करने का विधान है।
  • छठ पूजा के तीसरे दिन संध्या अर्घ्य का क्या है समय?

    छठ पूजा के तीसरे दिन यानी कि 7 नवंबर 2024 को शाम 5 बजकर 48 मिनट पर संध्या अर्घ्य दिया जाएगा।
  • छठ पूजा के व्रत का समापन कब होता है?

    कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि से इस पर्व की शुरुआत हो जाती है। इसका समापन कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की सप्तमी तिथि पर होता है। इस साल छठ पूजा का समापन 8 नवंबर, दिन शुक्रवार को होगा।