Income Tax की कड़ी नजर रहती है आपके इन 6 ट्रांजैक्शन्स पर, तीसरे नंबर की गलती अक्सर लोग कर बैठते हैं

आपको लगता होगा कि बस इनकम टैक्स रिटर्न (ITR) भर दिया, तो आपका काम खत्म हो गया। आप सोचते होंगे कि आपने जो छोटे-मोटे या कुछ बड़े लेनदेन छिपाए हैं, उन पर इनकम टैक्स डिपार्टमेंट ध्यान नहीं देगा, तो आप गलत हैं। असल में, इनकम टैक्स डिपार्टमेंट आपकी 6 तरह की खास लेन-देन पर बहुत बारीकी से नजर रखता है। 
Income tax watches these 6 transactions closely including hidden interest to rent

आमतौर पर हम सोचते हैं कि अगर हम फ्रीलांस करके थोड़े एक्स्ट्रा पैसे कमाते हैं या घर किराए पर देकर कुछ इनकम होती है, तो इनकम टैक्स डिपार्टमेंट को बताने की क्या जरूरत है? या कभी-कभी लगता है कि बच्चे के सेविंग्स अकाउंट में जो थोड़ा-बहुत ब्याज आता है, उस पर इनकम टैक्स डिपार्टमेंट क्या ही ध्यान देगा?

लेकिन आज के डिजिटल जमाने में ऐसा सोचना ठीक नहीं है! इनकम टैक्स डिपार्टमेंट आपके हर तरह के लेन-देन पर नजर रखता है, खासकर उन पर जो बड़े होते हैं या साफ-साफ नहीं दिखते। अगर आप सावधानी नहीं बरतते, तो आपके घर पर इनकम टैक्स का नोटिस आ सकता है।

किन 6 लेन-देन पर है इनकम टैक्स डिपार्टमेंट की पैनी नजर?

आज हम आपको उन 6 तरह के पैसों के लेन-देन के बारे में बता रहे हैं, जिन पर आयकर विभाग की खास नजर रहती है।

1. बैंक अकाउंट में ज्यादा कैश जमा करना

अगर आप अपने सेविंग्स अकाउंट में एक साल में 10 लाख रुपये से ज्यादा नकद जमा करते हैं, तो बैंक सीधे इनकम टैक्स डिपार्टमेंट को इसकी जानकारी भेजता है। सिर्फ यही नहीं, अगर आप फिक्स्ड डिपॉजिट में भी बड़ी रकम जमा करते हैं, तो बैंक इसकी खबर इनकम टैक्स डिपार्टमेंट को देता है। इसलिए, ध्यान रखें कि अगर आपके पास बड़ी रकम है, तो उसे हमेशा छोटे-छोटे हिस्सों में जमा करें। जैसे, आप ₹10 लाख को एक बार में जमा करने के बजाय, 5 बार में 2-2 लाख करके जमा कर सकते हैं, ताकि इनकम टैक्स डिपार्टमेंट का सिस्टम इसे आसानी से ट्रैक कर सके और आपको कोई परेशानी न हो।

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2. फिक्स्ड डिपॉजिट (FD) और सेविंग्स खाते से मिलने वाला ब्याज

आपको बता दें कि फिक्स्ड डिपॉजिट या सेविंग्स अकाउंट पर मिलने वाले ब्याज पर भी टैक्स देना पड़ता है। अगर कोई बैंक आपको एक साल में 5,000 से 10,000 रुपये से ज्यादा ब्याज देता है, तो वह इसकी जानकारी फॉर्म 26AS या AIS के जरिए आयकर विभाग को देता है। भले ही बैंक उस ब्याज पर पहले ही TDS काट लेता है, फिर भी आपको उस ब्याज को अपना आईटीआर (इनकम टैक्स रिटर्न) फाइल करते समय सही तरीके से दिखाना बहुत जरूरी है।

3. किराए से होने वाली इनकम छिपाना

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अगर आप अपनी पर्सनल या कमर्शियल प्रॉपर्टी से किराया कमा रहे हैं, तो आपको इसे अपने ITR में हाउस प्रॉपर्टी इनकम के तहत जरूर दिखाना चाहिए। आईटी विभाग लीज एग्रीमेंट में आपके और किराएदार के पैन नंबर से, अगर किराया 50,000 रुपये प्रति माह से अधिक है तो किराएदार द्वारा काटे गए TDS से, या बिजली-पानी जैसे बिलों के रिकॉर्ड से इसका पता लगा सकता है। इसलिए, आपको अपनी किराए की पूरी इनकम को सही-सही घोषित करना चाहिए, चाहे वह रकम कम हो या ज्यादा।

4. क्रेडिट कार्ड का 1 लाख से ज्यादा का कैश पेमेंट

अगर आप अपने क्रेडिट कार्ड का बिल 1 लाख या उससे ज्यादा नकद में चुकाते हैं, या पूरे साल में आप क्रेडिट कार्ड से 10 लाख से ज्यादा का पेमेंट करते हैं, तो आपकी क्रेडिट कार्ड कंपनी इसकी जानकारी इनकम टैक्स डिपार्टमेंट को देती है। इसलिए, ध्यान रखें कि आपके क्रेडिट कार्ड का खर्च आपकी बताई गई सालाना इनकम के हिसाब से ही होना चाहिए।

5. 30 लाख से ज्यादा की प्रॉपर्टी खरीदना या बेचना

अगर आप 30 लाख से ज्यादा कीमत की कोई प्रॉपर्टी खरीदते या बेचते हैं, तो रजिस्ट्रार ऑफिस खुद इसकी जानकारी आयकर विभाग को भेज देता है। अगर आप खरीदने या बेचने में बड़ी रकम नकद में देते हैं, तो यह आपके लिए मुसीबत खड़ी कर सकता है। वहीं, कई लोग टैक्स बचाने के लिए प्रॉपर्टी को कम कीमत दिखाकर रजिस्टर करवाते हैं, लेकिन असल में ज्यादा पैसे देते हैं। इस वजह से भी आपके घर पर इनकम टैक्स का नोटिस आ सकता है।

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6. एक साल में 50,000 से ज्यादा के गिफ्ट्स

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अगर आप किसी गैर-रिश्तेदार से एक साल में 50,000 रुपये से ज्यादा का कैश या कोई महंगा गिफ्ट प्राप्त करते हैं, तो उस पर टैक्स देना पड़ सकता है। यह गिफ्ट आपको शादी, बर्थडे या किसी त्योहार पर क्यों न मिला हो। अगर यह किसी खून के रिश्तेदार से नहीं मिला है, तो इसे टैक्सेबल माना जाएगा। वहीं, अगर आप बड़ी रकम गिफ्ट के तौर पर किसी को देते हैं, तो यह आपकी इनकम से मेल खाना जरूरी है, वरना आयकर विभाग की पैनी नजर आप पर पड़ सकती है।

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Image Credit - freepik
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