आज की दुनिया में ऐसा कौन है, जो अपनी मेहनत की कमाई को थोड़ा ज्यादा रखने की चाह नहीं रखता है? भारत में टैक्सपेयर्स अक्सर टैक्स बचाने की फिराक में लगे रहते हैं। वैसे तो आयकर अधिनियम के तहत कई सारे इन्वेस्टमेंट, डिडक्शन और एग्जेंप्शन के साथ आप वैध तरीके से टैक्स की सेविंग्स कर सकते हैं। लेकिन कभी-कभार हम लोग टैक्स बचाने के लिए शॉर्टकट का इस्तेमाल करते हैं, जो उल्टा भी पड़ सकता है। अगर आप गलत तरीके से टैक्स बचाने की कोशिश करते हैं, तो आयकर विभाग की ओर से कानूनी नोटिस भेजा जा सकता है।
आप भारत में 80सी इन्वेस्टमेंट, HRA एग्जेंप्शन, NPS डिडक्शन और भी तरीकों को अपनाकर टैक्स छूट पा सकते हैं। लेकिन कुछ लोग अक्सर टैक्स बचाने के लिए इन 5 कॉमन तरीकों को अपनाते हैं, बिना यह सोच-समझे कि वह कानून तोड़ रहे हैं।
आमतौर पर टैक्स बचाने का सबसे कॉमन और गलत तरीका लोग रेंट की रसीद दिखाकर HRA क्लेम करते हैं, भले ही वह अपने खुद के घर में ही रहते हों और किराया नहीं चुकाते हों। दूसरे लोग, फर्जी रेंट एग्रीमेंट बनवाते हैं या किसी रिश्तेदार को किराया देते हुए दिखाते हैं। आप चाहे तो पैरेंट्स के घर में रहकर भी HRA क्लेम कर सकते हैं, लेकिन तब जब आपके पास बैंक ट्रांसफर और चेक के जरिए किराया चुकाने का प्रूफ हो। इस तरह के मामलों में Income Tax Appellate Tribunal (ITAT) HRA एग्जेंप्शन को रिजेक्ट कर देता है, जब टैक्सपेयर के पास वास्तविक रेंट पेमेंट्स की रसीदें नहीं होती हैं।
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इनकम टैक्स के सेक्शन 24(बी) और धारा 80सी के तहत, होम लोन के ब्याज और प्रिंसिपल पेमेंट्स पर डिडक्शन क्लेम करने की अनुमति होती है। लेकिन, कुछ लोग नकली EMI दिखाकर या ऐसे लोन पर डिडक्शन क्लेम करते हैं, जो असलियत में होता ही नहीं है। मान लीजिए होम लोन की आड़ में आपने किसी दुकान या ऑफिस को खरीद लिया है, तो उस लोन पर डिडक्शन क्लेम करना अवैध है। कुछ लोग फैमिली-फ्रेंड्स से लिए गए कर्जे को होम लोन के रूप में दिखाते हैं।
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अगर टैक्सपेयर वेरिफिकेशन के समय पकड़ लिया जाता है, तो उसके पैन और बैंक रिकॉर्ड की जांच की जाती है। इनकम टैक्स डिपार्टमेंट आपसे होम लोन एग्रीमेंट,रीपेमेंट शेड्यूल और EMI डेबिट दिखाने वाले बैंक स्टेटमेंट की मांग कर सकता है।
इनकम टैक्स के सेक्शन 80D, 80DD और 80E के तहत, सरकार मेडिकल इंश्योरेंस, कुछ बीमारियों के ट्रीटमेंट और एजुकेशन लोन पर किए गए एक्सपेंसेस के लिए डिडक्शन क्लेम की अनुमित देता है। लेकिन कई बार लोग दवाओं, हेल्थ चेकअप, ट्यूशन फीस के लिए नकली बिल बनवाकर जमा कर देते हैं। उन्हें डर नहीं लगता है कि अगर ITR फाइल की जांच के दौरान उन्हें पकड़ लिया गया, तो उन्हें आयकर अधिनियम की धारा 270A के अनुसार, टैक्स चोरी की गई राशि का 200% तक जुर्माना भरना पड़ सकता है।
सरकार कुछ शर्तों के तहत गिफ्ट के रूप में मिले धन को टैक्स-फ्री रखती है, जो पैरेंट्स, भाई-बहन या पति-पत्नी जैसे करीबी रिश्तेदारों से मिले होते हैं। लेकिन, कुछ लोग अपने ही ब्लैक मनी को छिपाने के लिए या किसी और के पैसे को किसी रिश्तेदार से गिफ्ट के रूप में प्राप्त करके इसका गलत इस्तेमाल करते हैं। उन्हें लगता है कि वह इनकम टैक्स के सेक्शन 56(2) के तहत टैक्स-फ्री हो सकते हैं। लेकिन, अगर आपके पास गिफ्ट डीड, बैंक ट्रेल नहीं है, तो IT की नजर आप पर तुरंत पड़ सकती है।
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आज के टेक्नोलॉजी युग में कई नौकरीपेशा वाले लोग फ्रीलांस काम भी करते हैं या सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म के जरिए पैसा कमाते हैं। लेकिन, इस इनकम को टैक्स से छिपाने की कोशिश भी करते हैं। उन्हें लगता है कि 50,000 रुपये के बारे में बताना जरूरी नहीं है, लेकिन आप किसी सोर्स से बेसिक एग्जेंप्शन लिमिट से अधिक कमाई करते हैं, तो आपको डिक्लेयर करना चाहिए। आपको बता दें कि IT अब डिजिटल प्लेटफॉर्म, अमेजन और सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म से डेटा लेता है। ऐसे में नॉन-डिस्क्लोजर के मामले में सेक्शन 271 और 276C के तहत जुर्माना और Prosecution दोनों हो सकता है।
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