Hz Excluisve: जानें कैसे हैंडलूम साड़ियों में भारतीय परंपरा को संजोकर सामान्य महिलाओं तक पहुंचा रही हैं मेघा अरोड़ा

आज हम आपके साथ इस लेख में भारतीय परंपरा को सहेजकर हैंडलूम साड़ियों के माध्यम से महिलाओं तक पहुंचाने और उनके दिल में अपनी जगह बनाने के मेघा अरोड़ा के अद्भुत सफर के बारे में जानेंगे।   

journey of megha arora

हरजिंदगी ने इस साल वुमनप्रेन्योर अवॉर्ड्स का अब तक का पहला एडिशन पेश किया। जहां उन महिलाओं को अवार्ड्स से नवाज़ा गया जिन्होंने अपनी मेहनत और काबिलियत के दम पर न सिर्फ बिज़नस का रास्ता चुना बल्कि अपने बिजनस को सफलता की ऊचाइयों तक भी पहुंचाया। पुरस्कारों की मेजबानी नई दिल्ली में की गई जहां माननीय केंद्रीय महिला एवं बाल विकास मंत्री, स्मृति जुबिन ईरानी ने मुख्य अतिथि के रूप में कार्यक्रम की शोभा बढ़ाई।

इस अवार्ड्स फंक्शन के दौरान 15 विभिन्न पुरस्कार श्रेणियों के माध्यम से महिला उद्यमियों को उनकी उपलब्धियों के लिए सम्मानित किया गया। इस सूची में एक नाम तीस्ता की फाउंडर मेघा अरोड़ा का भी था जिन्होंने हैंडलूम कपड़ों को न सिर्फ एक नई पहचान दी बल्कि भारतीय धरोहर को घर-घर तक पहुंचाया। आइये जानते हैं मेघा अरोड़ा की अद्भुत जर्नी के बारे में।

megha arora teesta journey

मेघा एक गतिशील और नवोदित उद्यमी हैं, जिनके पास भारतीय हस्तनिर्मित बुनाई यानी कि इंडियन हैंडमेड वीव्स को लेकर कुछ नया बनाने और हर समय कुछ अलग हटकर प्रयोग करने का जुनून है। मेरठ, उत्तर प्रदेश में जन्मी और पली-बढ़ी मेघा ने दिल्ली विश्वविद्यालय से कॉमर्स में स्नातक की डिग्री हासिल की और साउथ दिल्ली के पॉलिटेक्निक से एडवरटाइजिंग और पब्लिक रिलेशन में डिप्लोमा हासिल किया।

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मेघा की शिक्षा और उनके अनुभवों ने उन्हें वो ज्ञान और कौशल दिया जो व्यापार में एक सफल करियर शुरू करने के लिए आवश्यक था। उनकी उद्यमशीलता की यात्रा तब शुरू हुई जब उन्होंने अपनी मां के सपने को पूरा करने का फैसला किया जो कि यह था कि उनकी मां उन्हें एक सफल व्यवसायी के रूप में देखना चाहती थीं। उन्होंने फोकस के साथ अपना खुद का हैंडलूम साड़ी का व्यवसाय शुरू किया।

मेघा ने एक ऐसा ब्रांड बनाने पर अपना फोकस रखा जी न सिर्फ फैशनेबल और सस्टेनेबल हो बल्कि बेहद एक अलग पहचान लिए शानदार हो। मेघा ने अपने ब्रैंड का नाम तीस्ता रखा। उन्होंने अपने ब्रैंड के नाम को अपने नाम के साथ मिलाकर रखा क्योंकि यह नाम उनकी मां द्वारा दिया गया था। अपने पति से केवल 50,000 रुपये उधार लेकर, मेघा ने मध्य प्रदेश के चंदेरी शहर की यात्रा की ताकि वह साड़ी बनाने की प्रक्रिया सीख सकें।

वह स्थानीय बुनकरों से मिलीं और उनके साथ काम किया जिससे कि वह उनके यूनिक डिज़ाइन्स बना सकें और हमेशा इस बात का मेघा ने ध्यान रखा कि साड़ियों की क्वालिटी में कोई भी कमी न आए और वह जो भी बनाएं उसकी पहुंच आम महिलाओं तक भी हो। जैसे-जैसे उसका व्यवसाय बढ़ता गया, मेघा का दूसरों की मदद करने का जुनून भी बढ़ता गया।

about megha arora teesta

जब कोविड-19 महामारी का दौरा आया तब मेघा को स्थानीय बुनकर परिवारों की मदद करने का मौका मिला। मेघा ने स्थानीय बुनकर परिवारों को वित्तीय सहायता, कच्चा माल और बाजार तक पहुंच की दिशा प्रदान की जिससे वह अपने शिल्प को जारी रखें और इस कठिन समय के दौरान अपनी आजीविका चला सकें। मेघा ने अपनी जीवन में कई चुनौतियों का सामना किया जिसमें एक उनकी मां के कैंसर के बारे में पता चलने की स्थिति भी थी। लेकिन इन सब चुनौतियों के बाद भी मेघा ने सफल होने के सफर अपने बढ़ते कदम नहीं रोके और दृढ़ निश्चय के साथ वह आगे बढ़ती गईं।

मेघा का बस यही लक्ष्य था कि उनकी मां का सपना पूरा हो और उनकी मां को उनपर गर्व महसूस हो। इसलिय मेघा ने अपनी मां के प्रोत्साहन शब्दों को अपनी शक्ति बना लिया और उन्हीं को याद करते-करते, दोहराते-दोहराते मेघा ने सुंदर साड़ियों को बनाने पर ध्यान केंद्रित करना जारी रखा।

मेघा ने हमेशा से ही विभिन्न बुनाई और डिज़ाइन के साथ कुछ अनूठा और विशेष बनाने का प्रयास किया है। आज मेघा की मेहनत रंग लाई है और उनके ब्रैंड की पहचान न सिर्फ भारत में बल्कि विदेशों में भी है। मेघा की साड़ियों को न सिर्फ जनता द्वारा पसंद किया गया है बल्कि फेमस इन्फ्लुएंसर्स द्वारा पहना भी गया है। मेघा की सफलता ने कई युवा उद्यमियों को प्रेरित किया है।

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जो पैशन के साथ फैशन और सस्टेनेबिलिटी के बारे में अपनी जिज्ञासा लेकर मेघा के पास आते हैं मेघा उनका समर्थन भी करती है और उन्हें आगे बढ़ने की बेहतरीन सलाह भी देती हैं। अपने सफल व्यवसाय के अलावा, वह एक समर्पित परोपकारी भी हैं। मेघा ग्लोबल पीस इंटरनेशनल जर्नल की सहायक संपादक हैं और विश्व शांति आंदोलन ट्रस्ट, जिसे 2001 में अकादमिक, शैक्षिक, शांति और सामाजिक के शुद्ध उद्देश्य और सेवा दृष्टिकोण से स्थापित किया गया था, उसकी सचिव भी हैं।

megha arora teesta

इतना ही नहीं मेघा ने कुछ पुस्तकों का सह-लेखन भी किया और समय-समय पर उन लेखों का योगदान दिया जो शांति, सद्भाव और राष्ट्रीय एकता से जुड़े विषयों पर आधारित थे। मेघा इनर व्हील क्लब मेरठ डायमंड की भी रह चुकी हैं। बता दें कि यह संस्था सच्ची मित्रता को बढ़ावा देती है, व्यक्तिगत सेवा के आदर्शों को प्रोत्साहित करती है और अंतर्राष्ट्रीय तालमेल को दर्शाती है।

मेघा जब भी पीछे मुड़कर अपनी यात्रा को जहन में दोहराती हैं उन्हें तब-तब याद आता है कि कैसे हर कदम पर उनकी मां के प्रोत्साहन भरे शब्द और उनका समर्थन मेघा के इस सफर में सहायक साबित हुए हैं। मेघा जानती हैं कि उनकी काम के अमध्यम से उनकी मां की विरासत आज भी जीवित है। यही कारण है कि मेघा निष्ठा के साथ खूबसूरत हैंडलूम सारी बनाना जारी किये हुए हैं। मेघा अरोड़ा एक सच्ची प्रेरणा हैं।

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Image Credit: Instagram

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