अगर तलाक के बाद पति हो जाए बेरोजगार, तो गुजारा भत्ता और बच्चे की देखभाल के लिए कैसे मिलेगा पैसा? जानिए क्या कहता है कानून

जब पति-पत्नी शादी में खुश नहीं होते, तो वे तलाक ले लेते हैं। तलाक लेना एक बहुत बड़ा फैसला होता है और यह आर्थिक रूप से भी भारी पड़ सकता है। आम तौर पर, तलाक के बाद पति अपनी पत्नी को हर महीने एक तय रकम देता है जिसे गुजारा भत्ता कहते हैं और बच्चे के भरण-पोषण के लिए भी पैसे देता है। कई बार मन में सवाल आता है कि अगर तलाक के बाद पति की नौकरी चली जाए तो क्या होगा?
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भारत में शादी को एक पवित्र रिश्ता माना जाता है और लोग इसे जिंदगी भर निभाने की कसमें भी खाते हैं। लेकिन, कई बार शादी के बाद पति-पत्नी का साथ रहना मुश्किल हो जाता है और वे मिलकर तलाक लेने का फैसला कर लेते हैं।तलाक लेना एक बहुत बड़ा फैसला होता है और यह पैसे के मामले में भी जिंदगी को बदल देता है। आम तौर पर, अदालत तलाकके बाद यह तय करती है कि पति अपनी पत्नी और बच्चों की जरूरतों को पूरा करेगा। इसके लिए कोर्ट पति को गुजारा भत्ता (Alimony) और बच्चे के भरण-पोषण (Child Support) का आदेश देती है। लेकिन सवाल यह है कि अगर तलाक के बाद पति की नौकरी चली जाती है, तो क्या उसे अब भी पत्नी और बच्चों को पैसे देने पड़ेंगे? क्या वह इसके लिए कानूनी तौर पर जिम्मेदार रहेगा?इस आर्टिकल में हम आपको बताएंगे कि ऐसी स्थिति में भारतीय कानून क्या कहता है और क्या पति कोर्ट से गुजारा भत्ते की रकम को कम करवाने की अपील कर सकता है।

गुजारा भत्ता और बच्चे का भरण-पोषण क्या है?

जब पति-पत्नी का तलाक होता है, तो कोर्ट पति को यह आदेश देता है कि वह पत्नी की आर्थिक मदद करे, ताकि वह अपनी रोजमर्रा की जरूरतें पूरी कर सके और पहले जैसी जिंदगी जी सके। इसे ही गुजारा भत्ता कहते हैं।

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वहीं, जब पति-पत्नी का तलाक होता है और उनके बच्चे होते हैं, तो जिस माता-पिता के पास बच्चे की कस्टडी (देखभाल की जिम्मेदारी) होती है, उसे बच्चे की देखभाल, पढ़ाई और पालन-पोषण के लिए पैसे मिलते हैं। इसे बच्चे का भरण-पोषण कहते हैं।

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ये फैसले किन बातों पर निर्भर करते हैं?

आम तौर पर, अदालत गुजारा भत्ते और बच्चे के भरण-पोषण की रक़म तय करने से पहले इन बातों को देखती है:

  • पति की कमाई: अदालत देखती है कि पति की कितनी कमाई है और वह नौकरी, बिजनेस, किराए, निवेश वगैरह से कितने पैसे कमा रहा है।
  • पत्नी की कमाई या संपत्ति: अदालत यह भी देखती है कि पत्नी की कितनी कमाई है या उसके पास कितनी प्रॉपर्टी है। अगर पत्नी अपने पैसों से अपनी जरूरतें पूरी कर सकती है, तो गुजारा भत्ते की रकम कम की जा सकती है।
  • बच्चों की जरूरतें और रहन-सहन: इसके बाद, कोर्ट देखता है कि बच्चों की क्या जरूरतें हैं और तलाक से पहले पति-पत्नी कैसी जिंदगी जीते थे।

अगर तलाक के बाद पति की नौकरी चली जाए तो क्या होगा?

मान लीजिए, पति-पत्नी का तलाक हो चुका है और कोर्ट ने पति की पुरानी कमाई को देखकर उसे हर महीने गुजारा भत्ता (alimony) और बच्चों के लिए भरण-पोषण (child support) देने का आदेश दिया था। लेकिन, अगर अब पति की नौकरी चली जाती है और उसकी कमाई बहुत कम हो जाती है, तो फिर क्या होगा?

इस स्थिति में कानून क्या कहता है?

अगर तलाक़ के बाद पति गुज़ारा भत्ता या बच्चे का भरण-पोषण दे रहा है, और अचानक उसकी नौकरी चली जाती है जिससे उसकी कमाई बहुत कम हो जाती है, तो वह कोर्ट में जाकर इस रकम को कम करवाने की अपील कर सकता है। भारतीय कानून में यह साफ तौर पर बताया गया है।

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यह कैसे होता है?

  • पति को CrPC की धारा 127 के तहत कोर्ट में अर्जी देनी होती है। यह उन मामलों पर लागू होता है जहाँ पहले भरण-पोषण का आदेश CrPC की धारा 125 के तहत दिया गया था।
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  • अगर आप हिंदू विवाह अधिनियम के तहत गुजारा भत्ता दे रहे हैं, तो आप हिंदू विवाह अधिनियम 1955 की धारा 25(2) के तहत आवेदन कर सकते हैं।
  • कोर्ट इस बात पर ध्यान देता है कि समय के साथ आर्थिक हालात बदल सकते हैं।अगर पति यह साबित कर देता है कि उसकी जॉब चली गई है, सैलरी में कटौती हो गई है, या उसे कोई गंभीर बीमारी हो गई है जिसकी वजह से वह काम नहीं कर पा रहा है, तो कोर्ट गुजारा भत्ता और भरण-पोषण की रकम को कम करने का आदेश दे सकता है।

कोर्ट कैसे जांच करता है कि नौकरी वाकई गई है या बहाना है?

अगर पति कोर्ट से गुजारा भत्ता और भरण-पोषण की रकम कम करवाना चाहता है और कहता है कि उसकी नौकरी चली गई है, तो कोर्ट तुरंत फैसला नहीं लेता। बल्कि, वह जांच करता है।

  • अगर पति जान-बूझकर नौकरी छोड़ता है ताकि उसे गुजारा भत्ता न देना पड़े, तो कोर्ट इसे गंभीरता से नहीं लेगा।
  • अगर पति बेरोजगार हो गया है, तो कोर्ट यह भी देखता है कि वह दोबारा नौकरी पाने की कोशिश कर रहा है या नहीं।
  • कोर्ट यह भी चेक करता है कि क्या पति के पास कोई और कमाई का जरिया है जैसे घर का किराया, कोई प्रॉपर्टी, शेयर, फिक्स डिपॉजिट (FD) या किसी निवेश से मिलने वाला ब्याज आदि।

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Image Credit - freepik
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