Parenting Tips For Teenagers: बच्चे जब बड़े होने लगते हैं तो उनमें उम्र से लेकर बर्ताव तक कई सारे बदलाव नजर आते हैं। दरअसल, हम बात कर रहे हैं- टीनएजर्स बच्चों की, जो 12 से 19 साल के बीच के उम्र वाले होते हैं। ऐसे बच्चे अक्सर अपनी प्राइवेसी को लेकर बड़ों से बहस तक कर लेते हैं। बच्चे की ऐसी हरकतों पर कई बार पेरेंट्स परेशान हो जाते हैं। कई पेरेंट्स तो अपने बच्चों के कामों में रोक-टोक लगाने भी शुरू कर देते हैं, ताकि टीनएजर्स बच्चों में कुछ बदलाव और सुधार हो।
हालांकि, जरूरी नहीं कि आपकी डांट या रोकने से बच्चे सुधर ही जाएंगे। कई बार बच्चे इससे और भी ज्यादा जिद्दी हो जाते हैं। अगर आपके बच्चे में भी कुछ ऐसे बदलाव नजर आ रहे हैं, तो आइए आर्टेमिस अस्पताल के मानसिक स्वास्थ्य और व्यवहार विज्ञान के प्रमुख मनोचिकित्सक व सलाहकार डॉ. राहुल चंडोक से जानते हैं कि ऐसी स्थिति में पैरेंट्स को कैसे हैंडल करना चाहिए।
अक्सर टीनएजर्स बच्चों पर अगर बहुत अधिक नियंत्रण लगाया जाए, तो उनके अंदर बहुत ज्यादा गुस्सा बढ़ सकता है। साथ ही, वे बड़ों से बहस भी कर सकते हैं। ऐसे में, ये झगड़े और बहस हिंसक व्यवहार का कारण भी बन सकता है।
टीनएजर्स बच्चों को अक्सर लगता है कि वो जो भी कर रहे हैं, सिर्फ वही सही है और वो अपने आप को ही प्रथमिकता देते हैं। ऐसे में, अगर पेरेंट्स उनके डिसीजन या फिर किसी भी काम में रोक-टोक लगाते हैं या बच्चों पर अत्यधिक दबाव डालते हैं, तो बच्चों में तनाव की स्थिति बन सकती है। इससे बच्चे को डिप्रेशन और चिंता भी हो सकती है। वे सामाजिक रूप से अलग-अलग महसूस कर सकते हैं।
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टीनएजर्स बच्चे बहुत जल्दी रिएक्ट करते हैं, अगर उनके अनुसार काम न हो और ऊपर से पेरेंट्स के तरफ से रोक-टोक भी सुनना पड़े तो ऐसे में बच्चे खुद को नुकसान भी पहुंचा सकते हैं। इसमें, नशा करना, लापरवाही से ड्राइविंग करना या सुसाइड करना जैसी स्थिति भी बन सकती है।
अपने टीनएजर्स बच्चे से उनकी भावनाओं और जरूरतों के बारे में शांति से और समय निकालकर बात करें। उन्हें बताएं कि आप उनसे प्यार करते हैं और कभी उनका बुरा नहीं चाहते हैं। साथ में, उन्हें भी सुनें और उनकी बातों को समझने का प्रयास करें।
कई बार पेरेंट्स बच्चों के साथ बहुत ज्यादा फ्रेंडली हो जाते हैं, जिसके कारण बच्चे भी जो जी में आए वो बोल देते हैं। कहीं भी कभी भी बाहर दोस्तों के साथ घूमने जाने की जिद करते हैं। ऐसे में, जरूरी है कि बच्चों के साथ बात चीत करने के लिए एक समय सीमा तय रखें। किसी भी काम के लिए अनुमति देते समय अपने टीनएजर बच्चे के साथ चर्चा में एक सीमा सेटिंग रखने का प्रयास करें, ताकि वह सीमा के अंदर रहकर ही अपनी मस्ती और दोस्तों के साथ मिलना-जुलना करें।
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आज के समय में बच्चों के अंदर कुछ कल्चरल बदलाव भी आ रहे हैं। उदाहरण के लिए आजकल के बच्चों को देर रात तक जागना, लेट नाइट पार्टी करना, दोस्तों के साथ घूमना-फिरना आदि पसंद होता है। साथ ही, इसके लिए पेरेंट्स की परमिशन लेना उन्हें बिल्कुल भी पसंद नहीं होता है। ऐसी स्थिति में, आपको भी अपने बच्चे को समझना चाहिए और उनपर भरोसा रखने की कोशिश करनी चाहिए। हालांकि, आप बच्चे को आने वाली मुसीबतों की जानकारी देकर उन्हें आगाह जरूर कर सकते हैं।
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अपने टीनएजर बच्चे की गोपनीयता का सम्मान करना चाहिए।उनके कमरे में बिना अनुमति के न जाएं और उनकी निजी बातों को दूसरों से साझा न करें। इससे उनको भी लगेगा कि आप उनका सपोर्ट करते हैं और वो फिर आपकी बात को भी मानेंगे।
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Image Credit- Herzindagi
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