फिल्म 1942 ए लव स्टोरी जब रिलीज हुई थी, तो इसके क्लासिक गाने ने लोगों के दिलों में एक अलग ही जगह बनाई थी। गाने के बोल थे, 'एक लड़की को देखा तो...' और इसने युवाओं के दिल के तार को एक अलग ही लेवल पर छेड़ा था। आज भी किसी लड़की की तारीफ करने के लिए इन बोल को गुनगुनाना ही काफी है।
फिल्म के वैसे तो सभी गाने बेहद पसंद किए जाते हैं, लेकिन यह गाना आज भी एक क्लासिक सॉन्ग है जिसे हर कोई गुनगुनाता है। इस फिल्म के गाने बनने की कहानी भी उतनी ही दिलचस्प है। चलिए इस आर्टिकल में हम आपको बताएं कि यह गाना आखिर कैसे तैयार हुआ और क्यों बरमन दा को इसके लिए इतने पापड़ बेलने पड़े थे।
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इस गाने के बोल जावेद अख्तर ने लिखे थे। क्या आपको पता है कि जावेद साहब को इस गाने का आइडिया एकदम लास्ट मोमेंट में आया था। उनके पास गाना बनाने के लिए कई दिन थे, लेकिन उस बीच उन्हें कुछ भी नहीं सूझा। जब उन्हें स्टूडियो में बुलाया गया, तब रास्ते में उनके दिमाग में एक लाइन आई- 'एक लड़की को देखा तो ऐसा लगा...'।
यह बात जावेद साहब ने खुद कुछ इंटरव्यूज में बताई है। उनसे पूछा गया था कि इसके पीछे उनकी इंस्पिरेशन कौन थी, तो उन्होंने बताया कि डेडलाइन पर काम न पूरा करने के टेरर ने इसके लिरिक्स बनाए।
उन्होंने एक इंटरव्यू में बताया था, "मैंने जब पहली बार 1942 ए लव स्टोरी की स्क्रिप्ट सुनी थी, तो मुझे लगा कि इसमें ऐसा गाना होना चाहिए जहां लड़का, लड़की को पहली बार देखे और उसे लव एट फर्स्ट साइट हो जाए।"
इसके बारे में आगे बात करते हुए उन्होंने बताया था, "स्क्रिप्ट में गाने के लिए कोई खास सिचुएशन नहीं थी, लेकिन जब मैंने बात की कि ऐसा गाना होना चाहिए, तो मुझसे कहा गया था कि गाना भी मैं लिखूं। कई दिनों तक मैं गाना लिख नहीं पाया था और मुझे यह बात खराब लग रही थी, क्योंकि इसका सुझाव तो मैंने ही दिया था। एक दिन मुझे स्टूडियो बुलाया गया। स्टूडियो जाते-जाते अचानक यह विचार मेरे मन में आया और यह गाना तैयार हुआ।"
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आपको बताएं कि जावेद साहब को गाने के बोल तब भी पूरे नहीं आए थे, जब वह बर्मन दा के पास पहुंचे तो उन्होंने यही एक लाइन बर्मन दा को बताई और कहा कि इसके बाद वह सिमिली का इस्तेमाल करेंगे।
पंचम दा एक लेजेंड हैं और उनके गाने आज तक सुने जाते हैं। पंचम दा धुनों के साथ इतनी खूबसूरती के साथ खेलते थे कि गाना अपने आप क्लासिक बन जाता था। हालांकि वो दौर भी आया, जब आर डी बरमन का एरा धीरे-धीरे खत्म होने लगा। नए कंपोजर के चलते आरडी बर्मन की पूछ कम होने लगी थी। मगर वो विधू विनोद चोपड़ा थे जिन्होंने ठाना था कि उनकी फिल्म के गानों को कंपोज सिर्फ पंचम दा करेंगे।
एक इंटरव्यू में विधू विनोद चोपड़ा ने इस किस्से के बारे में भी बताया था कि कैसे लोग उन्हें मना कर रहे थे कि वह पंचम दा को लेकर गलती कर रहे हैं। अपने इंटरव्यू में विधू ने बताया था, "मैं पंचम दा का सबसे बड़ा फैन हूं और मैंने सोच लिया था कि मेरे गाने वही कंपोज करेंगे। मैंने उनसे बात की और पंचम दा ने धुन बनाने के लिए हफ्ते भर का समय मांगा।"
पंचम दा समय तो मांग चुके थे, लेकिन यह धुन बनाना उनके लिए मुश्किल हो गया था। इस फिल्म का पहला गाना 'कुछ न कहो' जब पंचम दा के पास आया तो वह धुन बना नहीं पाए थे। विधू विनोद चोपड़ा उनसे कह चुके थे कि वह भले ही टाइम लें, लेकिन उन्हें एक बेहतरी म्यूजिक चाहिए।
जब 'कुछ न कहो' का संगीत सुनने विधू विनोद चोपड़ा गए, तो उन्हें गाना बिल्कुल पसंद नहीं आया। विधू ने साफ-साफ पंचम दा को बताया कि यह संगीत बिल्कुल खराब है। पंचम दा भी घबरा गए थे। एक बाद एक धुन बनाने के बाद भी जब विधू को कुछ पसंद नहीं आया, तब पंचम दा एसडी बर्मन की तस्वीर के नीचे कुछ देर चुपचाप बैठ गए। वह एक कमरे के भीतर गए और वहां से निकलते ही जो धुन उन्होंने विधू को सुनाई, तो विनोद दंग रह गए। यह म्यूजिक तो वह पंचम दा से चाहते थे और इस तरह 'कुछ न कहो बना'था।
पंचम दा जीनियस थे यह बात कोई यूं ही नहीं कह सकता है। उन्होंने अपने संगीत से यह साबित भी किया है। यही बात जावेद साहब ने भी अपने इंटरव्यू में बताई थी। साथ ही उन्होंने बताया था कि कैसे पंचम दा ने मिनटों में इस गाने को तैयार किया था।
जब जावेद साहब बस एक लाइन के साथ पंचम दा के पास पहुंचे तो उन्होंने जावेद साहब से इसके स्टैन्जा को लिखने के लिए कहा। जावेद साहब ने ऐसा किया और बोल पढ़कर पंचम दा को सनाए। उन्होंने तुरंत इसकी धुन अपने दिमाग में क्रिएट की और इस तरह एक लाजवाब गाना तैयार हुआ।
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इसी तरह, माधुरी दीक्षित फिल्म की पहली पसंद थी। जी हां, अगर सब सही चलता तो शायद इस फिल्म में मनीषा कोइराला नहीं, माधुरी दीक्षित ही होतीं। इस फिल्म के लिए उनके कई लुक टेस्ट भी किए जा चुके थे। ऐसा भी कहा जाता है कि यह क्लासिक गाना 'एक लड़की को देखा तो...' असल में माधुरी दीक्षित के लिए लिखा गया था। मगर ऐसा हो नहीं सका, क्योंकि माधुरी दीक्षित 1942 ए लव स्टोरी के लिए अपने शेड्यूल को पूरा नहीं कर पाई थीं। तभी उनकी जगह मनीषा कोइराला को लिया गया।
देखा है न कितना दिलचस्प किस्सा! अब बताइए आपको यह कहानी कैसी लगी? अगर आपको यह लेख पसंद आया तो इसे लाइक और शेयर करें और हम आपके लिए इसी तरह बॉलीवुड के रोचक किस्सों को लाते रहेंगे। ऐसे ही लेख पढ़ने के लिए विजिट करें हरजिंदगी।
Image Credit: VC FIlMS
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