हाल ही में Happiest Place to Work® ने हैप्पीनेस रिसर्च एकेडमी के साथ मिलकर एक रिपोर्ट शेयर की थी। इसका टाइटल 'हैप्पीनेस एट वर्क- कितना खुशहाल है भारत का वर्कफोर्स-2024' था। यह रिपोर्ट एक व्यापक अखिल भारतीय रिसर्च का परिणाम है, जो भारत के शहरी कार्यबल के भीतर अलग-अलग लिंगों, आयु समूहों, भौगोलिक क्षेत्रों और उद्योग क्षेत्रों में खुशी के पैटर्न की जांच करती है। इसके कुछ विशेष निष्कर्ष निकले जो इस प्रकार थे-
इसके मुताबिक, देश में कर्मचारियों का एक बड़ा बहुमत अपनी प्रोफेशनल लाइफ से खुश नहीं है। उन्हें अपने काम को लेकर असंतोष है।
इस रिपोर्ट के मुताबिक, समान आयु के लोग खुशी के बहुत अलग-अलग स्तरों का अनुभव कर रहे हैं। यह दर्शाता है कि उम्र के अलावा ऐसे कई फैक्टर्स हैं जो कार्यस्थल की संतुष्टि में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।
रिपोर्ट में दिखाया गया है कि अलग क्षेत्र और इंडस्ट्री में पुरुषों और महिलाओं के बीच खुशी के स्तर में बहुत बड़ा अंतर है। ईस्ट और सेंट्रल क्षेत्रों में, अपने फील्ड और काम में महिलाएं अधिक खुश हैं वहीं, उत्तरी क्षेत्र में पुरुष महिलाओं की तुलना में काफी अधिक खुश हैं।
फिनटेक क्षेत्र सबसे खुशहाल उद्योग के रूप में उभरा है, जबकि रियल एस्टेट क्षेत्र सबसे कम खुशहाल बताया गया है।
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यह चौंकाने वाला आंकड़ा इस्तीफों की संभावित लहर की ओर इशारा करता है, खासकर उन कर्मचारियों के बीच जो काम पर असंतुष्ट महसूस करते हैं।
जिन कर्मचारियों को सहायक वातावरण में व्यक्तिगत हितों को आगे बढ़ाने का अवसर मिलता है, उनके नौकरी छोड़ने की संभावना 60% कम होती है।
नौकरी छोड़ने का इरादा मिलेनियल्स में सबसे अधिक है, जिनमें से 59% नौकरी बदलने पर विचार कर रहे हैं
63% कर्मचारी अपने सहकर्मियों के साथ सहयोग करने की कोशिश करते समय बाधाओं का सामना करते हैं। ऐसा उनके बीच कॉन्फ्लिक्ट्स को लेकर हो सकता है। इसके अतिरिक्त, 62% कर्मचारियों को कार्यस्थल में अपने विचारों को खुलकर व्यक्त करना चुनौतीपूर्ण लगता है। ये चुनौतियां संगठन के भीतर प्रभावी संचार और टीमवर्क में बाधा डाल सकती हैं।
'हैप्पीनेस एट वर्क' रिपोर्ट 18 उद्योग क्षेत्रों के 2,000 उत्तरदाताओं के स्ट्रॉन्ग सैम्पल से प्राप्त इनसाइट पर आधारित है। हैप्पीनेस रिसर्च एकेडमी के डिटेल्स रिसर्च इंस्ट्रूमेंट्स ने अखिल भारतीय शहरी कार्यबल के लिए इन सैम्पल फाइंडिंग्स को सटीक रूप से प्रोजेक्ट किया है, जिससे इस महत्वपूर्ण जनसांख्यिकीय के अंदर खुशी का एक ग्रैन्युलर मैप तैयार हुआ।
हैप्पीएस्ट प्लेस टू वर्क® की निदेशक नम्रता टाटा ने इन निष्कर्षों पर टिप्पणी करते हुए कहा, "यह रिपोर्ट भारत में कार्यस्थल की खुशी की वर्तमान स्थिति के बारे में महत्वपूर्ण जानकारी देती है। विभिन्न जनसांख्यिकी और क्षेत्रों में खुशी के स्तरों में भारी असमानता संगठनों के लिए कर्मचारी कल्याण को प्राथमिकता देने के लिए कार्रवाई का आह्वान है।" हैप्पीनेस रिसर्च एकेडमी इस रिपोर्ट को वार्षिक प्रकाशन बनाने की योजना बना रही है। हर सक्सेसिव रिपोर्ट के साथ, एकेडमी का लक्ष्य उन रुझानों को उजागर करना है जो भारत में एविडेंस-बेस्ड प्रबंधन प्रथाओं के लिए अपरिहार्य बन जाएंगे।
रिपोर्ट देखने के लिए यहां क्लिक करें: https://happiestplacestowork.in/report/#latest-report
हैप्पीनेस रिसर्च एकेडमी भारत के शहरी कार्यबल में खुशी का अध्ययन करने और उसे बेहतर बनाने के लिए समर्पित है। कठोर शोध और नवीन पद्धतियों के माध्यम से, अकादमी मूल्यवान इनसाइट्स प्रदान करती है जो परिवर्तन को प्रेरित करती है और कार्यस्थल में खुशहाली को बढ़ावा देती है।
द हैप्पीएस्ट प्लेस टू वर्क® कार्यस्थल पर खुशहाली को बढ़ावा देने में एक मान्यता प्राप्त अग्रणी है। संगठन उन कंपनियों को प्रमाणित करता है जो सकारात्मक कार्य वातावरण को बढ़ावा देने के लिए प्रतिबद्धता प्रदर्शित करती हैं, जिससे उन्हें शीर्ष प्रतिभाओं को आकर्षित करने और बनाए रखने में मदद मिलती है।
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