क्या आपने कभी सोचा है पीरियड्स में महिला क्रिकेटर कैसे खेलती हैं मैच?

आज महिलाएं किसी भी क्षेत्र में पुरुषों से पीछे नहीं हैं। वहीं, जब बात क्रिकेट की आती है, तो कई बार हमारे मन में सवाल आता है कि महिला क्रिकेटर पीरियड्स के दौरान सफेद कपड़े पहनकर मैच कैसे खेल लेती हैं? 
how do women cricketers handle periods on match days

जब खेल के मैदान पर कोई महिला क्रिकेटर बेहतरीन परफॉर्म करती है, तो शायद ही कोई यह सोचता होगा कि वह उस दिन किन चीजों से जूझ रही होगी। महिला खिलाड़ियों को अपने करियर में न केवल फिटनेस, टेक्नीक और मेंटल हेल्थ को मजबूत करने की चुनौती होती है, बल्कि उन्हें मासिक धर्म यानी पीरियड्स का सामना भी करना पड़ता है।

मासिक धर्म यानी पीरियड्स महिलाओं के जीवन का एक अहम हिस्सा है। वहीं, जब महिला खिलाड़ी पीरियड्स के साथ मैदान पर उतरना काफी कठिन होता होगा। कई बार मन में सवाल आता है कि कैसे महिला क्रिकेटर्स cramps, कमजोरी, मूड स्विंग्स और थकावट के साथ मैदान पर बेहतरीन परफॉर्मेस दे पाती हैं? पीरियड्स के साथ मैदान पर क्रिकेट खेलने के लिए उतरना कितना चुनौतीपूर्ण होता है इसके बारे में भारतीय महिला क्रिकेटर्स ने खुलकर बात की है।

पीरियड्स के दौरान महिला खिलाड़ियों को किन चुनौतियों का सामना करना पड़ता है?

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पीरियड्स के दौरान, महिला खिलाड़ियों को फिजिकल और मेंटल दोनों तरह से चुनौतियों का सामना करना पड़ता है, जो उनके परफॉर्मेंस को सीधे तौर पर इफेक्ट करता है। जब मासिक धर्म चल रहे होते हैं, तो पेट में ऐंठन, सूजन, थकान और सिरदर्द जैसी समस्याएं आम होती हैं, जो ट्रेनिंग या मैच को दौरान महिला खिलाड़ियों के फोकस को कम कर सकती हैं। कई खिलाड़ियों का मानना है कि पीरियड्स के दिनों में परफॉर्म करना काफी मुश्किलभरा होता है। साथ ही, कॉम्पटीशन या ट्रेनिंग के दौरान, कई बार महिलाओं को पीरियड्स हाइजीन प्रोडक्ट्स नहीं मिल पाते हैं, जिससे उन्हें दिक्कत का सामना करना पड़ता है।

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पीरियड्स से निपटने के तरीके

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  • हमेशा से मैच के दौरान पीरियड्स से निपटना महिला क्रिकेटर्स के लिए हमेशा कठिनभरा रहा है, लेकिन समय के साथ खेल जगत में इसे सीरियसली लिया गया और इस पर काम भी किया गया।
  • अब खिलाड़ियों को कोच और मेडिकल स्टाफ से अपने पीरियड्स से जुड़ी समस्याओं को लेकर ओपन कम्युनिकेशन के लिए प्रोत्साहित किया जाता है। इससे खिलाड़ियों को मानसिक राहत मिलती है। इंटरनेशनल क्रिकेट काउंसिल (ICC) ने इस दिशा में काम करते हुए पीरियड्स से जुड़ी वर्कशॉप्स शुरू की हैं, जिससे महिला स्वास्थ्य को लेकर खुलकर बातचीत की जा सके।
  • वहीं, अब कुछ महिला क्रिकेट टीमें पीरियड साइकल्स को लेकर निगरानी करती हैं ताकि वह समझ सके कि किस समय महिला खिलाड़ी को ज्यादा सपोर्ट की जरूरत होती है। इससे वे महिला क्रिकेटर की ट्रेनिंग और मैच शेड्यूल में बदलाव कर सकें।
  • इंग्लैंड और वेल्स क्रिकेट बोर्ड (ECB) ने सुनिश्चित किया है कि उनके क्लबों और महिला टीमों में फ्री पीरियड प्रोडक्ट्स प्रोवाइड कराए जाएं ताकि महिला खिलाडियों को मैच के दौरान किसी भी तरह से अनकम्फर्टेबल महसूस नहीं हो।

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Image Credit- wikipedia, jagran

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