टैक्नोलॉजी और विकास के साथ पहाड़ों पर जितनी तेजी से सड़कें और सुरंग बन रही हैं। उतनी ही पहाड़ों पर भीड़, ट्रैफिक और पॉल्यूशन भी बढ़ रहा है। जिसका असर प्राकृतिक आपदाओं के रूप में हमें देखने को मिलता है। बारिश और मानसून के मौसम में तो पहाड़ों पर जगह-जगह बादल फटने और लैंडस्लाइड की घटनाएं सामने आती रहती हैं। कई बार तो पहाड़ खिसकने की वजह से लोगों के घर और गाड़ियां भी कुचल जाती हैं। जिसकी वजह से लाखों-करोड़ों का नुकसान हो जाता है। ऐसे में सवाल उठता है कि क्या इस नुकसान की भरपाई इंश्योरेंस कंपनियां करती हैं या नहीं?
इमरजेंसी सिचुएशन में कार या गाड़ी के मालिक इंश्योरेंस कंपनी से क्लेम करके मदद लेते हैं, लेकिन किस स्थिति में पैसा मिलता है यह पूरी तरह से टर्म्स एंड कंडीशन्स पर निर्भर करता है। ऐसे में किसी भी कंपनी की इंश्योरेंस पॉलिसी लेते समय टर्म्स एंड कंडीशन्स को अच्छी तरह से समझ लेना जरूरी होता है। ऐसा इसलिए, क्योंकि पॉलिसी को लेने से पहले ग्राहक को जानकारी होनी चाहिए कि वह पूरा कवरेज देती है या नहीं। इसी के साथ वह प्राकृतिक आपदा समेत किस-किस स्थिति में पूरा कवरेज देती है।
अगर आपकी गाड़ी कभी पहाड़ पर लैंडस्लाइड या अन्य किसी प्राकृतिक आपदा में डैमेज हो जाती है, तो सबसे पहले आपको इंश्योरेंस कंपनी से पूरा कवरेज लेने के लिए क्लेम करना होगा। क्लेम करने के लिए आपको एक प्रक्रिया का पालन करना होगा। आइए, यहां जानते हैं कि नेचुरल डिजास्टर यानी प्राकृतिक आपदा में कार डैमेज होने पर कैसे क्लेम किया जा सकता है।
कार की कंप्रिहेंसिव इंश्योरेंस पॉलिसी में लगभग सभी प्राकृतिक आपदाओं में होने वाले नुकसान का कवरेज मिलता है। इस पॉलिसी में बाढ़, भूकंप, लैंडस्लाइड और तूफान जैसी स्थितियां कवर होती हैं। लेकिन, इंश्योरेंस क्लेम करने के लिए ग्राहक को कुछ नियमों का पालन करना होता है।
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गाड़ी या कार मालिक को सबसे पहले इंश्योरेंस कंपनी को नुकसान कैसे, कब और कहां हुआ इसके बारे में पूरी जानकारी देनी होगी। नुकसान कैसे हुआ के साथ यह भी बताना होगा कि कार किस हद तक डैमेज हुई है। यह काम आपको कार डैमेज के तुरंत बाद करना होगा।
क्लेम का दावा करने के बाद ग्राहक को पिछले पेंडिंग अमाउंट को क्लियर करना होगा। इस अमाउंट को एग्रीड-ऑन-अमाउंट कहा जाता है। जब पेंडिंग अमाउंट की पेमेंट और सभी जरूरतें पूरी होने के बाद इंश्योरेंस कंपनी नुकसान और अपनी टर्म्स एंड कंडीशन्स के अनुसार पैसा दे सकती है।
हालांकि, इंश्योरेंस कंपनी पैसा देने से पहले एक शख्स को भेजती है, जिसे सर्वेयर भी कहा जाता है। सर्वेयर ही नुकसान की जांच और वजह का पता लगाता है। इसी के साथ वह नुकसान का आंकलन भी करता है और इसी आंकलन के आधार पर इंश्योरेंस कंपनी क्लेम पर पैसा देती है।
कंप्रिहेंसिव इंश्योरेंस पॉलिसी में लगभग सभी नेचुरल डिजास्टर में क्लेम मिल सकता है। लेकिन, स्टैंडर्ड इंश्योरेंस पॉलिसी में कुछ खास डैमेज में कंपनियां क्लेम नहीं देती हैं। स्टैंडर्ड इंश्योरेंस पॉलिसी में कंपनियां एड-ऑन के साथ नेचुरल डिजास्टर कवर ऑफर करती हैं। ऐसे में ग्राहक को पॉलिसी के साथ एड-ऑन करना पड़ता है, जिससे डबल खर्चा हो सकता है। इसलिए, जब भी कार की पॉलिसी लेने जाएं, तो मार्केट में अच्छी तरह से जानकारी लें और फिर ही पॉलिसी लें।
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स्टैंडर्ड पॉलिसी में नेचुरल डिजास्टर में कार डैमेज होने पर फर्स्ट पार्टी इंश्योरेंस में ही क्लेम का फायदा मिल सकता है। थर्ड पार्टी इंश्योरेंस में कार-गाड़ी मालिक को डैमेज का कवरेज नहीं मिलता है। लेकिन, कंप्रिहेंसिव इंश्योरेंस पॉलिसी में थर्ड पार्टी को भी कवरेज मिल सकता है।
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Image Credit: Freepik, Meta AI
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