हिन्दू पंचांग के अनुसार फाल्गुन महीने के शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि से होलाष्टक का प्रारंभ हो जाता है और फाल्गुन पूर्णिमा तिथि को यानी कि होलिका दहन के साथ ही होलाष्टक का समापन होता है। यानी कि होलिका दहन के 8 दिन पूर्व के समय को होलाष्टक कहा जाता है और इस दौरान कई कार्यों को करने की मनाही होती है। ऐसा माना जाता है कि इन 8 दिनों में कोई भी शुभ कार्य नहीं किया जाता है अन्यथा इससे आर्थिक हानि भी हो सकती है।
होलाष्टक के इन 8 दिनों को अशुभ ,माना जाता है इसी वजह से कोई भी शुभ काम जैसे शादी, मुंडन, मकान खरीदना आदि नहीं किया जाता है। यही नहीं ऐसा माना जाता है कि इस दौरान नई बहू भी मायके से ससुराल नहीं आती है। आइए जाने माने ज्योतिर्विद पं रमेश भोजराज द्विवेदी जी से जानें साल 2022 में कब से शुरू हो रहा है होलाष्टक का समय और इस दौरान आपको किन बातों का ध्यान रखना चाहिए जिससे घर में सुख समृद्धि बनी रहे।
होलाष्टक 2022 आरंभ और समापन तिथि
- पंचांग के अनुसार, इस साल फाल्गुन माह के शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि का आरंभ - 10 मार्च, बृहस्पतिवार प्रातः 02 बजकर 56 मिनट से होगा और यह 11 मार्च, शुक्रवार, प्रात: 05 बजकर 34 मिनट तक रहेगी।
- इसलिए उदया तिथि के अनुसार फाल्गुन शुक्ल अष्टमी तिथि 10 मार्च को ही है। इसी वजह से 10 मार्च से होलाष्टक का प्रारंभ हो जाएगा।
- होलाष्टक का समापन होलिका दहन के दिन होता है। इस साल होलिका दहन यानी फाल्गुन महीने की पूर्णिमा तिथि 17 मार्च, गुरुवार को दोपहर 01:29 बजे
- से शुरु हो रही है।
- यह 18 मार्च दिन शुक्रवार को दोपहर 12:47 बजे तक रहेगी। ऐसे में 7 मार्च को होलिका दहन के साथ होलाष्टक का समापन हो जाएगा।
क्या है होलाष्टक की कथा
होलाष्टक के समय को अपशगुन मानने का कारण भक्त प्रह्लाद और कामदेव से जुड़ा है। राजा हिरण्यकश्यप ने बेटे प्रहलाद को फाल्गुन शुक्ल अष्टमी तिथि से होलिका दहन तक कई प्रकार की प्रताड़नाएं दीं और अंत में होलिका के साथ फाल्गुन पूर्णिमा को प्रह्लाद को अग्नि में दहन करने का प्रयास किया। लेकिन भगवान विष्णु की कृपा से भक्त प्रहलाद बच गए और होलिका जलकर मर गईं। तभी से होलाष्टक के 8 दिनों को अशुभ माना जाता है और इस दौरान कोई भी शुभ काम करने की मनाही होती है।
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होलाष्टक में रखें इन बातों का ध्यान
होलाष्टक के 8 दिन के समय में आपको कुछ बातों का विशेष ध्यान रखना चाहिए जिससे घर में सुख शांति बनी रहे और आर्थिक लाभ भी हो सके। आइए जानें कौन सी बातें आपको होलाष्टक के दौरान ध्यान में रखनी चाहिए।
किसी भी मांगलिक कार्य से बचें
होलाष्टक के 8 दिनों में किसी भी तरह का मांगलिक कार्य (पितृ पक्ष में क्यों नहीं किए जाते हैं मांगलिक कार्य) नहीं करने चाहिए। ऐसा माना जाता है कि किसी भी तरह के मांगलिक काम जैसे शादी, विवाह आदि करना इस दौरान शुभ नहीं होता है। यदि कोई व्यक्ति इस दौरान शादी जैसे मांगलिक कार्य करता है तो उसे वैवाहिक जीवन में सफलता नहीं मिलती है।
इस दौरान पूजा पाठ है शुभ
ऐसा माना जाता है कि होलाष्टक के 8 दिनों में किसी भी व्यक्ति को पूजा पाठ जरूर करना चाहिए। खासतौर पर इस दौरान भगवान शिव और विष्णु जी की पूजा विशेष रूप से फलदायी मानी जाती है।
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महामृत्युंजय मंत्र का जाप
पौराणिक मान्यताओं के अनुसार होलाष्टक के समय में भगवान् शिव के मंत्र महामृत्युंजय मंत्र का जाप करने से सभी रोगों और कष्टों से मुक्ति मिलती है। ऐसा माना जाता है कि इस मंत्र के जाप से व्यक्ति का स्वास्थ्य अच्छा बना रहता है।
हवन करना है शुभ
होलाष्टक के दौरान हवन कराना शुभ माना जाता है। यदि आप होलाष्टक के 8 दिनों के दौरान घर या कार्यस्थल पर हवन करते हैं तो यह जीवन में सफलता का कारण बनता है।
होलाष्टक का महत्व
होलाष्टक के समय में पूजा पाठ करना विशेष रूप से फलदायी माना जाता है। ऐसा माना जाता है कि जो व्यक्ति इस दौरान पूजा पाठ करता है और भगवान् की भक्ति करता है उसकी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं।
इस प्रकार होलाष्टक के समय में कुछ बातों का ध्यान रखना जरूरी है जिससे मानसिक शांति बनी रहे। अगर आपको यह लेख अच्छा लगा हो तो इसे शेयर जरूर करें व इसी तरह के अन्य लेख पढ़ने के लिए जुड़ी रहें आपकी अपनी वेबसाइट हरजिन्दगी के साथ।
Image Credit: freepik
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