वोट देने का अधिकार डेमोक्रेसी में सबसे महत्वपूर्ण माना जाता है, वोटिंग ही वह प्रक्रिया होती है जिसके द्वारा डेमोक्रेसी में चुनाव किए जाते हैं। हालांकि डेमोक्रेसी आने के बाद भी सालों तक दुनिया भर के देशों ने महिलाओं के वोटिंग राइट्स उनसे छीन कर रखे थे, इसके पीछे सत्ता के लोगों ने कई अजीबोगरीब तर्क भी दिए। यही कारण था कि कई देशों में महिलाओं के वोटिंग राइट्स को लेकर आंदोलन भी होते रहे हैं, तब जाकर कहीं आज दुनिया के डेमोक्रेटिक देशों में महिलाओं को उनके वोटिंग राइट्स मिल पाएं हैं।
हाल ही में चुनाव उत्तर प्रदेश और पंजाब सहित पांच राज्यों में चुनाव होने वाले हैं, महिलाएं और पुरुष दोनों ही मतदान द्वारा अपने सीएम का फैसला करें गे। ऐसे में आज के आर्टिकल में हम आपको बताएंगे कि दुनिया के इन बड़े और आधुनिक देशों में महिलाओं को कब उनके वोटिंग राइट्स दिए गए, तो आइए जानते हैं महिलाओं के वोटिंग राइट्स से जुड़ी अलग-अलग देशों की कहानियों के बारे में-
पहला देश जहां महिलाओं को मिले थे उनके वोटिंग राइट्स-
दुनिया भर में न्यूजीलैंड वह पहला देश था जिसने अपने यहां की महिलाओं को वोटिंग के अधिकार दिए। न्यूजीलैंड देश की महिलाओं को उनका यह अधिकार साल 1893 में मिला था, हालांकि उस समय न्यूजीलैंड अंग्रेजों की एक कॉलोनी हुआ करता था, मगर इन सबके बावजूद भी न्यूजीलैंड ही वह पहला देश माना जाता है, जहां महिलाओं को उनके वोटिंग राइट्स दिए गए।
2 साल बाद मिले ऑस्ट्रेलिया की महिलाओं को उनके वोटिंग राइट्स-
साल 1895 में तक आते-आते ऑस्ट्रेलिया वह दूसरा देश बना गया जहां महिलाओं को वोटिंग राइट्स दिए गए। हालांकि कि शुरुआत में यह अधिकार केवल साउथ और वेस्टर्न ऑस्ट्रेलिया तक ही दिए गए थे, मगर साल 1902 तक आते-आते पूरे देश की महिलाओं को उनके वोटिंग राइट्स दे दिए गए।
पहला मुस्लिम बहुसंख्यक देश जहां महिलाओं को मिले वोटिंग राइट्स-
ज्यादातर इस्लामिक देशों में महिलाएं अपने अधिकारों से वंचित ही रहती हैं, मगर एक इस्लामिक बहुसंख्यक देश ऐसा भी था जहां 1918 में ही महिलाओं को वोटिंग राइट्स दिए गए थे। इस समय तक बहुत कम देशों में महिलाओं को वोटिंग राइट्स मिले हुए थे।
ब्रिटेन ने तय की वोटिंग के 30 साल की उम्र-
साल 1918 में ब्रिटेन की महिलाओं को उनके वोटिंग के अधिकार दिए गए, मगर यह दायरा काफी सीमित रखते हुए महिलाओं के वोटिंग की उम्र को 30 साल तय किया गया। ब्रिटेन में इस फैसले का जमकर विरोध किया गया जिसके बाद साल 1928 आते-आते यहां की सभी महिलाओं को वोटिंग का अधिकार दे दिए गया।
मगर यूरोप के कई हिस्सों में दूसरे विश्व युद्ध तक भी महिलाओं को वोटिंग के अधिकार नहीं मिले थे। साल 1944 में फ्रांस और 1945 में इटली की महिलाओं को वोटिंग राइट्स दिए गए, इसके बावजूद भी यूरोप के कई देश ऐसे थे जहां कि महिलाओं को वोटिंग राइट्स मिलने में लंबा समय लग गया। 1984 में जाकर यूरोप के लगभग सभी डेमोक्रेटिक देशों की महिलाओं को उनके वोटिंग अधिकार मिल चुके थे।
अमेरिका में भारी विद्रोह के बाद महिलाओं को मिले वोटिंग राइट्स-
अमेरिका जो सालों पहले से ही एक डेमोक्रेटिक देश हुआ करता था, वहां की महिलाओं ने अपने वोटिंग के अधिकारों के लिए काफी संघर्ष किया। सालों संघर्ष के बाद साल 1920 में जाकर अमेरिकी महिलाओं को वोट करने के अधिकार दिए गए।
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अंग्रेजों के शासन में ही मिले थे भारतीय महिलाओं को वोटिंग के अधिकार-
साल 1926 में ही ब्रिटिश शासन ने भारत की महिलाओं को वोटिंग के अधिकार दे दिए थे। मगर असल मायनों में जब भारत में पहली बार आम चुनाव किए गए, तब महिलाओं और पुरुष दोनों ने ही वोटिंग में अपनी भागीदारी दी थी।
भारत के विभाजन के साथ ही पाकिस्तान की महिलाओं को मिले थे वोटिंग राइट्स-
भारत और पाकिस्तान के विभाजन के साथ ही पाकिस्तानी महिलाओं को भी उनके वोटिंग राइट्स दिए गए। साल 1947 में पाकिस्तान, मेक्सिको, जापान और अर्जेंटीना की महिलाओं को वोटिंग के अधिकार दिए गए।
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चीन की महिलाओं को मिले थे वोटिंग राइट्स-
हालांकि चीन में कम्युनिस्ट पार्टी सत्ता है, जहां जनता की एक भी नहीं चलती है। मगर आपको बता दें कि वहां की महिलाओं को भी 1949 तक वोटिंग के राइट्स दिए गए थे।
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20 वीं सदी में मिले इन देशों की महिलाओं को वोटिंग राइट्स-
दुनिया के कई देश ऐसे हैं जिन्होंने अपने यहां की महिलाओं को 20वीं सदी के बाद वोटिंग के अधिकार दिए। साल 2005 में कुवैत, साल 2006 में यूएई तो वहीं साल 2015 आते-आते सऊदी की महिलाओं को भी वोट के अधिकार दे दिए गए।
तो ये थे कुछ ऐसे देश जहां पुरुषों के बाद महिलाओं को वोटिंग के अधिकार दिए गए। आपको हमारा यह आर्टिकल अगर पसंद आया हो तो इसे लाइक और शेयर करें, साथ ही ऐसी जानकारियों के लिए जुड़े रहें हरजिंदगी के साथ।
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