
मोनालिसा की पेंटिंग को दुनिया की सबसे प्रसिद्ध पेंटिंग में से एक माना जाता है। यह इटली के महान कलाकार लियोनार्डो दा विंची ने 16वीं शताब्दी में बनाई थी। यह पेंटिंग फ्रांस के लूव्र संग्रहालय में लगाई गई है।
मोनालिसा की पेंटिंग को दुनिया की सबसे रहस्यमय, महंगी और चर्चित पेंटिंग माना जाता है। इस पेंटिंग के बारे में अब तक सबसे ज्यादा रिसर्च की जा चुकी है। कुछ किताबों में कहा गया है कि लियोनार्डो ने इसे इटली के एक रेशम व्यापारी की पत्नी 'लीजा घेरार्दिनी' को देखकर बनाया था। वहीं, कंप्यूटर वैज्ञानिक लिलियन ने इस पर शोध किया और यह दावा किया कि यह लियोनार्डो का आत्मचित्र है।
मोनालिसा की पेंटिंग को महान चित्रकार लियोनार्डो दा विंची ने बनाया था। यह पेंटिंग 1503 से 1519 के बीच चिनार की लकड़ी के पैनल पर तेल से की गई थी। यह पेंटिंग पेरिस के लौवर संग्रहालय में लटकी हुई है।
मोनालिसा की पेंटिंग में एक विचारमग्न स्त्री को हल्की मुस्कान के साथ दिखाया गया है। इस पेंटिंग को बनाने में लियोनार्डो दा विंची को 14 साल लगे थे। हालांकि, उनकी मृत्यु के बाद भी यह पेंटिंग अधूरी रह गई थी, जिसे उनके सहयोगियों ने पूरा किया था। इस पेंटिंग का नाम वैसे तो मोना लीजा है, लेकिन उच्चारण बिगड़कर यह मोनालिसा हो गया।

मोनालिसा की पेंटिंग को दुनिया की सबसे प्रसिद्ध पेंटिंग माना जाता है। इस पेंटिंग के बारे में अब तक सबसे ज्यादा लिखा, पढ़ा और रिसर्च की जा चुकी है। इस पेंटिंग की रहस्यमय मुस्कान का अध्ययन कई विशेषज्ञ कर रहे हैं। अलग-अलग एंगल्स से देखने पर मोनालिसा की मुस्कान अलग-अलग दिखती है। कुछ लोगों का मानना है कि इस पेंटिंग में दिखाई गई औरत अपने भीतर किसी राज को छुपाए हुए है, इसलिए उसकी मुस्कान रहस्यमय है। एक सिद्धांत यह भी है कि यह तस्वीर किसी औरत की नहीं, बल्कि दा विंची का आत्म चित्र है।
कई रिपोर्ट्स में दावा किया गया है कि लियोनार्डो दा विंची की पेंटिंग 'मोनालिसा' अधूरी रह गई थी। ऐसा इसलिए क्योंकि 1517 में विंची का दाहिना हाथ पैरालाइज हो गया था। इसके अलावा, लियोनार्डो द विंची का एक चर्चित कोट है, "Art is never finished, only abandoned"(आर्ट कभी पूरी नहीं होती, छोड़ दी जाती है)।
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इतालवी पुनर्जागरण विशेषज्ञ एन पिज़ोरुसो का दावा है कि मोनालिसा की प्रसिद्ध पेंटिंग उत्तरी इटली के लेको शहर में बनाई गई थी, न कि फ्लोरेंस में जैसा कि पहले सोचा जाता था। पिज़ोरुसो ने अपनी थ्योरी को साबित करने के लिए भू-विज्ञान, इतिहास और कला का इस्तेमाल किया। उन्होंने पेंटिंग की पृष्ठभूमि का अध्ययन किया और पाया कि यह लेको झील और आसपास के पहाड़ों से मेल खाती है। उनका यह भी दावा है कि लियोनार्डो दा विंची 1515 में लेको में रह रहे थे, जब उन्होंने मोनालिसा पर काम करना शुरू किया था।
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हालांकि, पिज़ोरुसो के दावे को कई कला इतिहासकारों ने चुनौती दी है। वे कहते हैं कि पेंटिंग की शैली और तकनीक फ्लोरेंस में किए गए अन्य कार्यों से मेल खाती है। फिलहाल, यह निश्चित नहीं है कि मोनालिसा कहां बनाई गई थी। यह एक रहस्य बनी हुई है जो आज भी कला प्रेमियों को आकर्षित करती है।
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