एक साल के अंदर ही कोलकाता में दोबारा एक बहुत बुरी और दिल दहला देने वाली घटना सामने आई है। साउथ कोलकाता लॉ कॉलेज कैंपस में 24 साल की एक कानून की छात्रा के साथ सामूहिक दुष्कर्म का मामला सामने आया है। इस मामले में अब तक 4 लोगों को गिरफ्तार किया जा चुका है और उनके मोबाइल फोन से घटना की वीडियो क्लिप भी मिली हैं। इस भयानक घटना ने पूरे देश को सदमे में डाल दिया है।
जिस कॉलेज में भविष्य के वकीलों को यानी न्याय की रक्षा करने वालों को तैयार किया जाता है, अगर वहीं कानून के विद्यार्थी ही कानून तोड़ रहे हैं, तो यह घटना सिर्फ एक अपराध नहीं है, बल्कि हमारे समाज, शिक्षा और नैतिकता पर एक बहुत बड़ा सवाल खड़ा करती है।
इस दिल दहला देने वाली घटना के बाद एक बड़ा सवाल खड़ा होता है कि जब वकील बनने की तैयारी कर रहे युवा ही महिलाओं के लिए खतरा बन जाएं, तो इंसाफ की उम्मीद किससे की जा सकती है?
जब कानून पढ़ने वाला ही कानून तोड़ने लगे
आजकल शिक्षण संस्थानों में भी महिलाएं सुरक्षित नहीं रह गई हैं। लॉ की पढ़ाई सिर्फ किताबी ज्ञान नहीं है, बल्कि यह न्याय, संवैधानिक मूल्यों और नैतिकता को समझने और अपनाने का तरीका होती है। ऐसे में अगर लॉ कॉलेज में पढ़ाई करने वाले छात्र, जो भविष्य में अदालत में न्याय के लिए लड़ने वाले हैं, वे रेप जैसे गंभीर अपराध में शामिल हों, तो यह न सिर्फ महिलाओं के लिए डरावना है, बल्कि पूरी न्यायिक प्रणाली पर से भरोसा उठा देता है।
क्या कानूनी शिक्षा में नैतिकता की पढ़ाई नहीं होनी चाहिए?
भारत में लॉ की पढ़ाई में किताबी जानकारी, एक्ट्स, जजमेंट्स और संविधान की समझ पर जोर दिया जाता है। लेकिन, नैतिकता, जेंडर सेंसिटिविटी, कंसेंट और यौन अपराधों की सामाजिक-मानसिक समझ को शायद ही किसी कॉलेज में पढ़ाया जाता होगा। आज भी शिक्षण संस्थानों में किताबी ज्ञान तो दिया जाता है, लेकिन बच्चों को नैतिकता की शिक्षा नहीं दी जाती है।
जब सुरक्षित स्थान भी असुरक्षित हो जाएं
आज महिलाएं कॉलेजों के अंदर भी सुरक्षित नहीं हैं। शिक्षण संस्थानों को पढ़ाई का केंद्र माना जाता है, जहां लड़कियां आजाद होकर पढ़ाई कर सकती हैं। लेकिन, जब उन्हीं जगहों से यौन हिंसा की खबरें सामने आती हैं, तो लड़कियों के माता-पिता, समाज और खुद लड़कियों का भरोसा टूट जाता है।
कोलकाता गैंगरेप मामले में पुलिस ने शुरुआती जांच में बताया था कि मुख्य आरोपी मनोजित मिश्रा ने पीड़िता को शादी का प्रस्ताव दिया था। लेकिन, वह पहले से ही किसी रिश्ते में थी, इसलिए उसने मना कर दिया था। शादी के प्रस्ताव को ठुकराना मनोजित को बर्दाश्त नहीं हुआ और उसने दोस्तों के साथ मिलकर गैंगरेप करने की पूरी योजना बनाई थी। अब सवाल उठता है कि क्या लड़के रिजेक्शन बर्दाश्त नहीं कर पाते और उसका बदला लड़कियों को शिकार बनाकर लेते हैं?
आज भी समाज में फैली हुई है पितृसत्तात्मक मानसिकता
दरअसल, भारत जैसे देश में लड़कों को बचपन से अपने इमोशन्स को सही ढंग से समझने और दिखाने की शिक्षा नहीं दी जाती है। और जब उन्हें कोई मना करता है, तो उन्हें अपमानित महसूस होता है। भारत में आज भी पितृसत्तात्मक मानसिकता बहुत गहरी है। यहां लड़की को अपनी इच्छा से प्रेम करने, 'ना' कहने या रिश्ता तोड़ने का अधिकार कम ही स्वीकार किया जाता है। अगर कोई लड़की लड़के के प्रस्ताव को मना कर देती है, तो लड़कों के मन में सबक सिखाने की मानसिकता पैदा हो जाती है, जिसकी वजह से हिंसा और रेप जैसे घिनौने अपराध जन्म लेते हैं।
कोलकाता से एक साल के भीतर ही 2 गैंगरेप के मामले सामने आए हैं और इससे साफ पता चलता है कि अब समय आ गया है कि शैक्षणिक संस्थानों में पढ़ाई से ज्यादा संवेदनशीलता और नैतिकता के बारे में ज्ञान दिया जाए।
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