क्या वाकई कामसूत्र लिखने वाले ऋषि वात्यायन थे ब्रह्मचारी? जानें उनसे जुड़े फैक्ट्स

कामसूत्र लिखने वाले ऋषि वात्स्यायन को ब्रह्मचारी बोला जाता है। पर फिर उन्होंने इस ग्रंथ की रचना कैसे कर दी? आज बात करते हैं उनसे जुड़ी थ्योरीज की। 

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अगर आपसे ऋषि वात्स्यायन के बारे में पूछा जाए, तो शायद आपको भी सबसे पहले कामसूत्र की याद आएगी। यह एक ऐसा ग्रंथ है जिसके बारे में बात करने से लोग थोड़ा कतराते हैं। यह न सिर्फ भारत में बल्कि पूरी दुनिया में प्रसिद्ध है। जहां ऋषि और मुनियों को कठोर तपस्या करते देखा जाता है वहीं, ऋषि वात्स्यायन को लेकर अलग-अलग तरह की धारणाओं को माना जाता है।

इंटरनेट एक अजीब दुनिया है। यहां आप एक चीज ढूंढने निकलते हैं, तो कई चीजें सामने आ जाती हैं। ऋषि वात्स्यायन के बारे में भी ऐसा ही है। हमें उनसे जुड़ी कई चर्चित थ्योरीज के बारे में पता चला। चलिए जानते हैं उनके बारे में।

क्या वाकई ऋषि वात्स्यायन ने लिखा था कामसूत्र?

वैसे कामसूत्र के जनक के तौर पर हम वात्स्यायन को ही देखते हैं, लेकिन एक चर्चित थ्योरी मानती है कि वात्स्यायन ने न्यायसूत्र के रचयिता ऋषि गौतम के ज्ञान को किताब की शक्ल दी थी। न्यायसूत्र या न्यायशास्त्र 6 भारतीय धर्म शास्त्रों में से एक है। इस थ्योरी के मुताबिक ऋषि वात्स्यायन ने कामसूत्र लिखा ही नहीं था, बल्कि उनका सिर्फ नाम इसके लिए इस्तेमाल किया गया। इसे लोधी साम्राज्य के किसी सुल्तान ने लिखा था। यह सिर्फ एक थ्योरी मात्र है, लेकिन इसे सही मानने वाले भी बहुत हैं।

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हालांकि, न्यायसूत्र को किताब का रूप देने वाले पक्सिलस्वामिन वात्स्यायन माने जाते हैं जिन्हें लोग कामसूत्र वाले वात्स्यायन समझते हैं।

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कौन थे ऋषि वात्स्यायन?

माना जाता है कि वो अपने समय के बहुत चर्चित ऋषि थे। उनका जन्म गुप्त वंश के समय हुआ था। हालांकि, उनके जीवनकाल को लेकर इतिहासकारों की अलग-अलग राय है।

नीतिसार के रचयिता कामदंक को माना जाता है और कामदंक चाणक्य के प्रधान शिष्य थे। ऐसे में एक थ्योरी यह कहती है कि कामदंक ही ऋषि वात्स्यायन थे जिन्होंने कामसूत्र की रचना भी की।

एक और ग्रन्थ वासवदत्ता में कामसूत्र के रचनाकार का नाम 'मल्लनाग' कहा गया है। माना जाता है कि वात्स्यायन का पूरा नाम महर्षि मल्लनाग वात्स्यायन ही था। इस तरह ऋषि के नाम और उनके काम को लेकर मतभेद हैं।

क्या ब्रह्मचारी थे वात्स्यायन?

एक बहुत ही चर्चित थ्योरी मानती है कि ऋषि वात्स्यायन ब्रह्मचारी थे। ऋषि वात्स्यायन के परिवार या पत्नी का जिक्र कहीं भी नहीं मिलता। हां, यह माना जाता है कि उनका परिवार था ही नहीं और वो खुद ब्रह्मचारी थे। थ्योरी के अनुसार उन्होंने कामसूत्र की रचना वेश्यालयों, नगरवधुओं और नर्तकियों को देखकर की थी।

कामसूत्र और नीतिसूत्र के अलावा ऋषि वात्स्यायन के बारे में और ज्यादा जानकारी नहीं है। हां, वराहमिहिर की बृहत संहिता (Brihat-Samhita) और कालिदास की कविताओं में वात्स्यायन के कामसूत्र का जिक्र मिलता है। बृहत संहिता छठवीं सदी में संस्कृत में लिखी गई पुस्तक है। ऐसे में यह अंदाजा लगाया जा सकता है कि वात्स्यायन पांचवी सदी में रहे होंगे।

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कामसूत्र का मुख्य सूत्र

लोगों को लगता है कि इस ग्रंथ में सिर्फ यौन संबंधों की बात हो रही है, लेकिन असल में इसका मुख्य उद्देश्य यह बताना है कि इस विषय का असर जीवन पर कैसा पड़ता है। शादीशुदा लोगों के लिए भी इस ग्रंथ में कई सुझाव दिए गए हैं। इस ग्रंथ में 64 कलाओं का जिक्र है जिसमें संगीत, धर्म, ध्वनि, समाज, लोक आदि बहुत कुछ मौजूद है।

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अगर आपको लगता है कि कामसूत्र कोई एक ही किताब है, तो आप गलत हैं। कामसूत्र में 1250 छंद हैं जिन्हें 36 अध्यायों में बाटा गया है। इसकी 64 धाराएं हैं जिन्हें कुल सात किताबों में विभाजित किया गया है।

इसमें दो कैरेक्टर्स हैं जिसमें नायक (पुरुष) और नायिका (महिला) का जिक्र है। हालांकि, नायक और नायिका के अलावा भी इसमें कई कैरेक्टर्स का जिक्र है।

उम्मीद है कि ऋषि वात्स्यायन के बारे में ये जानकारी आपको पता होगी। अगर हमारी स्टोरीज से जुड़े आपके कुछ सवाल हैं, तो आप हमें आर्टिकल के नीचे दिए कमेंट बॉक्स में बताएं। हम आप तक सही जानकारी पहुंचाने का प्रयास करते रहेंगे। अगर आपको यह स्टोरी अच्छी लगी है, तो इसे शेयर जरूर करें। ऐसी ही अन्य स्टोरी पढ़ने के लिए जुड़ी रहें हरजिंदगी से।

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