जब हम नई गाड़ी घर लाते हैं, तो बहुत खुशी होती है। नई गाड़ी का मालिक बनना एक अलग ही मजा है, लेकिन कई बार हम नई कार खरीदने के बाद उसका इंश्योरेंस यानी बीमा कराना भूल जाते हैं। अगर आपने नई कार खरीदी है और सोच रहे हैं कि नया बीमा लेना पड़ेगा या पुरानी इंश्योरेंस पॉलिसी काम आ जाएगी, तो आज हम आपको बताएंगे कि आप अपनी पुरानी बीमा पॉलिसी को अपनी नई कार के लिए कैसे इस्तेमाल कर सकते हैं।
नई कार के लिए बीमा क्यों जरूरी?
भारत में अगर आप नई कार खरीदते हैं, तो सुरक्षा के लिए कार इंश्योरेंस कराना जरूरी है। कार का इंश्योरेंस कराने के बाद, अगर कार का एक्सीडेंट हो जाए, चोरी हो जाए या कोई भी नुकसान हो, तो उसकी भरपाई बीमा कंपनी करती है। इसलिए जब भी नई कार खरीदें, तो सबसे पहले उसका इंश्योरेंस करा लें।
क्या नई कार के लिए नई बीमा पॉलिसी जरूरी है?
कई लोग सोचते हैं कि नई गाड़ी के लिए नया इंश्योरेंस ही करवाना पड़ेगा, लेकिन ऐसा जरूरी नहीं है।
क्या पुरानी कार का बीमा नई कार में ट्रांसपर हो सकता है?
जी हां, अगर आपकी पुरानी कार की बीमा पॉलिसी अभी भी चल रही है, तो आप उसे अपनी नई कार में बदल सकते हैं। इसे पॉलिसी ट्रांसफर या इंश्योरेंस पोर्टिंग कहते हैं। हालांकि, इसके लिए आपको कुछ बातों का ध्यान रखना होगा।
अधिकतर बीमा कंपनियां पॉलिसी ट्रांसफर करने देती हैं, अगर पुरानी और नई कार का बीमा उसी कंपनी में हुआ हो। इससे आपके पैसे बच जाते हैं और आपको नई पॉलिसी लेने की जरूरत नहीं पड़ती। पुरानी इंश्योरेंस पॉलिसी का फायदा यह होता है कि आपका नो-क्लेम बोनस (NCB) बचा रहता है, जिससे बीमा का प्रीमियम कम हो जाता है। पॉलिसी ट्रांसफर कराने से पहले आपको बीमा कंपनी के सारे नियम और शर्तें पढ़ लेनी चाहिए।
नई कार के लिए अपनी पुरानी पॉलिसी कैसे इस्तेमाल करें?
- अगर आपने नई कार खरीद ली है, तो तुरंत बीमा कंपनी को बताएं कि आप अपनी पुरानी पॉलिसी नई कार में ट्रांसफर करवाना चाहते हैं।
- इसके लिए आपको बीमा कंपनी को पुरानी कार की RC (रजिस्ट्रेशन सर्टिफिकेट), नई कार का मॉडल, रजिस्ट्रेशन और चेसिस नंबर, पुरानी पॉलिसी नंबर जैसी जानकारी देनी पड़ सकती है।
- इसके अलावा, बीमा कंपनी आपसे नई कार की RC की कॉपी, पुरानी बीमा पॉलिसी की कॉपी और फॉर्म 29 और 30 मांग सकती है।
- आपको पॉलिसी ट्रांसफर के लिए एक एप्लीकेशन लिखकर जमा करनी होगी।
- अगर नई कार की कीमत अधिक है या उसमें खतरा अलग है, तो आपको अधिक प्रीमियम देना पड़ सकता है। अगर नई कार कम कीमत की है, तो आपको कुछ पैसे वापस भी मिल सकते हैं और प्रीमियम भी कम हो सकता है।
- अगर बीमा कंपनी आपकी एप्लीकेशन मान लेती है, तो वह नई कार के नाम पर पुरानी बीमा पॉलिसी को अपडेट कर देती है।
- अपडेट होने के बाद, आपको नई पॉलिसी लेने की जरूरत नहीं होती और आप अपनी पुरानी पॉलिसी का फायदा उठा सकते हैं और पैसे बचा सकते हैं।
नई कार में पुरानी बीमा पॉलिसी इस्तेमाल करने से जुड़ी खास बातें
- अगर आप अपनी पुरानी बीमा पॉलिसी को नई कार में ट्रांसफर कराते हैं, तो आपको कुछ बातों का ध्यान रखना चाहिए।
- नई कार खरीदने के बाद तुरंत बीमा कंपनी को पॉलिसी ट्रांसफर की रिक्वेस्ट भेज दें।
- अगर आपने पिछले साल बीमा क्लेम नहीं किया था, तो आपको नो-क्लेम बोनस में छूट मिल सकती है।
- अगर आपकी पुरानी पॉलिसी का कवरेज थर्ड पार्टी या कंप्रीहेंसिव था, तो यह नई कार पर भी लागू होता है। हालांकि, आपको बीमा कंपनी से इस बारे में बात करनी चाहिए और पूछना चाहिए कि नई कार के हिसाब से कवरेज ठीक है या नहीं।
- अगर आपने पॉलिसी में जीरो डेप्रिसिएशन, इंजन प्रोटेक्शन या रोडसाइड असिस्टेंस जैसे फायदे लिए हैं, तो बीमा कंपनी से पूछें कि ये आपकी नई कार पर भी लागू होते हैं या नहीं।
अगर पुरानी पॉलिसी की वैलिडिटी खत्म हो चुकी हो तो?
अगर आपकी पुरानी पॉलिसी नई कार खरीदने से पहले ही खत्म हो गई है, तो आप उसे ट्रांसफर नहीं कर सकते हैं। इस स्थिति में आपको तुरंत एक नई पॉलिसी खरीदनी होगी ताकि आप ट्रैफिक नियमों और जुर्माने से बच सकें।
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