हिमालय की पुत्री स्कंदमाता देवी पार्वती का स्वरूप हैं और महादेव की पत्नी होने के कारण उन्हें महेश्वरी के नाम से भी जाना जाता है। नवरात्रि के 5वें दिन देवी की पूजा की जाती है। यह पूजा महिलाओं को जरूर करनी चाहिए क्योंकि इससे न केवल सौभाग्य की प्राप्ती होती है बल्कि आपको संतान सुख भी मिलता है।
स्कंदमाता की पूजा के लिए रविवार के दिन आप ब्रह्म मुहूर्त से लेकर सुबह 11: 40 तक के बीच कोई भी समय चुन सकती हैं। इस बात का ध्यान रखें कि स्कंदमाता की पूजा शाम को सूर्य ढलने के बाद नहीं की जाती है।
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जय तेरी हो स्कंदमाता ।
पांचवा नाम तुम्हारा आता ।।
सब के मन की जानन हारी।
जग जननी सब की महतारी।।
तेरी ज्योत जलाता रहूं मैं।
हरदम तुम्हें ध्याता रहूं मैं ।।
कई नामों से तुझे पुकारा।
मुझे एक है तेरा सहारा।।
कही पहाड़ों पर हैं डेरा ।
कई शहरों में तेरा बसेरा ।।
हर मंदिर में तेरे नजारे।
गुण गाये तेरे भगत प्यारे ।।
भगति अपनी मुझे दिला दो।
शक्ति मेरी बिगड़ी बना दो ।।
इंद्र आदी देवता मिल सारे।
करे पुकार तुम्हारे द्वारे।।
दुष्ट दत्य जब चढ़ कर आएं।
तुम ही खंडा हाथ उठाएं।।
दासो को सदा बचाने आई।
‘चमन’ की आस पुजाने आई।।
ह्रीं क्लीं स्वमिन्यै नम:
स्कंदमाता के बीज मंत्र का जाप आपको 108 बार करना चाहिए। ऐसा करने से आपके काम में आ रही सारी बाधा दूर होती है।
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स्कंदमाता की पूजा ब्रह्म मुहूर्त में करने से ज्यादा अच्छे फल प्राप्त होते हैं। इसके लिए आप सुबह उठकर स्नान करें और साफ कपड़े पहनें। इसके बाद आपको स्कंदमाता की प्रतिमा को गंगाजल से स्नान कराना चाहिए और फिर आप उन्हें पुष्प और भोग आदि अर्पित कर सकती हैं। आपको बता दें कि स्कंदमाता को केले का प्रसाद चढ़ाया जाता है। यदि केला नहीं है तो बताशे का प्रसाद भी आप स्कंदमाता को चढ़ा सकती हैं। आप कोई भी लाल रंगा का पुष्प माता को अर्पित करके प्रसन्न कर सकती हैं। हालांकि, गुड़हल और लाल गुलाब का फूल यदि आप देवी को अर्पित करती हैं तो ज्यादा अच्छा होता है।
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मेष राशि के लोगों को मां दुर्गा के स्कंदमाता स्वरूप की पूजा करनी चाहिए। इससे उन्हें न केवल अच्छा फल प्राप्त होता है बल्कि यह उनकी राशि के लिए भी अच्छा होता है।
देवी को नारंगी या पीला रंग अति प्रिय है। यदि आप देवी की पूजा के दौरान इस रंग के वस्त्र धारण करती हैं, तो आपको बहुत अधिक लाभ प्राप्त होगा।
उत्तरप्रदेश के वाराणसी शहर के जगतपुरा क्षेत्र में बागेश्वरी देवी का मंदिर है। इसी मंदिर में स्कंदमाता का भी मंदिर है। नवरात्रि के समय इस मंदिर में बहुत अधिक चहल-पहल होती है और भक्त देवी को लाल चुनरी, सिंदूर, चूड़ी और नारियल आदि चढ़ाते हैं।
आपने देखा होगा कि स्कंदमाता की प्रतिमा में वह अपनी गोद में बच्चों को बैठा कर रखती हैं। यदि आप संतानहीन हैं तो आपको स्कंदमाता की पूजा जरूर करनी चाहिए क्योंकि देवी आपकी सूनी गोद को भर सकती हैं। इतना ही नहीं, स्कंदमाता की पूजा से दुख दूर होते हैं और पापों से मुक्ति मिलती है।
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