यह बेहद अफसोस की बात है कि हमारे देश में महिलाओं के लिए सेफ फील कर पाना किसी चैलेंज से कम नहीं है। सड़क पर लोगों की घूरती नजरें हो...वर्कप्लेस पर हैरेस करने के मामले हों या पब्लिक ट्रांसपोर्ट में जान-बूझकर छूने की कोशिश करना...ऐसी न जाने कितनी चीजें हम लड़कियां रोजाना महसूस करती हैं और इसके बीच खुद को संभालने और आगे बढ़ाने की जद्दोजहद में भी लगी रहती हैं। आपके और मेरी जैसी हर लड़की मेरी इस बात से इत्तेफाक रखती होगी क्योंकि हम सभी कभी न कभी ऐसे हालातों से गुजरे हैं। हाल ही में एक महिला यूजर ने रेडिट पर अपनी आपबीती कही और बताया कि कैसे दिल्ली मेट्रो का सफर उसके लिए एक डरावना अनुभव बन गया है। चलिए, आपको बताते हैं क्या है पूरा मामला।
मुझे बहुत असुरक्षित और अकेला महसूस हुआ...
@taerin_yapper नाम के एक रेडिट अकाउंट से इस पूरी घटना को पोस्ट किया गया है, जिसने महिला सुरक्षा के सवाल को फिर खड़ा कर दिया। महिला ने बताया कि एक आदमी जो लगभग 30 साल की उम्र का रहा होगा...उसने उससे प्लेटफॉर्म के बारे में पूछा और उसने सही रास्ता बताकर उसकी मदद की। लेकिन, उसके बाद उस आदमी ने उससे पूछा कि क्या वह भी उसी मेट्रो में जा रही है..महिला ने हां कहा और ट्रेन की तरफ बढ़ने लगी। इसके बाद उसके साथ कुछ ऐसा हुआ जिसने उसे हिलाकर रख दिया। महिला ने लिखा, "मैंने महसूस किया कि वह मेरे पीछे है...मुझे बहुत अनसेफ फील हो रहा हा था...मैं प्लेटफॉर्म पर किसी के बराबर में बैठ गई...तभी वो आया और उसने पूछा कि क्या मैं यहां बैठ सकता हूं...मैंने आस-पास देखा और सोचा कि यह कहां बैठना चाहता है..क्योंकि कोई जगह ही नहीं थी,क्या वह मेरी गोद में बैठना चाहता है...उसने फिर वही सवाल किया कि क्या मैं बैठ सकता हूं...मैं तुरंत वहां से उठी और चल दी। उसके बाद वह आदमी मेरे पीछा करने लगा....उसने मुझसे पानी मांगा और मेरे पीछने चलने लगा। मैंने फोन पर बात करने की एक्टिंग की जिसके बाद वह वहां से चला गया। "
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आखिर कब सुरक्षित महसूस करेंगी महिलाएं?
महिला सुरक्षा आखिर कब तक एक सवाल बनी रहेगी और कब महिलाओं के खिलाफ अपराधों का सिलसिला रुकेगा, यह एक ऐसा मुद्दा है, जिस पर बहस तो हमेशा होती है लेकिन कुछ बदलता नहीं है। अगर ज्यादा पीछे न भी जाएं तो पिछले कुछ दिनों में ही एक बच्ची से रेप, एक निर्भया जैसे रेप की वारदात, एक महिला का बेटी पैदा होने पर अपने ससुराल वालों के तानों से परेशान होकर सुसाइड कर लेना, एक पति का बच्चा न हो पाने के कारण अपनी पत्नी की जान ले लेना जैसे कुछ मामले सामने आए हैं, जिन्होंने हमें हिलाकर रख दिया है। न जाने कब तक हम सिर्फ उस दिन के इंतजार में रहेंगे, जब महिलाएं सुरक्षित महसूस करेंगी और इस तरह की घटनाएं अखबार की हेडलाइन्स, सोशल मीडिया की अपडेट या टीवी की ब्रेकिंग न्यूज नहीं बनेंगी।
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इस तरह की घटनाएं सवाल उठाती हैं कि आखिर कब महिलाएं सेफ महसूस कर पाएंगी? इस आर्टिकल पर अपनी राय हमें उपर दिए गए कमेंट सेक्शन में जरूर बताएं। ऐसे अन्य आर्टिकल पढ़ने के लिए हरजिंदगी को फॉलो करें।
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