बिहार के इस जिले में है IIT Factory, हर साल निकलते हैं कई IITians.. जानें सालों से चलते आ रहे इस सिलसिले की दिलचस्प कहानी

बिहार के गया जिले में स्थित पटवा टोली से हर साल देश को दर्जनों आईआईटी इंजीनियर निकलते हैं। इस गांव में छात्रों के जेईई में सफलता पाने का सिलसिला साल 1991 से लेकर अभी तक जारी है। आइए इस खास जगह के बारे में हम आपको विस्तार से बताते हैं।
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बिहार में एक ऐसा गांव है, जो कि आईआईटी फैक्ट्री के नाम से काफी मशहूर है। ऐसा इसलिए है क्योंकि इस गांव से आज तक देश को सैकड़ों इंजीनियर मिल चुके हैं। हर साल जेईई मेन्स के रिजल्ट के बाद बिहार के इस खास जगह की ओर सभी का ध्यान जाता है कि आखिर यहां से इतने बच्चे हर बार कैसे निकलते हैं। देश के सबसे ज्यादा कठिन परीक्षाओं में से एक जेईई एग्जाम को इस साल 40 बच्चों ने क्लीयर किया है। इस इलाके से साल 1991 के बाद से अभी तक सैकड़ों इंजीनियर निकल चुके हैं। आइए इस आर्टिकल में हम आपको बिहार के इस अजूबे जगह की कहानी बताते हैं।

बिहार में कहां से निकलते हैं इतने IITians?

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बिहार के गया जिले में एक ऐसी जगह है, जिसे प्यार से 'IIT फैक्ट्री' के नाम से भी जाना जाता है। इस जगह का नाम पटवा टोली है। यह कोई औद्योगिक इलाका नहीं, बल्कि बुनकरों का एक छोटा सा गांव है, जिसने पिछले कई दशकों से भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थानों (IITs) में बड़ी संख्या में छात्रों को भेजा है। कभी अपने उत्कृष्ट हथकरघा उद्योग के लिए 'बिहार का मैनचेस्टर' के रूप में जाना जाने वाला पटवा टोली अब शिक्षा के क्षेत्र में अपनी एक अनूठी पहचान बना चुका है। यह गांव कड़ी मेहनत, सामुदायिक समर्थन और शिक्षा की शक्ति का एक जीता-जागता उदाहरण है, जो यह साबित करता है कि दृढ़ संकल्प और सामूहिक प्रयास से किसी भी लक्ष्य को प्राप्त किया जा सकता है।

कैसे हुई थी शुरुआत?

इस असाधारण सिलसिले की शुरुआत साल 1991 में हुई थी। तब इस गांव के जितेंद्र पटवा ने पहली बार IIT में सफलता प्राप्त की थी। उनकी इस उपलब्धि ने पूरे गांव को एक नई राह दिखाई और युवाओं के मन में IIT में पढ़ने का एक सपना जगा दिया था। पटवा टोली की इस शैक्षिक क्रांति के पीछे कई महत्वपूर्ण कारण रहे। जितेंद्र पटवा की सफलता ने गांव के बच्चों को उच्च शिक्षा प्राप्त करने और IIT जैसे प्रतिष्ठित संस्थानों में दाखिला लेने के लिए प्रेरित करने लगा। गांव के पहले से IIT में पढ़ चुके छात्रों ने आगे आने वाली पीढ़ी का मार्गदर्शन करना शुरू कर दिया। उन्होंने अपने अनुभव साझा किए और तैयारी में हर संभव मदद की।

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इन लोगों को मिलती है फ्री शिक्षा की सुविधा

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वर्ष 2013 में गांव के ही IIT पूर्व छात्रों द्वारा स्थापित 'वृक्ष' फाउंडेशन ने इस प्रतिभा को पोषित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। यह गैर-सरकारी संगठन आर्थिक रूप से कमजोर परिवारों के छात्रों को JEE की मुफ्त कोचिंग, अध्ययन सामग्री और ऑनलाइन कक्षाएं उपलब्ध कराता है, जिससे उन्हें देश के बेहतरीन शिक्षकों से जुड़ने का अवसर मिलता है। पटवा टोली में अधिकांश परिवार बुनकर हैं और उनकी आर्थिक स्थिति अच्छी नहीं है। 'वृक्ष' फाउंडेशन जैसी संस्थाओं ने इन छात्रों को बिना किसी वित्तीय बोझ के गुणवत्तापूर्ण शिक्षा प्राप्त करने का मौका दिया है। यह गांव कड़ी मेहनत, सामुदायिक समर्थन और शिक्षा की शक्ति का एक जीता-जागता उदाहरण है, जो यह साबित करता है कि दृढ़ संकल्प और सामूहिक प्रयास से किसी भी लक्ष्य को प्राप्त किया जा सकता है।

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Image credit- Freepik


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